मिसाल न्यूज़
रायपुर। विधानसभा में आज प्रदेश में संचालित शासकीय एवं गैर शासकीय अस्पतालों में फायर सेफ्टी व्यवस्था को लेकर सत्ता पक्ष के विधायक धर्मजीत सिंह ने कई सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि हालत यह है कि 2 हजार रुपये में फायर ऑडिट का सर्टिफिकेट बाजार में बिक रहा है।
प्रश्नकाल में भाजपा विधायक धर्मजीत सिंह का सवाल था कि प्रदेश में कुल कितने पंजीकृत शासकीय एवं गैर शासकीय अस्पताल संचालित हैं? अस्पतालों में फायर सेफ्टी हेतु क्या-क्या प्रावधान हैं? फायर सेफ्टी नहीं होने की स्थिति में क्या कार्यवाही करने का प्रावधान है? अस्पतालों में कब-कब फायर सेफ्टी आडिट कराया गया है? जिन अस्पतालों में फायर सेफ्टी की उचित व्यवस्था नहीं है, उनके विरुद्ध क्या-क्या कार्यवाही की गई है? स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल कि तरफ से जवाब आया कि प्रदेश में नर्सिंग होम एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत गैर शासकीय अस्पतालों की संख्या 1129 है। इस एक्ट में शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं को पंजीकृत किये जाने का कोई प्रावधान नहीं है। छत्तीसगढ़ शासन गृह विभाग की अधिसूचना 29 नवम्बर 2022 के अनुसार ऐसे भवन जिनकी ऊंचाई 9 मीटर से अधिक हो या जिनमें भूतल एवं दो ऊपरी मंजिलें हों या 30 से अधिक बिस्तर वाले हों या जिनमें कोई क्रिटिकल केयर यूनिट हो को फायर सेफ्टी प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य है। फायर सेफ्टी प्रमाण-पत्र नहीं होने की स्थिति में संस्था के विरूद्ध छत्तीसगढ़ राज्य उपचर्यागृह तथा रोगोपचार संबंधी स्थापनाएं अनुज्ञापन अधिनियम 2010 की धारा 9 के अंतर्गत अनुज्ञा पत्र का निरस्तीकरण अथवा निलंबन एवं अधिनियम की धारा 12 के अंतर्गत दण्ड और जुर्माने का प्रावधान है। शिकायत प्राप्त होने पर जांच एवं नियमानुसार कार्यवाही की जाती है। वर्तमान में फायर सेफ्टी ऑडिट प्रक्रियाधीन है। अनुज्ञा पत्र जारी किये जाने के पूर्व प्रत्येक संस्थाओं में जिले स्तर पर नर्सिंग होम एक्ट के तहत गठित समिति द्वारा निरीक्षण किया जाता है तत्पश्चात् अनुज्ञा पत्र जारी किया जाता है।
धर्मजीत सिंह ने कहा कि रायपुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आग लगने की घटना घट चुकी है। एक और अस्पताल है जहां लोग जिंदा जल गए थे। किन-किन अस्पतालों का फॉयर ऑडिट हुआ? श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि फायर ऑडिट पूरी तरह गृह विभाग के अधीन आता है। नर्सिंग होम के तहत रजिस्ट्रेशन होता है। 1129 अस्पतालों को सेफ्टी सर्टिफिकेट लेने कहा गया है। वैसे भी यह सारा विषय गृह विभाग का है। धर्मजीत सिंह ने कहा कि रायपुर के मेकाहारा समेत एक अन्य अस्पताल में आग लगी इससे बदनामी तो आपकी ही हो रही है। आगजनी में ऐसा भी खतरा रहता है कि जलने वाले पहचान तक में नहीं आते। डीएनए टेस्ट कराने की नौबत आ जाती है। हालत यह है कि 2 हजार रुपये में फायर ऑडिट का सर्टिफिकेट बाजार में बिक रहा है। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने भी इस पर गंभीर सवाल खड़े किए। मंत्री जायसवाल ने कहा कि जिस तरह 2 हजार में सर्टिफिकेट बिकने की बात कही जा रही है वह काफी गंभीर है। प्रयास यही रहेगा कि प्रदेश में जितने भी अस्पताल हैं उनमें फायर सेफ्टी की व्यवस्था में किसी तरह की कोई कमी न रह जाए।