कारवां (15 दिसंबर 2024) ● दिल्ली क्या अब रायपुर के भी आसपास पराली की ज़हरीली हवा… ● धान खरीदी का मुद्दा उठेगा शीत सत्र में… ● पावर कंपनी को नया रायपुर शिफ्ट करने की तैयारी… ● बदहाल कृष्ण कुंज… ● इंदिरा कला विवि कुलपति के लिए चर्चा में 3 नाम…

■ अनिरुद्ध दुबे

पराली के जलाने से देश की राजधानी दिल्ली का ठंड के दिनों में वायु प्रदूषण से किस कदर बुरा हाल हो जाता है यह सर्वविदित है। अब प्रदेश की राजधानी रायपुर की हवाओं में भी पराली का ज़हर घुलने का ख़तरा मंडराते नज़र आ रहा है। रायपुर से लगे धरसींवा क्षेत्र में शासन एवं प्रशासन के निर्देश की परवाह किए बगैर कितने ही किसान बेधड़क पराली जला रहे हैं। धरसींवा के अलावा रायपुर के आसपास के और भी क्षेत्र सिलयारी, कूंरा एवं सारागांव में पराली जलाने की ख़बरें सुनने मिल रही हैं।

धान खरीदी का मुद्दा

उठेगा शीत सत्र में

विधानसभा का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरु होने जा रहा है। कुल चार बैठकें होंगी। विपक्षी कांग्रेस विधायक दल ने धान खरीदी में तथाकथित अव्यवस्था को लेकर सत्ता पक्ष को घेरने कमर कस ली है। वैसे तो शीत सत्र को लेकर कांग्रेस विधायक दल की बैठक रविवार को दोपहर 12 बजे होने जा रही है, लेकिन इस बात के पूरे आसार नज़र आ रहे हैं कि चारों दिन सरकार को घेरने अलग-अलग बड़े मुद्दे तय होंगे। धान खरीदी में अव्यवस्था के अलावा कानून व्यवस्था का बूरा हाल और राजधानी रायपुर के अमलीडीह इलाके में बड़ी ज़मीन एक बिल्डर को सौंपने की तैयारी, ऐसे मुद्दे हो सकते हैं जिनकी गूंज शीत सत्र में सुनाई दे सकती है। जहां तक धान खरीदी की बात है खरीदी केन्द्रों में भेजे गए घटिया बारदानों को लेकर पूर्व में विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत राज्यपाल को पहले ही चिट्ठी लिख चुके हैं। यही नहीं धान खरीदी में अव्यवस्था को लेकर डॉ. महंत प्रेस कांफ्रेंस भी कर चुके हैं। संभावना यह भी जताई जा रही है कि जल जीवन मिशन में गड़बड़ी को लेकर भी विपक्षी कांग्रेस विधायकों का सदन में गुस्सा भड़क सकता है।

पावर कंपनी को नया रायपुर

शिफ्ट करने की तैयारी

बिजली विभाग से गहराई से जुड़े लोग बताते हैं कि राजधानी रायपुर के डगनिया स्थित पावर कंपनी के दफ़्तर को नया रायपुर शिफ्ट करने की तैयारी चल रही है। यह भी कहा जा रहा है कि शिफ्टिंग में क़रीब 200 करोड़ का खर्च आ सकता है। वैसे तो पावर कंपनी का नया रायपुर में शिफ्ट करने पर विचार पिछली कांग्रेस सरकार के समय में भी हुआ था लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पाई थी। शिफ्ट करने के इस इरादे का अब भीतर ही भीतर विरोध शुरु हो गया है। बताते हैं विरोध लिखित में दर्ज कराकर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के पास भेज दिया गया है। ऊर्जा विभाग साय के ही पास है। मुख्यमंत्री को लिखकर भेजा गया है कि वर्तमान में जहां पावर कंपनी काम कर रही वहां जगह की कोई कमी नहीं है। वहां 3 कार्यालय भवन का निर्माण हुए ज़्यादा समय नहीं हुआ है। उस पर भी एक कार्यालय भवन का तो उद्घाटन भी नहीं हुआ है। परिसर में अभी और भी इतनी जगह है कि और नये भवन बन सकते हैं। फिर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाकर पावर कंपनी को नया रायपुर ले जाने की दिशा में सोचने का क्या औचित्य! अभी जहां मुख्यालय है वहां सेवानिवृत्त एवं वर्तमान अधिकारियों तथा कर्मचारियों के लिए आना-जाना आसान है। उपभोक्ताओं की पहुंच भी बेहद आसान है। नया रायपुर में शिफ्टिंग की स्थिति में सारे के सारे लोगों की परेशानी बढ़ेगी। बिजली विभाग से वास्ता रखने वाले तो यह भी आशंका जता रहे हैं कि यदि नये रायपुर में शिफ्टिंग का काम किया गया तो वर्तमान मुख्यालय वाली जगह भू माफियाओं के हिस्से में जा सकती है। वैसे भी राजधानी के अमलीडीह इलाके में एकड़ के हिसाब से ज़मीन एक बिल्डर को जो सौंपने की तैयारी थी उसे लेकर विरोध का स्वर अभी थमा नहीं है।

