■ अनिरुद्ध दुबे
पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल की बेटी डॉ. शुभकीर्ति की शादी यादगार बन गई। न सिर्फ़ छत्तीसगढ़ बल्कि देश की राजधानी दिल्ली एवं अन्य राज्यों के भी दिग्गज नेता रायपुर में हुए इस विवाह समारोह में शामिल हुए। मोहन भैया बड़े दिल वाले नेता हैं। न सिर्फ़ आला अफ़सरों बल्कि उन कर्मचारियों को भी निमंत्रण कार्ड भेजा जिनको वे जानते हैं। अपने पूरे राजनीतिक करियर में बृजमोहन शायद ही कभी सजते-संवरते नज़र आए हों। अविभाजित मध्यप्रदेश के समय में जब वे विधायक थे तो कुर्ता-पायजामा में नज़र आ जाया करते थे। बाद में कुर्ता-पायजामा पहनना उन्होंने छोड़ दिया। पेंट के ऊपर कभी शर्ट तो कभी टी शर्ट उनकी ड्रेस रहा करती थी। बेटी की शादी में सब कुछ बदला-बदला हुआ था। सूट-बूट में मोहन भैया की मनमोहक तस्वीर सामने नज़र आ रही थी। विवाह समारोह की उस शुभ घड़ी में तो ग़ज़ब उस समय हुआ जब मोहन भैया “गल्लां गूडियां…” गाने में उछल-उछलकर डांस किए। नेता जी ने दिखा दिया कि न सिर्फ़ राजनीति बल्कि उनमें लुभाने वाले और दूसरे गुण भी हैं।
अमरजीत चावला कांग्रेस
महाधिवेशन तक बने
रहेंगे या हटेंगे?
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस महामंत्री (संगठन) अमरजीत चावला एवं पूर्व मंत्री अरविंद नेताम को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की अनुशासन समिति की ओर से नोटिस जारी होना अपने आप में बड़ी राजनीतिक ख़बर तो है ही। अमरजीत चावला पर आरोप है कि वे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ़ भीतर ही भीतर मुहिम चला रहे थे। इस बात की शिकायत स्वयं मुख्यमंत्री ने दिल्ली में की। साथ ही दिल्ली यह संदेश भी पहुंचाया गया कि आरक्षण मामले में चावला ने राज्यपाल का समर्थन किया, जबकि दिसंबर महीने से सरकार व राज भवन के बीच जो तक़रार चल रही है वह किसी से छिपी नहीं है। वहीं बस्तर के बुज़ुर्ग आदिवासी नेता अरविंद नेताम को इसलिए नोटिस भेजी गई है कि वे भानुप्रतापपुर उप चुनाव में सर्व आदिवासी के प्रत्याशी के पक्ष में खुलकर सामने थे। उल्लेखनीय है कि पूर्व में कांग्रेस महामंत्री (संगठन) चंद्रशेखर शुक्ला थे। तब अमरजीत चावला का अधिकतर समय राजीव भवन में शुक्ला के कक्ष में ही कटता था। शुक्ला का हटना और उनकी जगह चावला का आना किसी नाटकीय घटनाक्रम की तरह था। कभी राजीव भवन के प्रथम तल में चलती प्रेस कॉन्फ्रेंस के बीच अचानक कांग्रेस मीडिया विभाग के लोगों को पता चला था कि शुक्ला हटा दिए गए हैं और उनकी जगह ज़िम्मेदारी चावला को दे दी गई है। यानी इस निर्णय की किसी को कानों कान ख़बर नहीं होने पाई थी। यह चौंकाने वाला निर्णय प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने क्या मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को विश्वास में लेकर किया था, इस पर भी सवाल खड़े हुए थे! पिछले दिनों रायपुर एयरपोर्ट पर एक आदिवासी मंत्री एवं अमरजीत चावला के बीच जो नोक-झोंक हुई थी उस पर भी पार्टी के भीतर व्यापक प्रतिक्रिया हुई थी। बताते हैं इस बात की शिकायत आदिवासी मंत्री ने मुख्यमंत्री से की थी। यानी चावला के ख़िलाफ नाराज़गी का वातावरण अन्य तरफ़ भी बनते चले जा रहा था। दूसरी तरफ़ आरक्षण को लेकर आदिवासी समाज का एक संगठन जो छत्तीसगढ़ सरकार के खिलाफ़ आंदोलनरत था, अरविंद नेताम उसके साथ खड़े नज़र आए थे। भानुप्रतापपुर उप चुनाव में नेताम ने सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी का साथ दिया था। अंदर की ख़बर तो यही है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद उम्रदराज़ नेता अरविंद नेताम की कुछ बड़ी अपेक्षाएं थीं, जो कि पूरी होते नज़र नहीं आईं। धीरे-धीरे नेताम ने ट्रेक बदलना शुरु कर दिया। 24 फरवरी से नया रायपुर में कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन शुरु होने जा रहा है। अब प्रश्न यह है कि अधिवेशन के समय तक अमरजीत चावला कांग्रेस महामंत्री (संगठन) जैसे बड़े पद पर बने रहेंगे या हटा दिए जाएंगे? यदि हटा दिए जाएंगे तो अधिवेशन जैसा बड़ी ज़िम्मेदारियों से भरा समय और ऊपर से यह चुनावी वर्ष, ऐसी स्थिति में महामंत्री (संगठन) का चार्ज किसे मिलेगा? यह जानने कांग्रेस के दूसरी, तीसरी एवं चौथी पंक्ति के लोग बेहद उत्सुक नज़र आ रहे हैं।
