■ अनिरुदध दुबे/मिसाल न्यूज़
छत्तीसगढ़ी सिनेमा के मशहूर डायरेक्टर सतीश जैन 24 मई को अपना ड्रीम प्रोजेक्ट ‘मोर छंइहा भुंईया- 2’ रूपहले पर्दे पर लेकर आ रहे हैं। फ़िल्म के प्रदर्शन से कुछ घंटे पहले सतीश जैन ने ‘मिसाल न्यूज़’ से ख़ास बातचीत में कहा कि “हर फ़िल्म की अपनी कुंडली होती है। सन् 2000 में ‘छंइहा भुंईया-1’ के प्रदर्शन से पहले जो बेचैनी का आलम था वह अब भी है। मेकिंग में मैंने अपनी तरफ से कोई कसर बाक़ी नहीं रखी। बाक़ी ‘छंइहा भुंईया- 2’ के भाग्य का फैसला कल जनता की अदालत में होना है।
राजधानी रायपुर के स्वप्निल स्टूडियो के किसी कोने में हमने सतीश जी को गंभीर सोच विचार की मुद्रा में बैठे पाया। सोचा मौका अच्छा है। क्यूं न घेरा जाए। बात 20-25 मिनट ही चली, लेकिन सार्थक। बातचीत के मुख्य अंश यहां प्रस्तुत हैं-
0 ‘छंइहा भुंईया’ फिर से क्यों…
00 ईमानदारी से कहूं तो अदृश्य दबाव रहा है। यह रीमेक, सीक्वल एवं प्रीक्वल का ज़माना है। सोशल मीडिया में कई तरह का कमेन्ट्स पढ़ने को मिला करता था कि आप ‘छंइहा भुंईया’ पर आगे काम क्यों नहीं कर रहे! काफ़ी सोच विचार के बाद फैसला लिया ‘छंइहा भुंईया’ फिर से लाना चाहिए। पारिवारिक एवं सामाजिक व्यवस्था से जुड़ा यह ऐसा विषय है जो दुनिया में तब भी महत्व रखता था, आज भी रखता है। पहली वाली ‘छंइहा भुंईया’ को 24 साल हो गए। अगले साल सिल्वर जुबली होगी। वह कितना ख़ास समय होगा जब सिल्वर जुबली ईयर में दोनों ‘छंइहा भुंईया’ मौजूद रहेंगी।
0 तब और अब कि ‘छंइहा भुंईया’ में क्या अंतर है…
00 स्टार कास्ट का फ़र्क है। समय और परिवेश का फ़र्क है। सोशल इकॉनामी कंडीशन में काफ़ी बदलाव आया है।
0 आपकी पिछली फ़िल्म में काम कर चुके मन कुरैशी एवं एल्सा घोष रिपीट हुए हैं…
00 स्क्रीप्ट के हिसाब से कॉस्टिंग की गई है। हमेशा से मेरा सिद्धांत रहा है जो आर्टिस्ट जिस रोल के लिए उपयुक्त लगे उसे लेना है। ‘ले सुरू होगे मया के कहानी’ बनाते समय लगा कि मेरी इस फ़िल्म के लिए अमलेश नागेश उपयुक्त होगा, मैंने उसे लिया। तब कितने ही लोगों ने मुझसे कहा था कि “अरे ये तो कॉमेडियन है… हीरो जैसी पर्सनैलिटी नहीं है।“ अमलेश के चयन को लेकर मेरे इर्द-गिर्द रहने वाले कितने ही लोग मेरे खिलाफ़ हो गए थे। मैं अपनी बात पर अड़े रहा। ‘ले सुरू होगे…’ में अमलेश न सिर्फ़ मेरी, बल्कि दर्शकों की उम्मीदों पर पूरी तरह खरा उतरा। जहां तक ‘छंइहा भुंईया- 2’ की बात है तो यहां विषय थोड़ा अलग है। फ़िल्म के दोनों हीरो कॉलेज़ पढ़ते हैं। मन कुरैशी मेच्योर है। वह रोमांटिक किरदार में अच्छा लगता है। उसे हमने बड़े भाई की भूमिका में रखा। एल्सा पहले भी मेरे साथ काम कर चुकी है। वह हर रोल में फिट हो जाती है। उसे गांव की लड़की बना दो या शहर की मेम। ‘छंइहा भुईयां-1’ की डॉली