मिसाल न्यूज़
डायरेक्टर अभिषेक सिंह की छत्तीसगढ़ी फ़िल्म ‘मैं दिया तैं मोर बाती’ 4 मार्च को छत्तीसगढ़ के सिनेमाघरों एवं मल्टीप्लेक्स में रिलीज़ होने जा रही है। यह फ़िल्म हॉरर के साथ एक प्रेम कहानी है। इसमें कॉमेडी है और मजबूत रिश्ते-नातों का चित्रण भी। अभिषेक सिंह कहते हैं- “यू ट्यूब पर ‘मैं दिया तैं मोर बाती’ के ट्रेलर एवं गानों को जो रिस्पॉस मिल रहा है उससे पूरी उम्मीद है कि इस फ़िल्म को दर्शकों का भरपूर प्यार मिलेगा। यह फ़िल्म सत्य घटना पर आधारित है।”
‘मिसाल न्यूज़’ से बातचीत के दौरान अभिषेक सिंह बताते हैं- “हिन्दी, भोजपुरी एवं छत्तीसगढ़ी तीनों ही सिनेमा से मेरा गहरा वास्ता रहा है। काफ़ी समय से छत्तीसगढ़ी के कई तरह के कॉसेप्ट दिमाग में आते रहे थे। सोचा क्यों न हॉरर पर काम किया जाए। छत्तीसगढ़ में अंधविश्वास के किस्से लगातार पढ़ने और सुनने मिलते रहते हैं। ‘मैं दिया तैं मोर बाती’ की जो कहानी है, इससे मिलती जुलती घटना बनारस के हथेरा गांव में घट चुकी है। उस गांव में रहने वाले मेरे एक दोस्त इस तरह के हादसे से होकर गुजरे थे। बस यही ‘मैं दिया तैं मोर बाती’ का आधार बना। मैंने इस पर कहानी तैयार की। फिर स्क्रीन प्ले एवं संवाद अंशुल अवस्थी एवं कौशल उपाध्याय ने मिलकर लिखे। प्रोड्यूसर पवन तातेड़ जी से जब इस पर बातचीत हुई तो उन्हें यह सब्जेक्ट काफी पसंद आया। उन्होंने बिना देर किए आर्टिस्टों का चयन कर शूट शुरु करने कहा। कहानी एक ऐसी नायिका पर केन्द्रित है जो प्रेत बाधा का शिकार हो जाती है और हीरो उसे इस संकट से बाहर निकाल लाता है। नायिका के रोल के लिए हमें अनिकृति चौहान ही सबसे बेहतर चेहरा लगीं। हीरो का करैक्टर शारीरिक रूप से काफ़ी मजबूत और जान पर खेल जाने वाला है, इसके लिए दिलेश साहू ही सबसे उपयुक्त थे। दिलेश एवं अनिकृति की जोड़ी पहली बार पर्दे पर आएगी और मुझे पूरा भरोसा है कि यह जोड़ी दर्शकों को पसंद आएगी।” आप हॉरर पर जोर दे रहे हैं, निश्चित रूप से ऐसे सब्जेक्ट के फ़िल्मांकन में आप नये तरह के अनुभव से गुजरे होंगे, यह पूछने पर अभिषेक बताते हैं- “हम लगातार 18 घंटे शूट करते थे। 13 दिन तो नाइट शूट चला। पूरी रात शूटिंग चलती थी। डरावने दृश्यों को जीवंत बनाने प्रवीर दास ने वीएफएक्स वर्क पर पूरी ताकत झोंक दी। प्रवीर लगातार मुम्बई के उन लोगों के संपर्क में रहे जिन्हें एनीमेशन में महाराथ हासिल है। ‘मैं दिया तैं मोर बाती’ जैसा वीएफएक्स अब तक किसी भी छत्तीसगढ़ फ़िल्म में नहीं हुआ है। फ़िल्म का सब्जेक्ट ऐसा था कि पूरी यूनिट पूरे उत्साह के साथ जी जान से काम में जूटी रही। दिलेश ने अपने किरदार में ख़ूब मेहनत की। यह फ़िल्म उसके ग्राफ को ख़ूब ऊपर ले जाएगी।”
हॉरर एवं प्रेम कहानी के अलावा और कौन सा हिस्सा होगा जो इस फ़िल्म का ख़ास माना जा सकता है, इस सवाल पर अभिषेक सिंह कहते हैं- “गीत संगीत।” अभिषेक बताते हैं- “इस फ़िल्म के गाने पीसी लाल यादव, चंद्रप्रकाश एवं हेमेन्द्र ने लिखे हैं और संगीत दिया है सुनील सोनी ने। गीतकारों की तरफ से हमारे पास 22 गाने आए थे, जिनमें से हमने 7 सैलेक्ट किए। इसके अलावा ‘मैं दिया तैं मोर बाती’ के ट्रेलर को काफ़ी बड़ी संख्या में न सिर्फ़ लोगों ने देखा अपितु सराहा भी। फ़िल्म का नाम ‘मैं दिया तैं मोर बाती’ ही क्यों, यह सवाल करने पर अभिषेक कहते हैं- “इसके पीछे भी कहानी है। मैं तेरह साल मुम्बई में रहा। वहां बतौर एसोसियेट डायरेक्टर कई सीरियलों के लिए काम किया, जिनमें प्रमुख रूप से ‘दीया बाती’, ‘बालिका वधू’, ‘देवों के देव महादेव’ एवं ‘साथ निभाना साथिया’ हैं। सीरियल ‘दीया बाती’ के पीछे बेहतरीन प्रेम कहानी थी। मैंने काफ़ी पहले सोच रखा था कि ‘दीया बाती’ का कहीं न कहीं इस्तेमाल ज़रूर करूंगा और ‘मैं दिया तैं मोर बाती’ से यह सौभाग्य प्राप्त हो गया।”