‘माटी पुत्र’ में किसान व मजदूर पर अत्याचार करने वालों के खिलाफ़ हीरो खड़ा हो उठता है- शिवा साहू

मिसाल न्यूज़

12 जनवरी को रिलीज़ होने जा रही फ़िल्म ‘माटी पुत्र’ से छत्तीसगढ़ी सिनेमा में एक और नये हीरो शिवा साहू की तूफानी इंट्री होने जा रही है। तूफानी इसलिए कि शिवा जमकर एक्शन करते दिखेंगे। फ़िल्म की कहानी भी शिवा ने ही लिखी है। शिवा कहते हैं- “माटी पुत्र में किसान-मजदूर के साथ हो रहे अन्याय को देखकर हीरो अत्याचारियों के खिलाफ़ खड़ा हो उठता है।“

‘मिसाल न्यूज़’ की हाल ही में शिवा साहू से बातचीत हुई जिसके मुख्य अंश यहां प्रस्तुत हैं-

0 क्यूं लगा कि अभिनेता बनना है और कैरियर की शुरुआत करने के लिए खुद की ही कहानी चुनने के पीछे मक़सद क्या है…

00 मेरा बचपन मुढ़पार (सुरगी) में नाना स्व. हेमराय साहू के घर बीता। गांव में राम लीला मंडली थी। मैं उस राम लीला मंडली से जुड़ गया। राम लीला की रोज रिहर्सल हुआ करती थी। कुछ ऐसा हुआ कि भगवान राम का किरदार जो शख़्स कर रहा था वह अक्सर ग़ायब रहने लगा। इससे राम लीला की तैयारी ठीक से नही हो पा रही थी। छोटे-मोटे किरदार करने वाले मुझ जैसे व्यक्ति से मंडली के मुखिया ने पूछा कि तूम राम का किरदार कर लोगे? रिहर्सल के दौरान रामायण के सारे किरदारों के डायलॉग मुझे याद हो चुके थे, इसलिए मुझे यह कहने में देर नहीं लगी कि हां, मैं कर लूंगा। दशहरा के दिन जब राम लीला हुई तो राम के किरदार में मैं दर्शकों के सामने था। शायद यहीं से मेरे भीतर आत्मविश्वास जगा कि अभिनय के क्षेत्र में मैं कुछ बड़ा काम कर सकता हूं। जब मैं 12 वीं क्लास में था स्कूल स्तर पर राज्य स्तरीय नाट्य प्रतियोगिता हुई। पर्यावरण पर हमने नाटक तैयार किया था। जे.आर.डी. पब्लिक स्कूल दुर्ग में उसका प्रदर्शन हुआ। वह ड्रामा फर्स्ट आया था। ड्रामे में मेरा महत्वपूर्ण किरदार था। मंच पर तो अभिनय चल ही रहा था, साथ ही कुछ-कुछ लिखने भी लगा। 2020 में जब कोविड आया तो ‘माटी पुत्र’ की कहानी लिखने की शुरुआत हो चुकी थी। सिनेमा में जाना है यह तो तय था, साथ ही यह भी तय कर लिया था कि खुद की लिखी कहानी पर फ़िल्म बनानी है।

0 तो क्या ‘माटी पुत्र’ की कहानी आसानी से तैयार हो गई थी…

00 मुझे सच कहने में कोई हिचक नहीं कि इस कहानी को अलग-अलग समय में मैंने तीन बार लिखा। फिर नवीन देशमुख ने इसकी पटकथा व संवाद लिखे। हम दोनों के बीच काफ़ी डिसक्शन चला। नवीन को भी अंतिम रूप देने इसे 3 बार कागज़ों पर उतारना पड़ा। यह कह सकते हैं कि ‘माटी पुत्र’ की कहानी छह बार लिखने के बाद अंतिम रूप ले पाई।

0 कहानी में क्या दर्शाने की कोशिश की गई है…

00 मजदूर-किसान की कहानी है। दिखाया गया है किस तरह ग़रीब किसानों की ज़मीन हथियाने लोग नज़रें गड़ाए रहते हैं। अन्याय के खिलाफ़ संघर्ष की कहानी है।

0 मुस्कान साहू लंबे समय बाद इस फ़िल्म में आपके साथ पर्दे पर नज़र आने वाली हैं। उनके साथ अनुभव कैसा रहा…

00 मुस्कान के बारे में कहा जा सकता है कि उनमें जन्मजात प्रतिभा है। पर्दे पर हमारी जोड़ी एकदम फिट नज़र आए इसके लिए कई बार रिटेक भी हुए, लेकिन किसी भी सीन को हमने कमज़ोर नहीं होने दिया। जब फ़िल्म देखेंगे आपको इस बात का यक़ीन हो जाएगा।

0 डायरेक्टर संतोष देशमुख की भी यह पहली फ़िल्म है। उन पर क्या कहेंगे…

00 इस फ़िल्म से पहले कुछ फ़िल्मों में वे असिस्टेंट डायरेक्टर रहे थे। उनके लिए यह पहला बड़ा प्रोजेक्ट था। फ़िल्म के लिए जो कुछ अच्छा बन पड़ सकता था वह सब उन्होंने किया।

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