मुम्बई से लौटती है, ‘छंइहा भुंईया- 2’ की डॉली लंदन से। हमने एल्सा के लिए ऐसे भी कपड़े बनवाए जो इस समय लंदन में चलन में हैं। ‘छंइहा भुंईया-1’ में सीधी सादी लड़की सुधा का रोल पूनम नकवी ने किया था। ‘छंइहा भुंईया-2’ की सुधा हमने दीक्षा जायसवाल को बनाया। दीक्षा में सादगी झलकती है। वहीं कार्तिक के रोल के लिए दीपक साहू को चुना। कार्तिक का नटखट होना ज़रूरी है, जिसके चेहरे पर शरारत टपकती हो, वह बात दीपक में नज़र आई। वह शरारती होने के साथ रोमांटिक भी लगता है।
0 सोशल मीडिया में ख़ूब चला कि कार्तिक के रोल के लिए अनुज शर्मा को लेना चाहिए था…
00 एकाध को छोड़ दें तो ‘छंइहा भुंईया- 1’ के किसी कलाकार को हमने ‘छंइहा भुंईया-2’ में नहीं लिया है। ‘छंइहा भुंईया’ कॉलेज़ में पढ़ने वाले दो भाइयों की कहानी है। अनुज शर्मा एवं शेखर सोनी आज उम्र के इस पड़ाव में हैं कि वे कम से कम कॉलेज़ पढ़ने वाले स्टूडेंट तो नहीं लगेंगे। अनुज को पिता का रोल ऑफर करूंगा तो वे करेंगे नहीं, क्योंकि अभी उनका हीरो वाला दौर बरक़रार है।
0 ‘छंइहा भुंईया-1’ के गीत संगीत की काफ़ी धूम मची थी, इस बार गीत-संगीत का क्या रोल है…
00 1 में आठ गाने थे, 2 में भी आठ गाने हैं। ‘छंइहा भुंईया- 1’ के दो गाने “छंइहा भुंईया ल छोड़ जवइया ते थिराबे कहां रे…” और “टूरी आईस्क्रीम खाके फरार होगे जी…” को हमने ‘छंइहा भुंईया-2’ में भी रखा है। बाक़ी छह गाने नये हैं।
0 अब तो आप खुद गीत लिखने लगे हैं…
00 “छंइहा भुंईया ल छोड़ जवइया रे…” गीत को जाने-माने गीतकार लक्ष्मण मस्तूरिया जी ने लिखा था। ‘छंइहा भुंईया- 2’ में इस गीत का मुखड़ा वही है, अंतरा हमने गीतकार गिरवर दास मानिकपुरी जी से लिखवाया है। वहीं “टूरी आईस्क्रीम खाके फरार होगे जी…” का मुखड़ा गीतकार विनय बिहारी का लिखा हुआ है। इस बार इस गीत का अंतरा मैंने लिखा है। बाक़ी और छह गाने मेरे ही लिखे हुए हैं।
0 ‘छंइहा भुंइया- 1’ में तो आपने कव्वाली स्टाइल में भी एक गाना रखा था…
00 ‘छंइहा भुंईया- 2’ की डॉली लंदन से आई है। उस पर कव्वाली शूट नहीं करेगी। इसलिए हमने “मैं हूं गोरी लंदन की…” गाना उस पर फ़िल्माया। इस गाने में आपको शेर ओ शायरी सुनने को मिलेगी।
0 आपके चेहरे पर कुछ ज़्यादा ही बेचैनी झलक रही है…
00 हर फ़िल्म बनाने वाले के मन में डर रहता है अंजाम क्या होगा! हर फ़िल्म की अपनी कुंडली होती है। कभी हिट, कभी फ्लॉप लगे रहता है। सिनेमा के बिजनेस में कोई श्योर नहीं हो सकता।
0 अब तो आपकी बेटी रुनझुन फ़िल्म निर्माण के दौरान असिस्ट करने लगी है…
00 रुनझुन में संभावनाएं दिखती हैं। उसमें पोटेंशियल नज़र आता है। सिनेमा को लेकर गंभीर है। एक बेटा है उस पर भी कोई रोक टोक नहीं है। वह जिस सही दिशा में आगे बढ़े, रोकूंगा नहीं।
0 अगला कदम…
00 फ़िल्में बनाता रहूंगा।