कारवां (13 अक्टूबर 2024) ● नया रायपुर में जान फूंकने कई बड़े कदम… ● साहब लोग ज्यादा संतुष्ट… ● रायपुर दक्षिण उप चुनाव और कुछ नये नाम… ● तंत्र मंत्र का खेल… ● स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों खर्च और बड़े सवाल… ● भूमिगत नाली जैसा हाल न हो जाए अमृत मिशन का…

■ अनिरुद्ध दुबे

नया रायपुर से जुड़ी ख़बरें इन दिनों छाई हुई हैं। सबसे बड़ी ख़बर ये कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय पूजा पाठ के साथ नया रायपुर में बने अपने नये सरकारी बंगले में गृह प्रवेश कर चुके हैं।  उनसे पहले कृषि मंत्री राम विचार नेताम एवं महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े का भी नया रायपुर के सरकारी बंगले में गृह प्रवेश हो चुका है। वहीं 1 नवम्बर यानी राज्योत्सव के दिन से पुराना रायपुर, नया रायपुर एवं अभनपुर के बीच दो मेमु ट्रेन चलाना शुरु करने का प्लान बन रहा है। नया रायपुर की सड़कों को चकाचक करने ज़ल्द 18 करोड़ का टेंडर जारी होने वाला है। नया रायपुर के मार्गों एवं चौक चौराहों का नामकरण बड़ी हस्तियों के नाम पर करने की तैयारी अलग चल रही है। चलो देर से ही सही मुर्दा शहर नया रायपुर में जान फूंकने के प्रयासों में तेजी तो आई। जानकार लोग तो यह भी बता रहे हैं कि मंत्रियों के नया रायपुर शिफ्टिंग के बाद उसके आसपास के गावों की ज़मीनों को लेकर ज़मीन क़ारोबारी भारी सक्रिय हो गए हैं। कहीं पर चार सौ रुपये वर्ग फुट का रेट खोलकर रखा गया है तो कहीं पर 700 से लेकर 800 रुपये वर्ग फुट।

साहब लोग ज्यादा संतुष्ट

इन दिनों ज़्यादातर लोग एक दूसरे से यह सवाल करते नज़र आ जाते हैं कि सरकार कैसी चल रही है? जिसको ज़वाब देना होता है सोच समझकर ही देता है। खुल्लम खुल्ला बोलकर भला क्यों कोई बैर मोल ले! एक सवाल यह भी होते रहता है कि कौन सा तबका सबसे ज़्यादा संतुष्ट है? इस सवाल का ज़वाब एक आला अफ़सर की तरफ से जो मिला वह गौर करने लायक है। उनका कहना था कि हमारी बिरादरी के लोग इस समय सबसे ज़्यादा संतुष्ट हैं। ख़ासकर वो लोग जिनकी बैठक इस समय नया रायपुर में है। वह तो यह भी चाहते हैं कि ऐसी ही रफ़्तार पूरे 5 साल बनी रहे।

रायपुर दक्षिण उप चुनाव

और कुछ नये नाम

इधर यह चर्चा तेज है कि रायपुर दक्षिण विधानसभा उप चुनाव के लिए तारीख़ की घोषणा होने में अब हफ्ते या दिन नहीं बल्कि घंटों का हिसाब लगाना ठीक होगा। यानी उल्टी गिनती शुरु हो चुकी है। पूर्व में तो रायपुर दक्षिण के लिए कांग्रेस व भाजपा दोनों ही तरफ के पांच से छह टिकट के दावेदारों  के नामों की चर्चा होते रहती थी। फिर कॉफी हाउस में बैठकर गुणा भाग करते रहने वाले तथाकथित राजनीतिक पंडित यह कहने लगे थे कि भाजपा टिकट की बात करें तो सुनील सोनी या मनोज शुक्ला और कांग्रेस की तरफ देखें तो प्रमोद दुबे या आकाश शर्मा इतने ही नाम काफ़ी हैं। लेकिन यह क्या, दोनों ही पार्टियों में कुछ नये नाम हवा में तैरने लगे। अब कहा यह जाने लगा है कि भाजपा टिकट की बात करें तो बृजमोहन जी तो केवल और केवल एक नाम सुनील सोनी के लिए अड़े हुए हैं लेकिन संघ के लोगों ने एक नया नाम दौड़ा दिया है। इसी तरह कांग्रेस की बात करें तो राजीव वोरा के नाम की हवा चल पड़ी है। राजीव अविभाजित मध्यप्रदेश के समय में मुख्यमंत्री रहे मोतीलाल वोरा के भतीजे हैं। यानी पूर्व विधायक अरुण वोरा के चचेरे भाई। दूसरी तरफ राजनांदगांव के भी अल्पसंख्यक वर्ग के कुछ पुराने कांग्रेस नेता एक ही बात कहते नज़र आ रहे हैं कि 2018 के विधानसभा चुनाव में श्रीमती करुणा शुक्ला, 2023 के विधानसभा चुनाव में गिरीश देवांगन तथा 2024 के लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जब राजनांदगांव में प्रत्याशी बनकर आए तो हमने उनका स्वागत किया। अब हम राजनांदगांव के लोग रायपुर दक्षिण से टिकट मांग रहे हैं। स्वागत करते नहीं बनता है तो न करें, पर चुनाव लड़ने का अवसर तो दें।

