कारवां (28 जनवरी 2024)- ● साव व चंदेल ने तो पहले ही कह दिया था बुलडोजर चलेगा ●17 सालों बाद सीएम नहीं कोई और पेश करेगा बजट ● बृजमोहन पता करवाएंगे कहां से गुजरे थे श्री राम ● वाह रे छपास रोग ● एकड़ों में माननीयों के बंगले, क्या होगा खज़ाने का हाल ●पल्लव का फर्जी फेस बुक अकांउट ● गोपनीय तरीके से ‘सुकवा’ की शुरुआत

■ अनिरुद्ध दुबे

भाजपा नेता व पखांजूर नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष असीम राय हत्याकांड के मुख्य आरोपी पार्षद विकास पाल के होटल को प्रशासन ने बुलडोजर चलाकर ढहा दिया। इसके ठीक 3 दिन बाद कवर्धा से लगे ग्राम लालपुर निवासी साधराम यादव की गला रेतकर निर्मम हत्या करने वाले मुख्य आरोपी अयाज खान के मकान व दुकान पर बुलडोजर चलवाया गया। छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने के बाद एक ही हफ्ते के भीतर बुलडोजर चलाकर निर्माण ढहाने के ये दो मामले सामने आए हैं। उल्लेखनीय है कि बुलडोजर परंपरा की शुरुआत उत्तरप्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने की। उसके बाद मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार में शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री थे, तब बुलडोजर चलाकर गंभीर अपराधों से जुड़े अपराधियों के निर्माण को तोड़ गिराने का उदाहरण पेश किया गया था। जहां तक छत्तीसगढ़ की बात है तो विपक्ष में रहते हुए तत्कालीन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव एवं तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने अलग-अलग मौकों पर कहा था कि “भाजपा की सरकार बनी तो बड़े अपराधियों के अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलवाने में कोई कसर बाक़ी नहीं रखेंगे।“ साव व चंदेल का यह कथन टीवी चैनलों के डिबेट का विषय भी बना था। फिर परिस्थितियां तेजी से बदलीं और कांग्रेस की सरकार चली गई। भाजपा की सरकार बनी तो बुलडोजर चलने के दो उदाहरण सामने आ ही गए। यानी किसी ने गंभीर प्रकृति का अपराध किया तो उस पर बुलडोजर चलने का खतरा मंडराते रहेगा।

17 सालों बाद सीएम नहीं

कोई और पेश करेगा बजट

छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र 5 फरवरी से शुरु होने जा रहा है, जो कि 1 मार्च तक चलेगा। बजट को अंतिम रूप दिया जा चुका है। इस बार का सत्र अलग हटकर इसलिए होगा कि बजट मुख्यमंत्री विष्णु देव साय नहीं बल्कि वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी पेश करेंगे। यानी 17 सालों बाद मुख्यमंत्री नहीं अलग से बने वित्त मंत्री बजट पेश करेंगे। उल्लेखनीय है कि पूर्व में डॉ. रमन सिंह एवं भूपेश बघेल मुख्यमंत्री रहे थे तो भारसाधक वित्त मंत्री के रूप में बजट पेश करते रहे थे। इतिहास खंगालकर देखें तो छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद अजीत जोगी मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने सीनियर विधायक रामचंद सिंहदेव को वित्त मंत्री बनाया था। सिंहदेव ने 2001, 2002 एवं 2003 में बजट पेश किया था। 2003 में सत्ता परिवर्तन हुआ और भाजपा की सरकार बनी। तब मुख्यमंत्री बने डॉ. रमन सिंह ने वित्त मंत्री का दायित्व अमर अग्रवाल को सौंपा था। अग्रवाल ने वित्त मंत्री की हैसियत से 2004, 2005 एवं 2006 में बजट पेश किया था। फिर कुछ ऐसी राजनीतिक उठापटक हुई कि अग्रवाल वित्त मंत्री पद से हटा दिए गए थे और यह विभाग तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने स्वयं अपने पास रख लिया। इसके बाद भारसाधक वित्त मंत्री के रूप में डॉ. रमन सिंह ने 2007 से लेकर 2018 तक लगातार 12 बार बजट पेश किया था। 2018 में कांग्रेस की सरकार आने के बाद भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने डॉ. रमन सिंह की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए वित्त विभाग अपने ही पास रखा और पांच बार बजट पेश किया। लंबे समय बाद अब वित्त विभाग मुख्यमंत्री के पास न होकर अलग से बनाए गए वित्त मंत्री के पास है।

बृजमोहन पता करवाएंगे

कहां से गुजरे थे श्री राम

ख़बर यह है कि भूपेश बघेल सरकार के समय में राम वन गमन परिपथ के लिए जो स्थान चिन्हित किए गए थे उस पर संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने संदेह जताया है। 22 तारीख़ को अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन चंदखुरी के कौशल्या माता मंदिर में भी कार्यक्रम रखा गया था। बताते हैं चंदखुरी वाले कार्यक्रम में बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि “पिछली सरकार के समय में राम वन गमन परिपथ के लिए जो स्थान चिन्हित किए गए उनमें से कुछ स्थान सही नहीं हैं। हमारी सरकार अपने स्तर पर सही स्थानों का पता लगाएगी जहां से भगवान राम गुजरे।“ इधर, कांग्रेसी भी कहां चूप बैठने वाले हैं। उन्होंने कहना शुरु कर दिया है कि “पूर्व में जब भाजपा की सरकार रही थी बृजमोहन अग्रवाल ने नया राजिम कुंभ गढ़ दिया था। राजिम में तो देवताओं के कलश से अमृत की बूंदें छलकने की कहीं कोई कहानी कभी सुनने नहीं मिली। ऐसे में कैसे मान लिया जाए कि राजिम कुंभ सही था।“

