मिसाल न्यूज़
रायपुर। विधानसभा में आज विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार ने नौकरी देने के नाम पर बड़े-बड़े होर्डिंग्स जो टांग रखे हैं सच्चाई उससे एकदम अलग है। साढ़े चार लाख नौकरियां दिए जाने के दावे हो रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि 20 हजार 291 लोगों को ही रोजगार मिला है। इस पर सरकार की ओर से जो भी जवाब आए उससे भाजपा विधायकगण संतुष्ट नहीं हुए और नारेबाजी करते हुए सदन से वाक आउट कर गए।
प्रश्नकाल में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का सवाल था कि जनवरी 2019 से 31 जनवरी 2022 तक छत्तीसगढ़ सरकार ने कितने व्यक्तियों को प्रथम, व्दितीय, तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी पदों पर नियमित रूप से नई नियुक्तियां दी? क्या यह सही है कि अनियमित, संविदा, एवं दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नियमितिकरण के लिए प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में समिति बनाई गई है? यदि हां तो समिति की बैठक कब-कब हुई और उसके व्दारा क्या अनुशंसाएं की गईं? मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ओर से जवाब आया कि इस संबंध में जानकारी एकत्र की जा रही है। धरमलाल कौशिक ने कहा कि सभी श्रेणी के पदों को मिलाकर 20 हजार 291 हजार नियुक्तियां हुई हैं। बड़े-बड़े होर्डिंग्स जो लगाकर रखे गए हैं उनमें 4 लाख 65 हजार से अधिक नौकरियां देने के दावे हो रहे हैं। बिलासपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में भी मुख्यमंत्री ने 5 लाख से अधिक नियुक्तियां दिए जाने की बात कही है। आखिर वास्तविक स्थिति क्या है? मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्षवार के हिसाब से 20 हजार 291 पदों पर नियुक्तियों का यह आंकड़ा है। फिर रोजगार केवल शासकीय नहीं होते। कौशिक ने कहा कि रोजगार एवं नौकरी में अंतर होता है। मनरेगा में जो लोग मजदूरी करते हैं उसे भी रोजगार कहा जाता है।आपकी योजनाएं या तो होर्डिंग्स में हैं या अख़बारों में। आपने अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने जो कमेटी बनाई उसकी केवल एक बैठक 9 जनवरी 2020 को हुई। उसके बाद कोई बैठक नहीं हुई। कितने अनियमित कर्मचारी नियमित किए जाएंगे ताारीख या महीना ही बता दें? मुख्यमंत्री ने कहा कि नियमितिकरण के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से अनुशंसा की गई है। चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में है अतः विधि विभाग से परीक्षण कराया जा रहा है। एडवोकेट जनरल से अभिमत मांगा गया है। कौशिक ने कहा कि सन् 2018 के आपके जन घोषणा पत्र में अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने की बात कही गई थी। इसके लिए 2019 में कमेटी बनी। आज 2022 चल रहा है। भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री को ओर से नौकरी देने को लेकर जो दावे किए जाते रहे मेरे पास उसका वीडियो क्लीपिंग है। अनुमति हो तो उसे पटल पर रख सकता हूं। मुख्यमंत्री ने कहा कि लंबे समय तक कोरोना का प्रकोप रहा। सारे दफ्तर बंद रहे। उससे कहीं न कहीं भर्ती का भी काम प्रभावित रहा। शिवरतन शर्मा ने आरोप लगाया कि नौकरियों देने को लेकर वास्तिवक स्थिति क्या है सरकार इस पर जानकारी उपलब्ध कराना ही नहीं चाहती। नेता प्रतिपक्ष ने फिर दोहराया कि 2019 में कमेटी का गठन हुआ। केवल एक बैठक 2020 में हुई। अब तक इस पर रिपोर्ट नहीं आई। इसी से पता चलता है कि सरकार कितनी गंभीर है। इस मुद्दे पर काफ़ी देर तक सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के बीच तीखी बहस चलती रही। इसके बाद सरकार की ओर से सही जवाब नहीं आने का आरोप लगाते हुए सारे विपक्षी भाजपा विधायक नारेबाजी करते हुए सदन से वाक आउट कर गए।