अध्यादेश लाएं या विधानसभा का विशेष सत्र बुलाएं, ओबीसी आरक्षण बहाल करें- दीपक बैज

0 हार के डर से घबराई भाजपा ईवीएम की शरण में

0 सरकार निकाय चुनाव और स्कूली परीक्षाओं को लेकर स्थिति स्पष्ट करे

मिसाल न्यूज़

रायपुर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव से पहले आरक्षण की जो प्रक्रिया हुई उससे ओबीसी (पिछड़ा) वर्ग का नुकसान हुआ है। जिला पंचायत अध्यक्ष की एक भी सीट ओबीसी के लिये आरक्षित नहीं है। ओबीसी वर्ग के आरक्षण को बहाल किया जाए। इसके लिये अध्यादेश लाना पड़े तो लाया जाए। विधानसभा का विशेष सत्र बुलाना पड़े तो बुलाया जाए। बैज ने यह भी कहा कि निकाय चुनाव में हार के डर से घबराई भाजपा ईवीएम की शरण में पहुंच गई है। सरकार निकाय चुनाव और स्कूल की होने वाली परीक्षाओं को लेकर स्थिति स्पष्ट करे। स्कूली परीक्षाओं के टाइम टेबल घोषित हो चुके हैं।

राजीव भवन में आज प्रेस कांफ्रेंस में दीपक बैज ने कहा कि प्रदेश की सभी जिला पंचायतों एवं जनपदों में पहले 25 प्रतिशत सीटें अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के लिये आरक्षित हुआ करती थीं। अब अनुसूचित क्षेत्रों में ओबीसी आरक्षण लगभग खत्म हो गया है। पूर्व में ओबीसी के लिये आरक्षित ये सभी सीटें अब अन्य वर्ग के लिये आरक्षित हो चुकी हैं। साय सरकार के द्वारा आरक्षण प्रक्रिया के नियमों में किए गए दुर्भावनापूर्वक संशोधन के बाद अनुसूचित जिले और ब्लॉकों में जिला पंचायत सदस्य, जनपद सदस्य और पंचों का जो भी पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित था, अन्य वर्ग के लिये आरक्षित हो गया है। पहले ओबीसी को धोखा दिया, अब सामान्य वर्ग को ठगने जा रहे हैं। जब पूरे प्रदेश में सरकार के खिलाफ विरोध हो रहा है तब कह रहे हैं कि अनारक्षित वर्ग की आधा सीटों में पिछड़ा वर्ग को लड़ाएंगे। पहले तो पिछड़ों के संवैधानिक अधिकार में डाका डाला, अब जले पर नमक छिड़क रहे हैं। अनारक्षित सीटों में तो सामान्य, एससी, एसटी, ओबीसी कोई भी लड़ सकता है और जहां पर जैसी परिस्थिति होती है लोग लड़ते भी हैं। इसमें भाजपा कौन सा अहसान कर रही है?

बैज ने कहा कि हार के डर से घबराई भाजपा ईवीएम की शरण में पहुंच गई है। नगरीय निकाय ईवीएम से कराने की अधिसूचना जारी की गई है। भाजपा को पता है कि बिना ईवीएम के वह कोई चुनाव नहीं जीत सकती है। पहले स्थानीय निकायों के चुनाव बैलेट पेपर से कराने की घोषणा उसके बाद यू-टर्न लेकर नगरीय निकायों के चुनाव ईवीएम से कराने का निर्णय बताता है कि भाजपा चुनाव से घबरा रही है। इसके पहले भी जिन राज्यों में ईवीएम से चुनाव में भाजपा की जीत हुई थी उन्हीं राज्यों में कुछ महीनों के अंदर बैलेट पेपर से हुए स्थानीय निकाय के चुनावों में भाजपा की बुरी तरह पराजय हुई।  भाजपा यह जान रही है कि छत्तीसगढ़ में बैलेट पेपर से नगरीय निकाय चुनाव हुए तो वह नहीं जीतने वाली। इसीलिए घोषणा के बाद भी ईवीएम से चुनाव कराने की अधिसूचना जारी की गई

बैज ने कहा कि सरकार परीक्षा और निकाय चुनाव पर स्थिति स्पष्ट करे। अभी तक स्थानीय निकायों के चुनाव कार्यक्रम घोषित नहीं हुए हैं। जबकि स्कूलों के बोर्ड परीक्षाओं तथा अन्य परीक्षाओं की समय सारणी घोषित हो चुकी है। 10वीं एवं 12 वीं सीबीएससी की परीक्षा 15 फरवरी से शुरू होगी जो कि 18 मार्च तक चलेगी। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल की 10 वीं की परीक्षा 3 मार्च से शुरू होकर 24 मार्च तक चलेगी। आईसीएससी बोर्ड की परिक्षाएं भी फरवरी में होंगी। माध्यमिक शिक्षा मंडल की 12वीं की परीक्षा 1 मार्च से शुरू होकर 28 मार्च तक चलेगी। इसी प्रकार माध्यमिक शिक्षा मंडल की अन्य परीक्षाएं भी 1 मार्च से शुरू होकर 10 मार्च तक चलने वाली हैं। विभिन्न बोर्डों की घरेलू परीक्षाएं भी फरवरी माह में होंगी। सरकार तुरंत चुनाव कार्यक्रम घोषित करती है तो भी चुनाव के नामांकन, प्रचार एवं मतदान का फरवरी के पहले होना संभव नहीं है। ऐसे में चुनाव एवं परीक्षाओं का टकराना निश्चित है। चुनाव में उन्हीं स्कूलों का उपयोग होगा जहां परीक्षाएं हो रही होंगी। चुनाव ड्यूटी में भी शिक्षक लगाए जायेगें। ऐसे में कैसे दोनों का सामंजस्य बैठेगा? सरकार चाहती तो अभी तक चुनाव संपन्न हो चुके होते और परीक्षाओं तथा चुनाव के बीच टकराहट नहीं होती। अब इस चुनाव के कारण लाखों बच्चों की परीक्षाएं बाधित होंगी। सरकार चुनाव और परीक्षाओं को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करें।

प्रेस कांफ्रेंस में पूर्व मंत्री धनेन्द्र साहू, अमितेश शुक्ल, राजेंद्र तिवारी, प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला, वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र शर्मा, धनंजय सिंह ठाकुर, अशोक राज आहूजा, सुरेंद्र वर्मा, सत्य प्रकाश सिंह, अजय गंगवानी, वंदना राजपूत एवं ऋषभ चंद्राकर उपस्थित थे।

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