मिसाल न्यूज़
रायपुर। विधानसभा में आज सुकमा एवं दंतेवाड़ा के सरहदी गांवों में पुलिया निर्माण के मुद्दे पर कांग्रेस विधायक कवासी लखमा सरकार पर जमकर बरसे। उनका आरोप था कि बिना स्वीकृति के पुलिया निर्माण हो गया और दोषी अधिकारी बचे हुए हैं। विपक्ष ने इस मुद्दे पर नारेबाजी करते हुए सदन से वॉक आउट किया।
प्रश्नकाल में कवासी लखमा के सुकमा एवं दंतेवाड़ा के सरहदी गांवों में पुलिया निर्माण को लेकर सवाल थे। उन्होंने पूछा कि इनमें कितने निर्माणाधीन हैं और कितने पूर्ण हो चुके हैं? प्रशासकीय स्वीकृति कब प्रदान की गई? कार्य हेतु निर्माण एजेंसी किसने तय की? क्या दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही की गई थी? लखमा ने कहा कि हमारा क्षेत्र नक्सल प्रभावित है। हम भी चाहते हैं कि विकास हो। लेकिन यह कौन सा नियम है कि पहले पुल का निर्माण होगा, फिर टेंडर होगा? मंत्री बताएं कि सड़क पीडब्ल्यूडी बना रहा है या प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत बन रही है?
उप मुख्यमंत्री अरुण साव की ओर से जवाब आया कि दो स्थान हैं एक सुकमा जिले और दूसरा दंतेवाड़ा जिले में। परिया और मुलेर में काम हुए। आचार संहिता प्रभावशील थी। शिकायत के बाद काम रोक दिया गया। इसमें आगे कोई निर्माण नहीं हुआ है। निविदा जब खुलेगी, तब आगे का निर्माण होगा। निर्माण कार्य के लिए स्वीकृति भारत सरकार ने दी है, जिसे पीडब्ल्यूडी बना रहा है। दोनों स्थानों पर कलेक्टर की ओर से कार्य को स्वीकृत मिली है।
लखमा ने आरोप लगाया कि बिना स्वीकृति, बिना ऑर्डर के रोड बनाया गया है। ज्यादा रेट में पूल का निर्माण हो रहा है। यह भी प्रश्न है कि एक नाले में तीन पुल का निर्माण क्यों हो रहा है। आचार संहिता के समय में ठेकेदार हड़बड़ी में काम पूरा करने में लगा था। जब गांव वालों ने विरोध किया तब कहीं जाकर कार्य रुका। अब फिर से उसी ठेकेदार का टेंडर फाइनल कर दिया गया। क्या उस पर कार्यवाही होगी? क्या केवल कमीशनखोरी के लिए पुलिया निर्माण किया जा रहा है? इस तरह जनता के पैसों की बरबादी क्यों? क्या इंजीनियर सरकार से बड़ा हो गया है? क्या दोनों अधिकारियों पर कार्यवाही करेंगे?
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि मंत्री ने स्वीकार किया है कि पुल बन गया फिर टेंडर हुआ। यह काफी गंभीर बात है। प्रश्न यह है कि इस काम में गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों पर क्या कार्यवाही होने जा रही है। इस पूरे मामले को देखें तो दो लोगों को कार्य दिया गया है। तीसरे को कोई कार्य नहीं दिया गया। इसका मतलब यही है कि भारी भ्रष्टाचार हुआ। मंत्री बताएं कि दोषी लोगों पर क्या कार्यवाही होगी? इस पर चल रहे सवाल जवाब के बीच माहौल गरमा गया। तीखी नोक-झोंक के बीच विपक्ष की ओर से नारेबाजी शुरु हो गई। मंत्री की तरफ से संतोषजनक जवाब नहीं आ रहा है कहते हुए सारे विपक्षी विधायक सदन से वाक आउट कर गए।