कारवां (24 मार्च 2024) ● दुर्ग जिले के 3 धुरंधर अलग-अलग जगहों से लड़ रहे चुनाव… ● इवेन्ट वाले नेता जी… ● बृजमोहन का लोकसभा लड़ना और प्रमोद, कन्हैया व सनी की सक्रियता… ● नई मैडम को पढ़ पाना मुश्किल… ● जोन कमिश्नरों का रायपुर से बाहर तबादला… ● प्रेस क्लब में बिना बंटे भी ख़ूब जमा होली का रंग…

■ अनिरुद्ध दुबे

दुर्ग जिले के 3 धुरंधर। यह भी कह सकते हैं कि दुर्ग लोकसभा क्षेत्र के 3 दिग्गज नेता। ये तीनों नेता अन्य लोकसभा क्षेत्रों में जाकर चुनाव लड़ रहे हैं। तीनों लोकसभा सीटें हाई प्रोफाइल हैं और सुर्खियों में हैं। भूपेश बघेल राजनांदगांव, ताम्रध्वज साहू महासमुन्द एवं सरोज पांडे कोरबा से चुनाव लड़ रही हैं। गौर करने लायक बात यह भी है कि ताम्रध्वज साहू एवं सरोज पांडे दोनों पूर्व में दुर्ग से सांसद भी रह चुके हैं। राजनांदगांव क्षेत्र से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का चुनाव लड़ना यानी सीधे पूर्व मुख्यमंत्री एवं विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के क्षेत्र में चुनौती पेश करना है। कोरबा में छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत की पत्नी श्रीमती ज्योत्सना महंत एवं वरिष्ठ भाजपा नेत्री सरोज पांडे आमने सामने होंगी। वहीं भाजपा ने जहां महासमुन्द से पूर्व विधायक रूपकुमारी चौधरी को चुनावी मैदान में उतारा है, वहीं ओबीसी फैक्टर को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने ताम्रध्वज साहू को प्रत्याशी बनाया है। यह अलग बात है कि कांग्रेस के भीतर ही बहुत से लोग यह कहते नज़र आ रहे हैं कि पूर्व मंत्री धनेन्द्र साहू भी महासमुन्द लोकसभा क्षेत्र से बेहतर उम्मीदवार हो सकते थे।

इवेन्ट वाले नेता जी

लोकसभा चुनावी मैदान में उतरे एक राष्ट्रीय पार्टी के युवा प्रत्याशी की महिमा अपरम्पार है। इनका इवेन्ट पर गहरा विश्वास है। चुनाव प्रचार के दौरान नेता जी कभी किसी गाड़ी पर सवार होते हैं तो कभी किसी गाड़ी पर। कोई आज से नहीं बरसों से खुद को राष्ट्रीय स्तर का नेता कहते आ रहे हैं। नेताजी को कम खर्च में ज़्यादा रिज़ल्ट लाने की कला भी आती है। प्रचार में जिस कस्बे या गांव में जाते हैं वहां पहले बैठक लेते हैं। बाद में वहीं बैठक में मौजूद लोगों से कहते हैं चलो लगे हाथ रैली भी निकाल लें। और इस तरह रैली भी निकल जाती है। पहले से रैली की प्लानिंग करनी पड़े तो फिर नाश्ता, चाय और न जाने किस-किस चीज की व्यवस्था करनी पड़े। वैसे तो नेता जी हर दृष्टि से सक्षम हैं, लेकिन वह अच्छी तरह सोच पा रहे हैं कि कितना भी ‘अर्थ’ लगा लो रिज़ल्ट मनमाफ़िक मिल पाएगा, इसकी क्या गारंटी! इसलिए बैठक के तूरंत बाद रैली निकाल लेने जैसे नुस्खों में ही भलाई है।

बृजमोहन का लोकसभा

लड़ना और प्रमोद, आकाश,

कन्हैया व सनी की सक्रियता

भाजपा के कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल का लोकसभा चुनाव लड़ना क्या तय हुआ उनकी रायपुर दक्षिण सीट पर कांग्रेस के कुछ जाने-पहचाने चेहरे नई संभावनाएं तलाशने में लग गए हैं। लोकसभा चुनाव जीतने के बाद यदि मोहन भैया रायपुर दक्षिण सीट छोड़ते हैं तो दिसंबर महीने के आसपास उप चुनाव होगा। कांग्रेस नेता मान रहे हैं कि जब मोहन भैया जैसी बड़ी चुनौती सामने नहीं रहेगी तो हो सकता है दक्षिण से कांग्रेस की जीत का खाता खुल जाए। बताया तो यही जा रहा है कि नगर निगम सभापति प्रमोद दुबे समेत प्रदेश युवक कांग्रेस अध्यक्ष आकाश शर्मा, कन्हैया अग्रवाल एवं सनी अग्रवाल जैसे कांग्रेस नेता दक्षिण में फिर सक्रिय हो गए हैं।

