‘सुकवा’ के तांत्रिक का आइडिया असम तरफ से मिला- पुष्पेंद्र सिंह

मिसाल न्यूज़

10 जनवरी को रिलीज़ होने जा रही छत्तीसगढ़ी फ़िल्म ‘सुकवा’ में सीनियर अभिनेता पुष्पेंद्र सिंह तांत्रिक की भूमिका में नज़र आएंगे। पुष्पेंद्र सिंह बताते हैं- “तांत्रिक की भूमिका के लिए मैंने अलग से तैयारी की थी। यू ट्यूब पर लगातार सर्च करते रहा। यू ट्यूब काफ़ी खंगालने के बाद असम तरफ का एक वीडियो देखने मिला, जिसमें वहां एक जनजाति समूह के बीच रहने वाला तांत्रिक कुछ विशेष अंदाज़ में मंत्रोच्चारण करते हुए बलि देते नज़र आया। इसे देखकर मेरे दिमाग में ‘सुकवा’ के तांत्रिक का खांका खिंच गया।“

‘सुकवा’ में सहयोगी कलाकारों के साथ पुष्पेंद्र सिंह

‘मिसाल न्यूज़’ से बातचीत के दौरान पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि प्रोड्यूसर गजेन्द्र श्रीवास्तव जी एवं डायरेक्टर मनोज वर्मा जी ने ‘सुकवा’ की मेकिंग के दौरान किसी तरह का कोई समझौता नहीं किया। दोनों में बस एक ही धुन थी कि अच्छे से अच्छा क्या हो सकता है। वैसे भी मनोज भाई मेरे पसंदीदा निर्देशकों में से एक हैं। ‘बैर’ फ़िल्म को छोड़ दूं तो उनकी ‘महूं दीवाना तहूं दीवानी’, ‘मिस्टर टेटकूराम’, ‘दू लफाड़ू’ एवं ‘भूलन द मेज़’ इन सभी फ़िल्मों में काम किया। ‘भूलन द मेज़’ के पुलिस अफ़सर की तरह ‘सुकवा’ का तांत्रिक वाला किरदार भी मेरे लिए चुनौतीपूर्ण था। अपनी भूमिका के साथ कहां तक न्याय कर पाया यह तो दर्शक तय करेंगे। इतना ज़रूर कहूंगा ‘सुकवा’, ‘दंतैला’ एवं ‘खारुन पार’ जैसी फ़िल्में जो आने वाली हैं, वह छत्तीसगढ़ी सिनेमा का नया दर्शक वर्ग तैयार करेंगी।“

  फ़ुरसत के क्षणों में डायरेक्टर मनोज वर्मा के साथ

अभी छत्तीसगढ़ी सिनेमा को कहां पर पा रहे हैं, इस सवाल पर पुष्पेंद्र सिंह कहते हैं- “80 प्रतिशत डमी डायरेक्टर हो गए हैं, जिनके नाम में भले दम नज़र आए लेकिन काम में दम नहीं है। बहुत से ऐसे लोग कूद पड़े हैं, पैसा है तो सिनेमा बना लिया या जुगाड़ कर सिनेमा बना लिया। यह कहने में भी मुझे कोई संकोच नहीं कि छत्तीसगढ़ी सिनेमा में काला धन लगाने वाले भी कुछ लोग आ गए हैं। यानी ब्लेक मनी को व्हाइट बनाने की कोशिश। ऐसे असिस्टेंटों की जमात आ गई है काम उनका, नाम किसी और का। कभी-कभी तो यह भी देखने सुनने मिलता है कि लोकेशन हंट पहले से नहीं हुआ होता। सुबह होती है तो यह डिसाइड होता है, चलो आज यहां शूट कर लेते हैं।“ यह पूछने पर कि कौन से बदलाव की ज़रूरत है, पुष्पेंद्र सिंह कहते हैं- “नई कहानी तलाशें। केवल तलाश लेने से भी काम नहीं चलेगा। उस पर जमकर होम वर्क हो, जैसा कि सतीश जैन जी व मनोज वर्मा जी जैसे डायरेक्टर करते हैं।“ आप भी तो ‘रंगरसिया’ एवं ‘रंगोबती’ जैसी दो फ़िल्में डायरेक्ट कर चुके हैं, आप खुद को डायरेक्शन में फिर क्यों नहीं आज़माते, यह सवाल करने पर वह कहते हैं- “आज़माऊंगा, यदि अशोक तिवारी जी जैसा प्रोड्यूसर मिले। ‘रंगरसिया’ व ‘रंगोबती’ उन्होंने ही प्रोड्यूस की थी। वैसे 2025 में एक फ़िल्म डायरेक्ट करने का बड़ा मन है।“

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