वाह रे छपास रोग

प्रदेश में भाजपा की तीसरी बार सरकार थी तब तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने एक बार कलेक्टर कांफ्रेंस में कहा था कि “कुछ अफ़सरों की भूमिका फील्ड पर प्रशासनिक कम राजनीतिक ज़्यादा नज़र आने लगी है। राजनीति का इतना ही शौक है तो एक काम करें अफ़सरी छोड़कर हमारे साथ आ जाएं।” डॉ. रमन सिंह ने यह वाक्य काफ़ी तीखे व्यंग्यात्मक लहज़े में कहा था लेकिन लगता है अब भी ज़्यादा कुछ नहीं बदला है। कुछ अफ़सरों का अंदाज़ नेताओं जैसा नज़र आने लगा है। सर्दी-जुकाम के इस मौसम में इन अफ़सरों को छपास रोग इस कदर घेरा हुआ है कि फोटो खिंचवाने में कोई कसर बाक़ी नहीं रखी जा रही है। रायपुर संभाग में पदस्थ एक आईएएस अफ़सर तो फील्ड में रहते हुए फोटो खिंचवाने का एक अलग ही रिकॉर्ड बनाने जा रहे हैं। पूर्व में एक महामहिम की पत्नी के बारे में कहा जाता था कि यदि कसी कार्यक्रम में सरकारी या प्रेस फोटोग्राफर पहुंचे हुए रहते थे तो आसपास खेलते कुदते किसी भी बच्चे को गोद में उठाकर फोटो खिंचवाने का मौका नहीं छोड़ती थीं। रायपुर संभाग में पदस्थ इस अफ़सर के बारे में कहा जा रहा है कि फोटो खिंचवाओ अभियान में तो इन्होंने उन महामहिम की पत्नी को भी पीछे छोड़ दिया है।

एकड़ों में माननीयों के बंगले

क्या होगा खज़ाने का हाल

चर्चा यही है कि नया रायपुर में साढ़े सात एकड़ में मुख्यमंत्री निवास, 14 एकड़ में राज भवन एवं 51 एकड़ में विधानसभा भवन बन रहा है। सीएम हाउस की लागत 90 करोड़, राज भवन की लागत 120 करोड़ एवं नया विधानसभा भवन की लागत 275 करोड़ अनुमानित है। प्रदेश कर्ज़े में डूबा हुआ है। चुनाव के समय ऐसे बड़े-बड़े वादे किए जा चुके हैं कि सरकारी खज़ाने पर अतरिक्त भार पड़ना ही है। ऐसे में सवाल यही उठ रहा है कि क्या शासन एवं प्रशासन से जुड़े लोगों के लिए पानी की तरह पैसा बहाया जाना ज़रूरी है। इस पर छत्तीसगढ़ के एक प्रतिष्ठित यू ट्यूब चैनल के सम्मानित संपादक ने विस्तृत रिपोर्ट पेश करते हुए कितने ही सवालिया निशान लगाए हैं। यही नहीं सम्मानित संपादक ने मीडिया से जुड़े कुछ लोगों की भी बधिया उधेड़ते हुए कहा कि राजशाही अंदाज़ में हो रहे इन निर्माणों की बढ़-चढ़कर प्रशंसा के अंदाज़ में ख़बरें छापी जा रही हैं। मीडिया जुड़े इन लोगों का सरकार के ऐसे कामों का इस तरह स्तुति गान करना समझ से परे है।

पल्लव का फर्जी

फेस बुक अकांउट

फर्जी फेस बुक आईडी बनाने वालों का यह हाल है कि वो बड़े नेताओं और अफ़सरों को भी नहीं बख्श रहे हैं। कुछ नहीं तो किसी फर्जी इंसान ने मीडिया से दोस्ताना संबंध रखने वाले आईपीएस अफ़सर डॉ. अभिषेक पल्लव का ही फर्जी फेस बुक अकाउंट बना डाला है। पल्लव के उस फर्जी फेस बुक एकाउंट में हज़ार से ऊपर मित्र बन चुके हैं। उस फर्जी अकाउंट से किसी का हाल-चाल पूछा जा रहा है तो किसी का मोबाइल नंबर मांगा जा रहा है। यानी पुलिस का चेहरा लगाकर फर्जी लोग तरह-तरह का खेल खेलने से बाज नहीं आ रहे हैं।

गोपनीय तरीके से

‘सुकवा’ की शुरुआत

राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फ़िल्म ‘भूलन द मेज़’ के निर्देशक मनोज वर्मा ने बिना किसी शोर शराबे के अपनी नई फ़िल्म ‘सुकवा’ का निर्माण शुरु कर दिया है। ख़बर यही है कि इस फ़िल्म में मुख्य भूमिकाओं में मन कुरैशी एवं दीक्षा जायसवाल हैं। जानी-मानी गायिका गरिमा दिवाकर फ़िल्म में एक अहम् किरदार निभाने जा रही हैं। अन्य प्रमुख कलाकार पुष्पेंद्र सिंह, संजय महानंद, विनय अंबष्ट, ओमी, हेमलाल कौशल, मनोज जोशी, क्रांति दीक्षित, पप्पू चंद्राकर, संतोष निषाद बोचकू, अंजलि सिंह, अनुराधा दुबे एवं उपासना वैष्णव हैं। संगीत सुनील सोनी का है। चर्चा है कि इस फ़िल्म को शुरु करने से पहले मनोज वर्मा ने बस्तर के कुछ स्थानों पर जाकर रिसर्च किया। फ़िल्म की कहानी बाहर नहीं आने पाए इसको लिए पूरी गोपनीयता बरती जा रही है।

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