■ अनिरुद्ध दुबे
छत्तीसगढ़ के नये राज्यपाल रमेन डेका ने पदभार ग्रहण कर लिया। 24 साल की उम्र वाले छत्तीसगढ़ राज्य ने सेना एवं प्रशासनिक क्षेत्र से जुड़े लोगों के अलावा राजनीतिक पृष्ठभूमि से संबद्ध रही हस्तियों को अपने यहां राज्यपाल की भूमिका में देखा। प्रदेश के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय पुलिस विभाग से रिटायर होने के बाद समता पार्टी की सदस्यता लेकर राजनीति में आए थे। साहित्य से उनका गहरा लगाव था। सहाय के बाद के.एम. सेठ ने राज्यपाल का दायित्व संभाला, जो कि सेना में रहे थे। वहीं सेठ के बाद राज्यपाल बने ई.एस.एल. नरसिम्हन आईपीएस थे। वे पुलिस विभाग के महत्वपूर्ण पदों पर सेवाएं दे चुके थे। नरसिम्हन के बाद राज्यपाल बने शेखर दत्त आईएएस थे। यह संयोग रहा था कि शेखर दत्त कभी रायपुर संभाग में कमिश्नर पद का दायित्व भी संभाले थे। नरसिम्हन एवं शेखर दत्त ने जब राज्यपाल की ज़िम्मेदारी संभाली थी वह यूपीए सरकार (डॉ. मनमोहन सिंह सरकार) का दौर था। केन्द्र में मोदी सरकार बनने के बाद राजनीतिक पृष्ठभूमि से आई हस्तियों को छत्तीसगढ़ के राज्यपाल की ज़िम्मेदारी सौंपने का सिलसिला चल पड़ा। बलरामदास टंडन, आनंदी बेन पटेल, सुश्री अनुसुइया उइके, विश्वभूषण हरिचंदन एवं उनके बाद रमेन डेका इसका उदाहरण हैं। असम निवासी रमेन डेका भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। वे पूर्व में भाजपा सांसद भी रह चुके हैं।
क्या होगी बैस
की अगली पारी…
वरिष्ठ भाजपा नेता रमेश बैस महाराष्ट्र के राज्यपाल पद के दायित्व से ससम्मान मुक्त हुए। प्रश्न है इसके आगे क्या? यह बड़ा प्रश्न रमेश बैस और उनके समर्थकों के बीच ही नहीं बल्कि आम जन मानस के बीच भी उपजा हुआ है। एक वह भी दौर था जब रायपुर शहर में भाजपा में दो ही बड़ी ताकतें हुआ करती थीं रमेश बैस एवं बृजमोहन अग्रवाल। इसे संयोग ही कहें जिस रायपुर सीट पर रमेश बैस ने शानदार 7 बार सांसद बनने की पारी खेली उसी रायपुर सीट से आज आठ बार के विधायक रहे बृजमोहन अग्रवाल सांसद हैं। उस पुराने दौर में जब रायपुर में भाजपा के इन दोनों बड़े नेताओं का डंका बजता था, रायपुर नगर निगम पार्षद टिकट का वितरण हो या फिर किसी को निगम-मंडल में बैठाना हो, इन दोनों की अहम् भूमिका हुआ करती थी। सांसद बनने के बाद बृजमोहन जी की दिशा तो स्पष्ट नज़र आ रही है लेकिन पूरी तरह बदल चुका भाजपा संगठन आगे बैस जी की योग्यता एवं क्षमता का इस्तेमाल कहां पर कैसे करेगा इस पर अभी तस्वीर साफ़ नहीं है। कभी बृजमोहन अग्रवाल की परंपरागत सीट रही रायपुर दक्षिण विधानसभा में जो उप चुनाव होना है उस पर भाजपा के कुछ छोटे-बड़े चेहरों ने भाजपा संभावित उम्मीदवार के रूप में बैस जी के नाम की चर्चा करनी शुरु कर दी है। वैसे बैस जी सन् 1980 में मंदिर हसौद विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए थे। बड़ा सवाल यही है कि तीन राज्यों के राज्यपाल रहने के बाद बैस जी क्या विधायक टिकट की दौड़ में शामिल होना मुनासिब समझेंगे…
मंत्री तो नया रायपुर शिफ्ट
हो जाएंगे पर जनता…
नया रायपुर। मुर्दा शहर। अच्छा है इस मुर्दा शहर पर जान फूंकने की कोशिश नई विष्णुदेव साय की सरकार की तरफ से शुरु तो हुई। प्रथम कड़ी में पिछले दिनों कृषि मंत्री रामविचार नेताम के नया रायपुर में बने सरकारी बंगले में गृह प्रवेश हुआ। दो और मंत्रियों दयालदास बघेल एवं लक्ष्मी राजवाड़े का भी नया रायपुर में सरकारी बंगला बनकर तैयार है। स्वाभाविक है ये दोनों मंत्री भी नया रायपुर में ज़ल्द शिफ्ट होंगे। इधर, लोक निर्माण विभाग के सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह ने अफ़सरों की एक बैठक में कहा कि “कोशिश यही करें कि फरवरी-मार्च 2025 में संभावित बजट सत्र की कुछ बैठकें नया रायपुर के नये विधानसभा भवन में हो पाएं।