बदहाल कृष्ण कुंज

पिछली कांग्रेस सरकार ने राम वन गमन परिपथ पर काफ़ी काम किया था और कृष्ण के नाम पर भी कुछ कर लेने की इच्छा थी। यही कारण है कि पिछली सरकार ने राजधानी रायपुर के बेहद पॉश इलाके तेलीबांधा चौक के पास कृष्ण कुंज के नाम से एक उद्यान की स्थापना की थी। चूंकि बनाना कृष्ण कुंज था अतः वहां पर पास में स्थित शराब दुकान को हटवाकर थोड़ी दूर पर स्थापित किया गया था। अब ख़बर यह आ रही है कृष्ण कुंज बदहाली में है। इसकी देखरेख का ज़िम्मा वन विभाग के पास है या नगर निगम के पास इसे लेकर अलग भ्रम की स्थिति बनी हुई है। जीई रोड पर इस एक कृष्ण कुंज का ही हाल बेहाल नहीं हो रहा बल्कि गौरव पथ पर एरिकेशन कॉलोनी के बाजू से बने उस सुंदर उद्यान को पिछली सरकार के समय में बेवज़ह ढहा देने का  काम हुआ था। कभी युवक-युवतियों से गुलज़ार रहने वाले उस छोटे से उद्यान के अवशेष आज भी बिखरे पड़े हैं। उस उद्यान एवं आसपास के सरकारी आवासों को यह कहते हुए तोड़ गिरवाया गया था कि वहां पर हाउसिंग बोर्ड की नई कॉलोनी व व्यावसायिक परिसर लाना है। अभी नई सरकार में भी कुछ ऐसी ही बात हो रही है, लेकिन ज़ल्द कुछ हो पाएगा इसके आसार दूर-दूर तक नज़र नहीं आ रहे हैं।

इंदिरा कला विवि

कुलपति के लिए

चर्चा में 3 नाम

पूरे एशिया में लोकप्रिय इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय का नया कुलपति कौन होगा, इस पर अटकलों का दौर शुरु हो गया है। उल्लेखनीय है कि 21 जून 2024 को राज्यपाल ने कुलपति पद से श्रीमती मोक्षदा (ममता) चंद्राकर को तत्काल प्रभाव से हटाए जाने का आदेश जारी किया था। मोक्षदा चंद्राकर का क़रीब एक साल का कार्यकाल बचा था लेकिन खैरागढ़ में विरोध के स्वर इस तेजी से उठने लगे कि राज भवन को हटाने का कड़ा फैसला लेना पड़ा। बहरहाल कुलपति पद के लिए डॉक्टर राजन यादव, व्ही नागदास एवं नीता गहरवार के नामों की चर्चा है। ये तीनों ही वर्तमान में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। उल्लेखनीय है कि श्रीमती मोक्षदा चंद्राकर कुलपति थीं तो उनके फ़िल्म निर्देशक पति प्रेम चंद्राकर ने भी अपना ज़्यादा से ज़्यादा समय खैरागढ़ में ही दिया था। खैरागढ़ के काम से मुक्त होने के बाद प्रेम चंद्राकर लोक कलाकार भूपेंद्र साहू के साथ मिलकर नये साल में एक छत्तीसगढ़ी फ़िल्म निर्देशित करने की तैयारी में हैं। इस फ़िल्म के प्रोड्यूसर अलक राय होंगे।

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