मिसाल न्यूज़
प्रोड्यूसर गजेन्द्र श्रीवास्तव अपनी ख़ास लाइफ स्टाइल के लिए जाने जाते हैं। रंग-बिरंगे कपड़े और सिर पर हैट के कारण भीड़ में भी औरों से अलग नज़र आते हैं। मृदुभाषी हैं। चेहरे पर हमेशा मुस्कुराहट बनी रहती है। फिर इन दिनों तो उनका उत्साह देखते ही बन रहा है। आख़िर ऐसा क्यों न हो। उनकी छत्तीसगढ़ी फ़िल्म ‘मारे डारे मया म’ न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि अमेरिका में प्रदर्शित जो होने जा रही है। हाल ही में गजेन्द्र जी से रायपुर में मुलाक़ात हुई और उनसे जुड़ी सच्ची कहानी सुनने का मौका मिला।
गजेन्द्र श्रीवास्तव बताते हैं- “मैं कोरबा का रहने वाला हूं, लेकिन मेरे पूर्वज सक्ती में रहे। दादा कृष्णलाल श्रीवास्तव जी सक्ती स्टेट के आम मुख्तयार थे। उनके अधिकार क्षेत्र में 464 गांव आते थे। परदादा प्यारेलाल श्रीवास्तव जी सक्ती स्टेट में पुलिस के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट थे। मेरी स्कूली पढ़ाई और ग्रेजुएशन सक्ती में हुआ। जांजगीर कॉलेज से एलएलबी किया। एलएलबी हो जाने के बाद 3 साल सक्ती में वकालत किया। 1982 से कोरबा में वकालत करते रहा हूं। भले ही वक़्त कोर्ट कचहरी में बीतते रहा लेकिन भीतर से यही आवाज़ आती थी कि मैं सिनेमा के लिए ही बना हूं और मुझे एक्टिंग करना है। शायद आप मेरी बातों का यक़ीन न करें, कॉलेज के दिनों में मेरे भीतर सिनेमा का भूत इस क़दर सवार था कि भागकर मुम्बई जाने का मन बना चुका था, लेकिन हर किसी का सोचा हुआ तो पूरा नहीं होता। पिता अचानक बीमार पड़ गए। नौ साल उनका ईलाज़ चला। शादी हो गई थी और बच्चे भी बड़े हो रहे थे। संयोग से सन् 2017 में फ़िल्म निर्माण क्षेत्र में जाने का रास्ता खुल गया। बॉलीवुड की एक हिन्दी फ़िल्म ‘भूत वाली लव स्टोरी’ के को प्रोड्यूसर बनने का मौका मिला। 11 मई 2018 को यह फ़िल्म प्रदर्शित हुई थी। क़रीब दो करोड़ बजट की यह फ़िल्म थी। वो कहते हैं न कि जीवन में कोई चीज़ छूटे रह जाए तो ऊपर वाला उसकी भरपाई किसी न किसी रूप में कर ही देता है, यहां से मेरी फ़िल्म यात्रा की शुरुआत हो चुकी थी।“
आप हिन्दी से छत्तीसगढ़ी फ़िल्म की तरफ कैसे आ गए, इस सवाल पर गजेन्द्र जी बताते हैं- “सच कहूं तो सन् 2017 तक मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि छत्तीसगढ़ी फ़िल्म बनाऊंगा। डायरेक्टर मनीष मानिकपुरी से मेरी पुरानी पहचान रही है। मनीष जब कभी मिलते किसी न किसी छत्तीसगढ़ी फ़िल्मी प्लॉट पर वे चर्चा किया करते थे। एक दिन उन्होंने ‘मार डारे मया म’ का कॉसेप्ट मेरे सामने रखा। मुझे यह सब्जेक्ट जम गया और निर्णय लेने में ज़रा भी देर नहीं लगी कि इस पर फ़िल्म बनाना है। उसी वक़्त यह भी तय कर लिया कि लीड रोल में पद्मश्री अनुज शर्मा होंगे। ‘मारे डारे मया म’ आपकी पहली छत्तीसगढ़ी फ़िल्म है इसके निर्माण में किस तरह के अनुभव से आप गुजरे, इस सवाल पर गजेन्द्र जी कहते हैं- “मैंने मनीष मानिकपुरी को फ्री हेंड रखा था। मुझे मालूम था कि उसे टेक्नीकल चीजों की गहरी समझ है। फिर कहूंगा कि शुरु से ही अनुज शर्मा हमारी पहली पसंद थे। न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि बाहर भी उनकी अपनी अलग पहचान है। अनुज के अपोजिट लिप्सा मिश्रा दिखेंगी। लिप्सा ओड़िशा की जानी-मानी स्टार हैं। ‘मार डारे मया म’ उनका गज़ब का परफार्मेंस रहा है। मेरा मानना है कि ओड़िशा के बाद अब छत्तीसगढ़ में भी वे बड़ा नाम कमाएंगी। चूंकि फ़िल्म शीघ्र ही प्रदर्शित होने वाली है अतः इसकी कहानी के बारे में अभी कुछ कहना ठीक नहीं होगा, लेकिन यह दावे के साथ कह सकता हूं कि इसके गाने काफ़ी अच्छे बन पड़े हैं। ख़ासकर ‘फुलहासन’ गीत चार मिलियन पार कर चुका है।“
आगे आपकी योजनाएं क्या हैं, पूछने पर गजेन्द्र जी कहते हैं- “सिनेमा मेरा जुनून है। मैं सिनेमा में पैसा कमाने नहीं आया हूं। बस मैं यही चाहता हूं कि बहुत लाभ न हो तो कम से कम नुकसान भी न हो, ताकि फ़िल्म बनाने का यह सफ़र लगातार जारी रह सके। इसी साल एक और छत्तीसगढ़ी फ़िल्म और उसके बाद एक हिन्दी फ़िल्म करने का प्लॉन है। हिन्दी फ़िल्म ‘भूत वाली लव स्टोरी’ को मई में री रिलीज़ करने की तैयारी है। पहले यह फ़िल्म रायपुर, कोरबा एवं बिलासपुर में लग चुकी है। इसे छत्तीसगढ़ के और भी सिनेमाघरों में प्रदर्शित करना है। इसके अलावा इसे मध्यप्रदेश, झारखंड एवं बिहार में भी लगाने का इरादा है। इस फ़िल्म की अन्य भाषाओं में डबिंग, री रिलीज़, सेटेलाइट्स के अधिकार मेरे पास ही हैं।“
छत्तीसगढ़ी सिनेमा आगे जाकर कहां पहुंचेगा इस सवाल पर वे कहते हैं- “सब कुछ बहुत अच्छा नज़र आ रहा है। अलग-अलग विषयों पर छत्तीसगढ़ी फ़िल्में बन रही हैं। इस तरह दर्शकों को लगातार नया मिलते जा रहा है। बस हल्के स्तर की फ़िल्में न बनें, ऐसा होने लगा तो पब्लिक कटने लगेगी। हालांकि इस समय मेरे खुद के सामने परीक्षा की घड़ी है।“