वीर गुण्डाधूर आदिवासी अस्मिता के प्रतीक थे, मुख्यमंत्री की जन हितैषी नीतियों के कारण बस्तर विकास की राहों पर-रेखचंद

मिसाल न्यूज़

जगदलपुर। जननायक “वीर गुण्डाधुर” की स्मृति में नेतानार में  आभार आयोजन रखा गया। इस अवसर पर जगदलपुर विधायक एवं छत्तीसगढ़ शासन के संसदीय सचिव रेखचंद जैन ने कहा कि वीर गुण्डाधूर आदिवासी अस्मिता के प्रतीक थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की जन हितैषी नीतियों के कारण बस्तर आज विकास की राहों पर चल निकला है।

इस अवसर पर रेखचंद जैन ने कहा कि भूमकाल विद्रोह के जननायक वीर गुंडाधुर के बस्तर को विकास की राहों में लेकर चलना है। राज्य सरकार ने बस्तर के विकास हेतु कई जनकल्याणकारी निर्णय लेकर योजनाओं का क्रियान्वयन किया है। वीर गूंडाधूर ने बस्तर जैसी जगह से 1910 में अग्रेजों के ख़िलाफ़ विद्रोह किया। विद्रोह के प्रसार के लिए उन्होंने आम की टहनी एवं हरी मिर्च का उपयोग किया। वीर गुंडाधूर के नाम राज्य सरकार द्वारा जगदलपुर स्थित कृषि कालेज और नव स्थापित तीरंदाज़ी अकादमी का नाम शहीद वीर गुंडाधूर का रखा गया है। जैन ने कहा कि धुरवा समाज सहित बस्तर संभाग के सर्व आदिवासी समाज ने बस्तर के विकास में अपना अमूल्य योगदान दिया है वो सराहनीय है । उन्होंने इस अवसर पर नेतानार स्कूल में कक्षा 12 वीं की कक्षाएँ प्रारम्भ करवाने हेतु ग्रामीणों की माँग के लिए मुख्यमंत्री से चर्चा करने का आश्वासन दिया। कार्यक्रम को जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती वेदवती कश्यप, नगर निगम सभापति श्रीमती कविता कश्यप, पूर्व विधायक अन्तुराम कश्यप ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर जिला पंचायत उपाध्यक्ष मनीराम कश्यप, जनपद सदस्य नीलू राम बघेल, सरपंच सुकरा नाग, विधि विभाग के जिलाध्यक्ष अवधेश झा इंटक कांग्रेस के प्रदेश महासचिव विजय सिंह इंटक जिलाध्यक्ष कुलदीप सिंह भदौरिया धुरवा, भतरा, हल्बा,कोया समाज के प्रतिनिधि , आदिम जाति रिसर्च एवं प्रशिक्षण संस्थान रायपुर के अपर संचालक ए.के. गढ़ेवाल, उपायुक्त आदिवासी विकास विभाग विवेक दलेला, उप संचालक दुबे सहित अन्य अधिकारी और समाजों के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान नवा रायपुर एवं बस्तर जिला प्रशासन द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव स्वतंत्रता दिवस की 75 वीं वर्षगांठ के अवसर पर बस्तर जिले के ग्राम नेतानार में भूमकाल विद्रोह के जननायक वीर गुण्डाधूर की स्मृति में उनके स्मारक स्थल पर आभार आयोजन का कार्यक्रम किया गया। कार्यक्रम का प्रारम्भ अतिथियों और समाज प्रमुखों के द्वारा भूमकाल विद्रोह के जननायक वीर गुण्डाधूर के मूर्ति पर माल्यार्पण कर किया गया। आभार कार्यक्रम में वीर गुण्डाधूर के वंशजों को शॉल, श्रीफल और स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में छः जगहों के नर्तक दलों द्वारा आकर्षक प्रस्तुति दी गई। स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में वीर गुण्डाधूर के योगदान पर परिचर्चा एवं वीर गुण्डाधूर के जीवन पर आधारित लघु पुस्तिका (बुकलेट) का वितरण तथा वीर गुण्डाधूर के योगदान को समर्पित नाटक का मंचन भी किया गया।

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