मिसाल न्यूज़
रायपुर। नये रायपुर में आंदोलनरत बुजुर्ग किसान की मौत का मामला आज विधानसभा में जमकर उठा। विपक्षी भाजपा विधायकों ने सवाल उठाया कि उत्तरप्रदेश के लखीमपुर में किसान की मौत होती है तो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री 50 लाख का मुआवजा देकर आते हैं फिर छत्तीसगढ़ के किसान की मौत पर मात्र 4 लाख का मुआवाज क्यों? विपक्ष ने इस पर स्थगन लाया था जिसे विधानसभा अध्यक्ष व्दारा अग्राह्य कर दिया गया। विपक्ष ने इस पर हंगामा शुरु कर दिया। सभापति को सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।
शून्यकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि 27 गांवों के किसान पिछले 70 दिनों से आंदोलनरत हैं। उन पर लाठियां बरसाई जा रही हैं। उन्हें खदेड़ा जा रहा है। दिल्ली में जब किसान आंदोलन चल रहा था यहां से चावल भेजते रहे। लखीमपुर में जाकर 50 लाख का मुआवजा दिए, जहां न तो आपका सीएम है और न ही आपकी सरकार है। यहां मृत किसान के परिवार को 4 लाख देकर उसका खूब वीडियो वायरल करवाया गया। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि कांग्रेस की ओर से बार बार दावा होता है कि वह किसानों की सरकार है। पिछले 3 सालों में सबसे ज्यादा प्रताड़ित किसान ही हुआ है। 600 से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं। आंदोनरत किसानों को बैरिकेट्स के भीतर ऐसे घेरकर रख दिया गया है मानो वह अपराधी हों। पूर्व मंत्री एवं विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि विधानसभा से 15-20 किलोमीटर दूर पर मंत्रालय है और मंत्रालय से 2 किलोमीटर की दूरी पर पिछले 70 दिन से किसान आंदोलनरत हैं। सरकार इन आंदोलनकारी किसानों से चर्चा तक के लिए तैयार नहीं है। उन किसानों को घेरे में लेकर उन पर लाठीचार्ज किया जाता है। उनके इर्द गिर्द दो किलोमीटर का घेरा बना दिया गया है मानो वे आतंकवादी हों। जैसे गाय बैल भैंस को कॉजी हाउस में रखा जाता है वैसे ही किसानों को भी घेरा बनाकर मानो कॉजी हाउस में रख दिया गया है। दिल्ली में आंदोलन करने वाले किसानों को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करने वाले कांग्रेस नेता अब कहां हैं? यहां के किसानों ने जो खून पसीना लगाकर जमीन तैयार की थी उसे नई राजधानी के निर्माण के लिए दे दी। बहुत से बुजुर्ग एवं बीमार किसान भी इस आंदोलन में शामिल हैं। इन किसानों की मांगों को अनसुना किया गया तो आने वाला समय काफ़ी भयावह होगा। मुख्यमंत्री किसान सियाराम पटेल की मौत पर 1 करोड़ का मुआवजा दें और उनके परिवार के एक सदस्य को नौकरी दें।
भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि पिछले दो महीने से नया रायपुर में किसान आंदोलनरत हैं। कांग्रेस की सरकार बनने से पहले तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल, धनेन्द्र साहू, टी.एस. सिंहदेव एवं पी.एल.पुनिया ने उस समय आंदोलनरत किसानों से वादा किया था कि जिस दिन कांग्रेस की सरकार बनेगी उनकी सभी मांगों को पूरा किया जाएगा। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद भी उनकी मांगें पूरी नहीं हुई। 11 मार्च को आंदोलन में शामिल किसान सियाराम पटेल की मौत हो गई। उत्तरप्रदेश के लखीमपुर में किसान की मौत होती है तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 50 लाख का मुआवजा देते हैं और यहां किसान की मौत हुई तो मात्र 4 लाख मुआवजे की घोषणा की। छत्तीसगढ़ का किसान मरता है तो उसके घर जाने तक की फुरसत मुख्यमंत्री के पास नहीं है। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि किसान आंदोलन महाराष्ट्र एवं उत्तरप्रदेश में ज्यादा हुआ करते थे। अब इनमें छत्तीसगढ़ भी शामिल हो गया है।
नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया ने कहा कि आंदोलनरत किसानों से 4 बार सरकार की चर्चा हो चुकी है। उनकी 8 में से 6 मांगें मान ली गई हैं। जनता कांग्रेस विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा कि जब रोम जल रहा था नीरो बंशी बजा रहा था कुछ ऐसा ही हाल छत्तीसगढ़ का हो गया है। क्या लखीमपुर में चुनाव था इसलिए 50 लाख देकर आए थे? यहां के मृत किसान के परिवार को मात्र 4 लाख क्यों?
किसान की मौत वाले इस मुद्दे पर भाजपा विधायकगण नारायण चंदेल, पुन्नूलाल मोहले, डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी, सौरभ सिंह, रजनीश कुमार सिंह, श्रीमती रंजना डिपेन्द्र साहू एवं बसपा विधायक श्रीमती इंदू बंजारे ने भी अपनी बात रखी और लाए गए स्थगन को ग्राह्य करने की मांग की।
सभापति लखेश्वर बघेल ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने इस स्थगन को अपने कक्ष में अग्राह्य कर दिया है। यह सुनते ही विपक्षी भाजपा विधायकों ने हंगामा मचाना शुरु कर दिया। सभापति को सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।