तंत्र मंत्र का खेल

छत्तीसगढ़ में इन दिनों तंत्र मंत्र का खेल कुछ ज़्यादा ही होने लगा है। हाल के दिनों में ऐसी दो मिसालें सामने आई हैं। छुरा विकासखंड के ग्राम सिवनी में दो लोगों ने तंत्र मंत्र करने कब्र खोदकर एक महिला का शव बाहर निकाल लिया था। दोनों की गिरफ़्तारी हो गई है। वहीं अम्बिकापुर में कलेक्टर के रीडर के घर के दरवाज़े पर एक तांत्रिक पूजा पाठ की सामग्री बांधकर चला गया था। सीसीटीवी कैमरे से पता लगाने पर तांत्रिक की पहचान हो गई। हाल ही में उत्तरप्रदेश के बिल्डर से 15 करोड़ की ठगी के आरोप में पकड़े गए के.के. श्रीवास्तव के बारे में यही कहा जा रहा है कि यह भी ज्योतिषी विद्या व तंत्र-मंत्र से जुड़ा रहा है। पिछली सरकार में इसका जलवा था। बड़े-बड़े नेता इससे सलाह लिया करते थे। श्रीवास्तव किसी समय में सरकारी नौकरी में रहा था।

स्मार्ट सिटी के नाम

पर करोड़ों खर्च

और बड़े सवाल…

रायपुर स्मार्ट सिटी परामर्शदात्री समिति की पिछले दिनों हुई बैठक में मूख्य रूप से दो बातें सामने आईं, पहला- जगह जगह खुलेआम चल रही मटन दुकानों को जगह तय कर शिफ्ट किया जाए। दूसरा- जी.ई. रोड पर साइंस कॉलेज के पास बनी चौपाटी को हटाया जाए। पहला मुद्दा बैठक की अध्यक्षता कर रहे सांसद बृजमोहन अग्रवाल का था तो दूसरा विधायक राजेश मूणत का। बताते हैं कुछ गंभीर सवाल बैठक में उठे थे जिनकी चर्चा बाहर होते नहीं दिखी। बैठक में यह सवाल उभरा था कि रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड का वजूद हमेशा के लिए तो बने नहीं रहना है। स्मार्ट सिटी के नाम पर अब तक क़रीब दो सौ करोड़ खर्च कर डाले गए और डेढ़ करोड़ की सैलरी हर महीने बंटती है। भविष्य में जब स्मार्ट सिटी लिमिटेड का चिन्ह बाकी नहीं रह जाएगा तो उसके व्दारा निर्मित चीजों का मेंटनेंस कौन करेगा? ख़ासकर मल्टीलेवल पार्किंग का। केवल बूढ़ातालाब एवं उसके आसपास 35 करोड़ पानी की तरह बहा देने की क्या ज़रूरत थी? बूढ़ातालाब के आसपास लगी सोलर लाइटों का क्या हुआ? स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर के अलग-अलग हिस्सों में लगाकर रखे गए कैमरे जो ख़राब पड़े हैं उनका क्या होगा?

भूमिगत नाली जैसा हाल न

हो जाए अमृत मिशन का

राजधानी रायपुर में अमृत जल मिशन ने पेयजल व्यवस्था को चौपट करके रख दिया। यह शिकायत आम आदमी की नहीं बल्कि उन लोगों की भी है जिनका कि राजनीति व प्रशासन से सीधा वास्ता है। रायपुर शहर को चौबीस घंटे पानी मिलेगा इस वादे या दावे को लोग कुछ वैसा ही मानते हैं जैसा कि शहर के बीच में लाइट मेट्रो ट्रेन चलाने का सपना देखना। रायपुर शहर में अमृत जल मिशन के लिए जो नई पाइप लाइन बिछी उससे जल व्यवस्था सुधरी तो नहीं बल्कि बद से बदतर हो गई। यदि ऐसा कुछ नहीं हुआ होता तो क्या राजधानी के वीआईपी वार्ड गिने जाने वाले शंकर नगर वार्ड की पार्षद के पति को वार्ड के लोगों के साथ पानी टंकी पर चढ़कर धरना प्रदर्शन करने की क्यों ज़रूरत पड़ी होती! लंबी उम्र गुज़ार चुके रायपुर के कुछ अनुभवी लोगों का कहना है कि अमृत जल मिशन योजना का यहां वही हाल होगा जो कभी भूमिगत नाली योजना का हुआ था। सन् 1981 या 82 की बात रही होगी जब अंडर ग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम के नाम पर पूरे रायपुर शहर को खोदकर रख दिया गया था। उस समय धूल से रायपुर शहर की जो दुर्दशा हुई थी उससे उबरने में लंबा समय लगा था। भूमिगत नाली के नाम बड़े-बड़े गड्ढे जो हुए वो तो पट गए थे लेकिन उस समय के महापौर स्वरूपचंद जैन जो लक्ष्य लेकर चले थे उसकी प्राप्ति नहीं हो सकी थी।

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