मिसाल न्यूज़
‘हॅस झन पगली फॅस जबे’ जैसी सुपर डूपर हिट फ़िल्म दे चुके प्रोड्यूसर छोटेलाल साहू की अगली छत्तीसगढ़ी फ़िल्म ‘चल हट कोनो देख लिही’ 13 मई को रुपहले पर्दे पर पहुंच रही है। उम्र में बड़े होने के बावजूद छोटेलाल साहू अपनी फ़िल्म के डायरेक्टर सतीश जैन को बड़े सम्मान के साथ चाचा कहते हैं। छोटेलाल कहते हैं- “हॅस झन पगली… की तरह ‘चल हट…’ में भी सतीश चाचा के डायरेक्शन का करिश्मा देखने को मिलेगा। चाचा की हां रहे तो मैं उनके साथ अगली फ़िल्म करने को भी तैयार हूं।
छोटेलाल साहू बताते हैं- “चल हट कोनो देख लिही यह नाम सतीश जैन जी का ही दिया हुआ है। ‘हॅस झन पगली फॅस जबे’ नाम भी उन्हीं का दिया हुआ था। मैंने तय कर रखा है कि हर साल एक फ़िल्म करना है। बीच में कोरोना की वज़ह से यह क्रम ज़रूर गड़बड़ा गया।“ आपको सतीश जी के साथ ही फ़िल्म बनाना क्यों रुचिकर लगता है, इस सवाल पर छोटेलाल कहते हैं- “फ़िल्म बनाना काफ़ी रिस्की होता है। छत्तीसगढ़ी फ़िल्म इंडस्ट्री काफ़ी छोटी है। फ़िल्म नहीं चलती है तो बैनर- पोस्टर का पैसा निकालना तक मुश्किल हो जाता है। सतीश जी जैसे डायरेक्टर साथ में रहें तो पैसा रिटर्न की गारंटी होती है। ‘चल हट कोनो देख लिही’ पारिवारिक ड्रामा है। इसमें आपको कमाल का एक्शन व डॉस देखने को मिलेगा। अंजली चौहान का कमाल का किरदार है। यह नारी प्रधान फ़िल्म है। नारी पर इतना दमदार करैक्टर आज तक मैंने किसी छत्तीसगढ़ी फ़िल्म में नहीं देखा।“
आप लंबे समय से छत्तीसगढ़ी सिनेमा पर नज़र रखते आए हैं आज की स्थिति में इसे कहां पाते हैं? इस सवाल पर छोटेलाल कहते हैं- “छत्तीसगढ़ी फ़िल्मों के स्तर में काफ़ी सुधार हुआ है। ऐसी फ़िल्में अब बनने लगी हैं जो दर्शकों को बांधे रखने में सफल रहें। छत्तीसगढ़ के फ़िल्म मेकर पूरी हिम्मत के साथ मैदान पर डटे हुए हैं। इन्हें सपोर्ट करने के लिए सरकार को अब बिना देर किए कदम बढ़ाना चाहिए। छत्तीसगढ़ी फ़िल्मों के निर्माण के लिए सरकार सब्सिडी दे। जितनी ज़ल्दी हो सके छत्तीसगढ़ में फ़िल्म सिटी का निर्माण हो। कस्बों से लेकर तक बड़े गांवों में मिनी थियेटर बनाने सरकार की ओर से पहल हो। छत्तीसगढ़ी फ़िल्मों के लिए जितनी ज़्यादा स्क्रीन उपलब्ध होंगी उतना ही पैसा निकालना आसान होगा।“
‘हॅस जन पगली फॅस जबे’ ने आपको नाम और दाम दोनों दिलाया, क्या आपको महसूस होता है कि एकाध मिनी थियेटर आपका अपना भी हो? इस प्रश्न के जवाब में वे कहते हैं- “मेरा मेलों में दो टूरिंग सिनेमा चलता है, विशाल और मुकेश टूरिंग टॉकीज़ के नाम से। दो चार स्थानों पर मिनी थियेटर सिनेमा शुरु करने का मन है। जगह भी देख रखी है। अभी इस पर ज़्यादा कुछ कहना ज़ल्दबाजी होगी।“
आपकी पहचान लोक कलाकार के रूप में भी रही है। फ़िल्म निर्माण के क्षेत्र में व्यस्त रहने के बाद अब क्या लोक कला मंच के लिए समय निकल पाते हैं, यब पूछने पर वे कहते हैं- “मेरा पूरा खानदान लोक कला से जुड़े रहा है, ऐसे में भला मुझसे लोक कला मंच कहां छूटने वाला। मेरे दादा, मां व बुआ संगीत से जुड़े रहे। बड़े भाई माधव जी ने मुझे कला के क्षेत्र में आगे बढ़ाया। मेरी खुद की ‘संगवारी’ नाम की संस्था है। यह संस्था जगह-जगह छत्तीसगढ़ी लोक कला की प्रस्तुति देती है।“
चलते-चलते यह पूछने पर कि ‘चल हट कोनो देख लिही’ के बाद आपकी अगली फ़िल्म कौन सी होगी? छोटेलाल कहते हैं- “मेरी अगली फ़िल्म दिसंबर-जनवरी में शुरु हो जाना था लेकिन कोरोना के कारण यह संभव नहीं हो पाया। अगली फ़िल्म भी सतीश चाचा के साथ ही करना चाहूंगा। उनके पास एक स्क्रीप्ट रेडी है।“