बांके बिहारी मंदिर में
लगेगी स्वतंत्रता
सेनानियों की तस्वीर
राजधानी रायपुर में दो प्राचीन मंदिरों के पुर्ननिर्माण की शुरुआत होने जा रही है। ये दो मंदिर हैं मौली माता मंदिर एवं बांके बिहारी मंदिर। मौली माता का मंदिर तेलीबांधा तालाब (मरीन ड्राइव) के किनारे बनेगा, वहीं बांके बिहारी मंदिर नये स्वरूप में गोल बाज़ार के पास नयापारा चुड़ी लाइन में बनने जा रहा है। मौली माता मंदिर के पुर्ननिर्माण की घोषणा महापौर एजाज़ ढेबर ने एक कार्यक्रम आयोजित कर की। वहीं बांके बिहारी मंदिर के पुर्ननिर्माण के भूमि पूजन में नगर निगम सभापति प्रमोद दुबे ने कुदाली चलाई। दुबे ने मंदिर समिति के लोगों से निर्माण कार्य में पूर्ण सहयोग करने का वादा किया। यानी दोनों प्राचीन मंदिर के पुर्ननिर्माण में कहीं न कहीं नगर निगम के दो बड़े नेता भूमिका निभाने जा रहे हैं। बांके बिहारी मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष डॉ. अशोक अग्रवाल ने घोषणा की कि “बांके बिहारी मंदिर का चबूतरा कभी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की बैठक का हिस्सा हुआ करता था। ये चबूतरा न सिर्फ़ रायपुर शहर बल्कि राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विषयों के विचार विमर्श का हिस्सा रहा। जिन सेनानियों की मंदिर के चबूतरे से यादगार स्मृतियां जुड़ी रही हैं उनकी तस्वीर नवनिर्मित मंदिर के एक हिस्से में ससम्मान लगाई जाएगी।“ यदि ऐसा हुआ तो यह छत्तीसगढ़ का पहला ऐसा मंदिर होगा जहां परम पिता परमात्मा के साथ स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की तस्वीरों से भी भक्तों को जुड़ाव होगा। इस तरह भगवान की भक्ति के साथ देश भक्ति का संदेश भी यह मंदिर देता नज़र आएगा।
तूता में बड़ी तकलीफें, धरना
स्थल पर फिर नये सूझाव
राजधानी रायपुर के धरना स्थल का मुद्दा मानो सुलझने का नाम ही नहीं ले रहा। जिला प्रशासन ने तय कर दिया है कि 100 से अधिक लोगों का धरना होगा तो तूता जाना होगा। 100 से कम रहे तो बूढ़ापारा में धरना दे सकते हैं। ज़्यादातर धरना आंदोलन में तो 100 से ज़्यादा लोग ही शामिल होते हैं। तूता में पहला धरना छत्तीसगढ़ नगरीय निकाय प्लेसमेंट कर्मचारी महासंघ का हुआ। कर्मचारी महासंघ के लोग जब धरना देने पहुंचे थे तो उनका गुस्सा फूट पड़ा था। उनका कहना था कि धरना के लिए पुराने रायपुर से 28 किलोमीटर दूर वाली जगह तूता तो तय कर दिए लेकिन वहां पर न पानी की व्यवस्था किए और न ही शौचालय की। आम आदमी पार्टी के नेता विजय कुमार झा जिनकी कर्मचारी राजनीति में भी ज़बरदस्त दख़ल रही है का कहना है कि “पंडरी बस स्टैंड की 14 एकड़ ज़मीन बेक़ार पड़ी है, वहां धरना स्थल क्यों नहीं बना देते। इसके अलावा पुराने रायपुर में रविशंकर विश्वविद्यालय के सामने 4 एकड़ डिपो की ज़मीन, सिद्धार्थ चौक में स्वीपर कॉलोनी की ज़मीन तथा सिंचाई कॉलोनी शांति नगर में खाली पड़ी ज़मीन भी तो है जिन्हें धरना स्थल बनाया जा सकता है।“ वहीं रायपुर नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे पहले ही कह चुके हैं कि “कमल विहार एवं दलदलसिवनी में बड़ा हिस्सा खाली पड़ा है जहां धरना स्थल बनाया जा सकता है।“
मेरे पति पुलिस में हैं
पिछले दिनों भाटागांव में लगे हैंडलूम मेले में वहां दुकान लगाए दुकानदारों के साथ एक महिला ने कुछ ऐसा व्यवहार किया जिसकी चर्चा रही। मेला स्थल पर कपड़ों, रोजमर्रा काम आने वाली वस्तुओं एवं खाने-पीने की दुकानें लगी हैं। एक महिला कुछ दुकानों पर गई। कहीं पर उसने कुछ खाया-पिया तो किसी से कुछ सामान खरीदा। वह जिस किसी स्टाल पर भी जाती दुकानदार से यही कहती रेट-वेट के बारे में हमें न समझाएं। मेरे हसबैंड पुलिस डिपार्टमेंट में हैं इसलिए हर तरह के लोगों से हमारा पाला पड़ते रहता है और सब जगह का भाव-ताव हमें मालूम रहता है। दुकानदारों से बातचीत के दौरान जब महिला यह देखती कि उसकी हरक़त को कोई देख रहा है तो वह चेहरे पर कपड़ा लपेट लिया करती। बताया जाता है कि इससे पहले वह खाने-पीने की दुकानों में पुलिस अफ़सर की बीवी होने का धौंस दिखाकर माल-टाल उड़ा लिया करती थी। जब कम्पलेन हुई तो कुछ दिनों के लिए उसका बंटी और बबली वाला यह खेल बंद रहा, लेकिन मौका देखकर अब उसने दोबारा ये सब शुरु कर दिया है।