■ अनिरुद्ध दुबे
ऐतिहासिक छत्तीसगढ़ी फ़िल्म ‘घर व्दार’ (1971) की हीरोइन रजीता कोचर (रंजीता ठाकुर) के निधन की ख़बर ने मन को व्यथित कर दिया। 23 दिसम्बर को सुबह 10.26 बजे मुम्बई के ज़ेन अस्पताल में रजीता जी ने अंतिम सांसें लीं।
‘घर व्दार’ के एक दृश्य में कान मोहन एवं रंजीता ठाकुर
अप्रैल 2012 में जब मैंने फ़िल्म पत्रिका ‘मिसाल’ शुरु की तब अक्सर मन में यह विचार आया करता था कि क्यों न ऐतिहासिक पहली छत्तीसगढ़ी फ़िल्म ‘कहि देबे संदेस’ एवं दूसरी फ़िल्म ‘घर व्दार’ के सुनहरे पन्नों को पलटा जाए। रायपुर के जाने-माने नेता एवं अधिवक्ता सैयद इक़बाल अहमद रिज़वी से पता चला कि कुछ समय पहले तक उनकी फोन पर ‘घर व्दार‘ की हीरोइन रंजीता ठाकुर से बात हुआ करती थी पर पता नहीं कैसे उनका नंबर खो गया है। रिज़वी साहब ने बताया था कि ‘घर व्दार’ के टाइटल में वे रंजीता ठाकुर के नाम से आई थीं, बाद में उनका नाम रजीता कोचर हो गया। उल्लेखनीय है कि स्वयं रिज़वी साहब ने ‘घर व्दार’ में एक नेगेटिव किरदार निभाया था। इधर, मेरी तरफ़ से रजीता जी की तलाश जारी रही जो कि काफ़ी प्रयासों के बाद लगभग 2 साल बाद सन् 2015 में जाकर पूरी हुई। रजीता जी का मोबाइल नंबर उपलब्ध कराने में अंबोलीनाका मुम्बई निवासी कुलसुम जी का विशेष योगदान रहा। जब रजीता जी के पास मेरा फोन गया तो उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने कहा कि “इतने साल बाद किसी ने रायपुर से याद किया है।“ फिर उन्होंने यह भी पूछा कि “बल्लू भाई (इक़बाल अहमद रिज़वी) कैसे हैं?” उन्होंने बड़ी आत्मीयता से कहा था कि “जब भी मुम्बई आओ तो चेम्बूर मेरे घर ज़रूर आओ।“
सराईपाली राजमहल में ‘घर व्दार’ की टीम के साथ दिग्गज नेता विद्याचरण शुक्ल
अंततः 2016 के संभवतः मार्च महीने में रजीता जी से मिलने का सपना पूरा हुआ। 2016 की उस मुम्बई यात्रा में मैं अंधेरी स्टेशन के पास ठहरा हुआ था। अंधेरी से चेम्बूर तक की ऑटो यात्रा काफ़ी दिलचस्प थी। इसलिए कि वो ऑटो चालक भी कम दिलचस्प नहीं था। रास्ते में उसने कहा कि “वो दायें तरफ़ जो आप देख रहे हैं न वो एशिया का सबसे बड़ा स्लम एरिया धारावी है।“ रास्ते में उसने यह भी बताया कि “बाएं तरफ़ वहां पर बाला साहेब ठाकरे का घर मातोश्री है। उनके निधन पर डेढ़ लाख से ऊपर की भीड़ थी।“ उसने जानी-मानी अभिनेत्री श्रीदेवी की रहस्मय ढंग से मौत पर भी कई तरह के सवाल उठाए थे! बातों ही बातों में अंधेरी से चेम्बूर तक का सफ़र कैसे बीता, पता ही नहीं चला। चेम्बूर में कॉल बेल बजाने पर जब फ्लैट का दरवाज़ा खुला तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था। ऐतिहासिक छत्तीसगढ़ी फ़िल्म ‘घर व्दार’ और दर्शकों के मन में अमिट छाप छोड़ गईं हिन्दी फ़िल्म ‘रजनीगंधा’ एवं ‘पिया का घर’ की अदाकारा रजीता जी मेरे सामने खड़ी थीं। दोनों हाथों से आशीर्वाद देते हुए बड़े ही स्नेह के साथ उन्होंने यह कहते हुए डाइनिंग टेबल के सामने बिठाया कि ख़ाना तैयार है। रसोई ढंकी हुई थी और फ्रुट सलाद खुला रखा था। उन्होंने कहा कि पहले फ्रुट सलाद लीजिए फिर भोजन लीजिएगा। मैंने कहा- “मैडम मैं भोजन के बाद ही फल लेता हूं।“ उन्होंने कहा- “ज़्यादातर लोग ऐसा ही करते हैं, लेकिन सही तरीका है पहले फल, फिर अन्न।“ भोजन के दौरान उनसे ‘घर व्दार’ पर लंबी बातचीत हुई। उन्होंने कहा कि “याद पड़ता है कि सराईपाली में जब ‘घर व्दार’ का शूट चल रहा था तब उस समय के बड़े लीडर विद्याचरण शुक्ल शूटिंग देखने आए थे। ‘घर व्दार’ के प्रोड्यूसर स्व. विजय कुमार पांडे तथा डायरेक्टर निर्जन तिवारी का स्मरण किया। रजीता जी ने बताया था कि वे उम्र को अपने ऊपर हावी नहीं होने देतीं और अब तो आध्यात्म से उनका जुड़ाव हो चुका है। रोज़ सुबह ध्यान करती हैं और यह ध्यान ही उन्हें तरोताज़ा बनाए रखता है। ध्यान के समय वे न सिर्फ़ स्वयं अपितु अपने क़रीबी लोगों के लिए भी प्रार्थना करती हैं। रजीता जी ने कहा था कि “मैं फ़िल्म संसार का हिस्सा ज़रूर रही लेकिन ग्लैमर से हमेशा दूर रही। एक बेटी है कपीशा जो कि इंग्लैंड में है। यहां मैं और मेरे हसबैंड राजेश कोचर हैं।“
‘घर व्दार’ के शूट के दौरान रंजीता ठाकुर के साथ इक़बाल अहमद रिज़वी
रजीता जी ने यह भी कहा था कि “एक बार फिर मेरी रायपुर जाने की बड़ी इच्छा है और साथ ही सराईपाली जाकर वह महल देखने की भी जहां ‘घर व्दार’ की शूटिंग हुई थी।“ घर व्दार के प्रोड्यूसर स्व. विजय कुमार पांडे के पुत्र जयप्रकाश पांडे अगले वर्ष 2023 में अपने पिता की स्मृति में एक कार्यक्रम आयोजित कर उसमें रजीता कोचर जी को सम्मानित करने की योजना बना रहे थे, लेकिन वक़्त को कुछ और ही मंज़ूर था।
(शीर्षक के साथ वाली तस्वीर में रजीता कोचर के साथ अनिरुद्ध दुबे)