0 विपक्ष का वॉक आउट
मिसाल प्रतिनिधि
रायपुर। विधानसभा में आज पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने आरोप लगाया कि श्रमिकों के हितों से जुड़ी जो मिनी माता योजना थी उसे इस सरकार ने बंद कर दिया। यह मिनी माता का अपमान है। सदन में बृजमोहन अग्रवाल एवं नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया के बीच जमकर बहस हुई। विपक्ष ने मंत्री डहरिया की तरफ से संतोषजनक उत्तर नहीं आने की बात कहते हुए वाक आउट किया।
प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल का सवाल था कि भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल में 1 जनवरी 2019 से 10 फरवरी 2022 तक पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के लिए कौन कौन सी योजनाएं प्रारंभ हैं व मशीन सायकल औजार कीट एवं सुरक्षा उपकरण के लिए कितने आवेदन प्राप्त हुए। प्राप्त आवेदन में से कितने हितग्राहियों को सामग्री प्रदान की गई। नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया की ओर से जवाब आया कि इस अवधि में 6 करोड़ 27 लाख 19 हजार 873 रुपये की सामग्री का वितरण किया गया। कोरोना संक्रमण काल में वित्त विभाग के निर्देश के कारण प्रदेश में लॉक डाउन स्थिति से विभिन्न विभागों में संचालित योजनाओं की स्वीकृति जारी करने हेतु वर्तामन में निर्धारित प्रक्रिया को आगामी आदेश तक स्थगित रखते हुए केवल अति आवश्यक कार्यों को स्वीकृति जारी करने हेतु निर्देश वर्तमान में लागू हैं। यही कारण है कि सामग्री वितरण योजनाओं में किसी तरह का लाभ प्रदान नहीं किया गया है। बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि कोरोना काल में श्रमिकों के नाम पर 600 करोड़ जमा था उसमें से 1 रुपये भी नहीं बांटा गया। इस पर डॉ. डहरिया जब जवाब दे रहे थे बोलते बोलते उनकी आवाज कुछ तेज हो गई। बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि दूसरे विभाग के प्रश्नों पर बोलने के लिए तो ये खूब खड़े होते हैं आज खुद के विभाग का प्रश्न है तो जवाब देते नहीं बन रहा है। जवाब देने का यही ढंग रहा तो विपक्ष को आगे मजबूरन बहिष्कार जैसा निर्णय लेना पड़ेगा। इस बीच भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने तेज लहजे में कोई सवाल पूछा तो मंत्री डहरिया ने कहा कि ठीक से बात करें। साथ ही डहरिया तूम शब्द का इस्तेमाल कर गए। तूम शब्द पर चंद्राकर ने गहरी आपत्ति दर्ज कराई। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि बाकी मंत्रियों के विभागों से संबंधित प्रश्न होता है तो मंत्री बीच-बीच में टोकाटाकी करते हैं अपने विभाग का प्रश्न सामने होता है तो अटक जाते हैं। बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि मंत्री व्दारा श्रमिकों पर खर्च को लेकर अलग-अलग समय पर अलग अलग आंकड़े बताए जाते हैं। मिनी माता योजना इन्होंने बंद कर दी, जबकि यह खुद उसी समाज से हैं। यह मिनी माता का अपमान है। इस सरकार ने मजदूरों के पैसे को रोका। मेरे पास दो मंत्रियों के पत्र हैं जो खुद मजदूरों के पैसे को उनके खाते में डाले जाने के पक्ष में थे। ये कहते हैं कि वित्त विभाग ने रोक लगाई थी। स्पष्ट करें कि किस तरह की रोक थी। क्या वित्त विभाग को इस तरह की रोक लगाने का अधिकार है। डॉ. डहरिया ने कहा कि कोरोना काल में 7 लाख मजदूर बाहर से आए। उनके खातों में 11 करोड़ से ज्यादा जमा किए गए। वित्त विभाग व्दारा रोक 12 मई 2020 को लगाई गई थी। बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि हमारे समय में सन्निर्माण कर्मकार मंडल से जुड़ी 36 योजनाएं थीं। इनमें से मिनी माता समेत कुछ अन्य महत्वपूर्ण योजनाएं इन्होंने बंद कर दी। सरकार मजूदरों के पैसे पर कुंडली मारकर बैठ गई है। सातवीं बार यह विषय चर्चा में आया है। 22 लाख किसानों के धान खरीदने की चर्चा तो यह सरकार बढ़-चढ़कर करती है लेकिन 20 लाख मजदूरों की चर्चा करने से इन्हें परहेज है। भाजपा विधायकगण मंत्री की ओर से संतोषजनक उत्तर नहीं आने की बात कहते हुए सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे तथा कुछ देर बाद और कड़ा विरोध जताते हुए सदन से वाक आउट कर गए।