नई मैडम को

पढ़ पाना मुश्किल

बात पढ़ाई-लिखाई वाले विभाग की है। नई मैडम के आने के बाद अधिनस्थ अधिकारी-कर्मचारी सब उलझन में हैं। कारण, महोदया की कड़ाई। पहले विभाग में जो भी साहब आते रहे थे फाइलों को थोड़ा बहुत उलटने-पलटने के बाद उस पर दस्तख़त कर दिया करते थे। लेकिन अब फाइलें टेबल पर पहुंचती है तो मैडम की तरफ से कोई न कोई सवाल होता है। अधिनस्थ लोग जानते हैं कि सवालों पर तुरत-फुरत में ज़वाब भी नहीं दिया जा सकता। आनन-फानन में ग़लत ज़वाब निकल गया तो बुरे फंसे। पूर्व में जो बड़े साहब लोग आते रहे थे तो उनके चेहरे के हाव-भाव को देखकर नीचे क्रम के लोग समझ जाया करते थे कि आका खुश हैं, गंभीर हैं, नाराज़ हैं या किसी और दुनिया में खोए हुए हैं। यहां तो महोदया के चेहरे पर एक्सप्रेशन हमेशा एक सा बने रहता है। ऐसे में उनके मनोभाव को कोई पढ़े भी तो कैसे…

जोन कमिश्नरों का

रायपुर से बाहर तबादला

रायपुर नगर निगम के इतिहास में शायद ऐसा पहली बार हुआ होगा कि तीन जोन कमिश्नर समेत एक अन्य बड़े अफ़सर का एक ही समय में सीधे रायपुर से बाहर तबादला हो गया हो। शताब्दी नगर में सामुदायिक भवन का जो विवाद उभरा उसे शासन ने गंभीरता से लिया और जोन दस के कमिश्नर दिनेश कोसरिया को छत्तीसगढ़ी के अंतिम छोर भोपालपट्टनम भेज दिया गया। भाजपा की सरकार आने से पहले कोसरिया की जोन 10 में इतनी मज़बूत पकड़ थी कि बाक़ी नौ जोनों में कमिश्नर इधर से उधर कर दिए जाते थे, लेकिन उनकी तरफ निगाह घुमाने तक की किसी की हिम्मत नहीं होती थी। वहीं जोन 5 के कमिश्नर सुशील चौधरी के खिलाफ़ उन्हीं के जोन के अफ़सरों एवं कर्मचारियों ने यह कहते हुए बग़ावत कर दी थी कि इतना सख़्त व्यवहार नहीं चलेगा। बग़ावत वाली बात शासन तक पहुंच गई जिसकी परिणति तबादले के रूप में सामने आई। कांग्रेस शासनकाल में तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री शिव कुमार डहरिया के अधिनस्थ कार्यरत रहे अरुण साहू जो कि सरकार बदलने के बाद निगम मुख्यालय आ गए थे उन्हें बिलासपुर नगर निगम भेजा गया है। रायपुर में ही जोन क्रमांक 1 के कमिश्नर रहे एन.आर. चंद्राकर कुम्हारी नगर पालिका भेजे गए हैं। हल्ला तो जोन 4 के कमिश्नर राकेश शर्मा के भी तबादले का था लेकिन वह हल्ला ही रहा। अंदर के सूत्र बताते हैं कि कुछ पार्षदों को एक और अफ़सर खटके हुए हैं। ऊपर बैठे लोगों को इनकी अलग-अलग तरह की कहानियां सुनाई जा चुकी हैं, जिसमें भूतकाल भी है और वर्तमानकाल भी। अभी चुनावी शोर है, इसलिए तुरत-फुरत में कुछ होने की संभावना नहीं है। लोकसभा चुनाव के बाद किसकी दृष्टि वक्र हो जाए, कौन जाने!

प्रेस क्लब में बिना बंटे भी

ख़ूब जमा होली का रंग

रायपुर प्रेस क्लब में सत्ता परिवर्तन के बाद न जाने कितने ही बदलाव दिखने लगे हैं। प्रेस क्लब अध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर एवं महासचिव वैभव शिव पांडे ने पहले ही कह रखा था कि होली पर प्रेस क्लब में रंग-गुलाल, नाच-गाना जैसा पहले चलता था वह तो चलेगा लेकिन जैसे पहले बंटा करती थी वह इस बार नहीं बंटेगी। शनिवार को दोपहर से शाम ढलते तक प्रेस क्लब में होली मिलन का धूम धड़ाका चलते रहा। पदाधिकारियों ने जैसा कि कह रखा था वैसा ही हुआ। नहीं बंटी तो नहीं बंटी। सात्विक नाश्ते पानी एवं ठंडाई की ज़रूर व्यवस्था थी, जिसका कि पत्रकार भाईयों और बहनों ने भरपूर लुत्फ़ उठाया।

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