मिसाल न्यूज़
रायपुर। प्रधानमंत्री आवास योजना के छत्तीसगढ़ में पिछड़ जाने का मामला आज विधानसभा में उठा। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि “विभाग के मंत्री ने स्वीकार कर लिया है कि इस योजना का एक भी मकान नहीं बन पाया है और काम को पूरा करा पाने में वे असमर्थ हैं।“ इस पर सरकार की तरफ से जो भी जवाब आया उससे विपक्षी भाजपा विधायक संतुष्ट नहीं हुए और नारेबाजी करते हुए सदन से वाक आउट कर गए।
प्रश्नकाल में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने टी.एस. सिंहदेव का बिना नाम लेते हुए कहा कि मंत्री ने स्वीकार किया है कि 8 लाख लोगों के लिए प्रधानमंत्री आवास नहीं बनाए जा सके और वे इस्तीफा देकर चले गए। मंत्री ने यह भी माना है कि वे काम करा पाने में असमर्थ हैं। आवास बनाने का वादा कांग्रेस के जन घोषणा पत्र में था। मंत्री स्वयं कह चुके हैं कि एक भी आवास नहीं बन पाया है। जो आवास अपूर्ण हैं वो कब तक बना लिए जाएंगे, यह सदन में बताया जाना चाहिए। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि मंत्री ने इस्तीफा नहीं दिया है। उन्होंने चिट्ठी लिखी है कि विभाग छोड़ दिया है। भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि यदि ऐसा है तो इस पर स्वयं वह मंत्री या फिर मुख्यमंत्री स्पष्टीकरण दें। मंत्री टी.एस. सिंहदेव की गैर मौजूदगी में उनकी जगह वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने जवाब देते हुए कहा कि इस काम के लिए 762 करोड़ लोन मांगा गया था। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अड़ंगा लगाया। ये कह लें कि भारत सरकार ने अड़ंगा लगाया। यहां पर विपक्ष घड़ियाली आंसू बहा रहा है। प्रधानमंत्री आवास पर विपक्षी भाजपा विधायकों एवं वन मंत्री मोहम्मद अकबर के बीच काफी देर तक बहस होती रही। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि ऐसे गंभीर मुद्दे पर मंत्री की ओर से संतोषजनक जवाब नहीं आ रहा है। इसके बाद सारे भाजपा विधायक सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चले गए।