“ वैसे संभावना यही जताई जाती रही है कि जुलाई 2025 के मानसून सत्र की बैठकें ही नये विधानसभा भवन में हो पाएंगी, इसलिए कि काफ़ी कुछ निर्माण कार्य शेष है। इधर, पिछले दिनों पुराने विधानसभा भवन में हुए मानसून सत्र के दौरान कुछ विधायक बतियाते नज़र आए कि “मंत्रीगण एवं कई बड़े अफ़सरों के सरकारी बंगले नया रायपुर में पूर्णता की ओर हैं, लेकिन हमारे सरकारी मकानों का क्या! वो कब बनने शुरु होंगे!” वैसे होने को तो नया रायपुर में बहुत कुछ होना बाक़ी है। सबसे ज़्यादा ज़रूरी है आम आदमी के नया रायपुर में आसान पहुंच के लिए परिवहन व्यवस्था। इस दिशा में सरकारी तंत्र का संचालन कर रहे लोगों की तरफ से किसी तरह का कोई विज़न अब तक सामने नहीं आ पाया है।
बंसल को पीएम आवास
सौंपने के पीछे
कुछ तो ख़ास
अगस्त महीने की 1 तारीख़ लगते ही 20 आईएएस अफ़सरों के प्रभार बदलने की ख़बर आ गई। प्रभार बदलाव में आयुक्त मनरेगा रजत बंसल को प्रधानमंत्री आवास (ग्रामीण) के संचालक का अतिरिक्त प्रभार सौंपा जाना अपने आप में बड़ी ख़बर रही। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर पिछले 3 वर्षों से लगातार आरोप प्रत्यारोप का दौर चला आ रहा है। जब कांग्रेस की सरकार थी तत्कालीन विपक्षी भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक ने प्रधानमंत्री आवास के मामले में छत्तीसगढ़ के लक्ष्य से काफ़ी पीछे रहने का विषय विधानसभा में उठाया था। पिछली सरकार में टी.एस. सिहंदेव ने पंचायत मंत्री पद से जो इस्तीफ़ा दिया था उसके पीछे कारण प्रधानमंत्री आवास ही माना गया था। सत्ता परिवर्तन के बाद अब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रधानमंत्री आवास योजना की रफ़्तार सुस्त रहने के लिए विष्णु देव सरकार को लगातार दोषी ठहरा रहे हैं। वहीं साय सरकार पीएम आवास को लेकर विपक्ष को उंगली उठाने का कोई मौका नहीं देना चाह रही है। यही वज़ह है कि पीएम आवास योजना में गति लाने इसका प्रभार विशेष रूप से रजत बंसल को सौंपा गया है। रजत बंसल कभी रायपुर नगर निगम कमिश्नर रहे थे और उनके निगम कमिश्नर रहते हुए में ही राजधानी रायपुर में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर रंग चढ़ा था। जब बंसल निगम कमिश्नर थे तब अभी की सरकार के मंत्री ओ.पी. चौधरी रायपुर कलेक्टर थे। चौधरी, बंसल के काम से भली भांति वाकिफ़ रहे हैं। कुछ लोगों का यह मानना है कि बंसल को पीएम आवास का प्रभार मिलने में चौधरी के सूझाव की भी बड़ी भूमिका रही है। वैसे बंसल ने धमतरी एवं जगदलपुर में कलेक्टर रहते हुए में भी अपने काम की विशेष छाप छोड़ी थी।
टंकराम की गाने
में भी मास्टरी
पिछले दिनों बलौदाबाजार में आयोजित हुए ‘याद-ए-रफ़ी’ कार्यक्रम में राजस्व, खेलकूद एवं युवा कल्याण मंत्री टंकराम वर्मा ने एक छत्तीसगढ़ी गीत गाकर तालियां बटोरी। गाने से पहले वर्मा ने बहुत से अजर अमर छत्तीसगढ़ी गीत लिख गए जाने-माने गीतकार स्व. लक्ष्मण मस्तूरिया का स्मरण किया। टंकराम वर्मा कभी पूर्व सांसद रमेश बैस एवं मंत्री व्दय केदार कश्यप तथा दयालदास बघेल के पीए रहे थे। इन तीनों बड़े नेताओं के साथ जुड़े रहकर दीर्घ प्रशासनिक एवं राजनीतिक अनुभव लेने के बाद वर्मा सक्रिय राजनीति में आ गए और आज खुद मंत्री हैं। उनके संगीत कला में प्रवीण रहने की बात कम ही लोग जानते रहे थे। बलौदाबाजार के ‘याद-ए-रफ़ी’ कार्यक्रम में उनके गाए छत्तीसगढ़ी गीत के सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद अब बहुत से लोगों ने जाना है कि उन्हें गायकी में भी महारत हासिल है। वैसे संगीत विद्या में प्रवीण तो दुर्ग सांसद विजय बघेल भी हैं। विजय जी को कई बार मंच से ‘गाइड’ फ़िल्म का गीत “तेरे मेरे सपने अब एक रंग हैं…” लोगों ने गाते सुना है। इसके अलावा बघेल जी दो छत्तीसगढ़ी फ़िल्म ‘माटी के लाल’ और ‘मोर मन के मीत’ फ़िल्म में अभिनय भी कर चुके हैं।