■ अनिरुद्ध दुबे
शुक्रवार को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायकों ने यह कहते हुए हंगामा मचाया कि “प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज के बंगले की रेकी हो रही है। भाजपा को जनपद एवं जिला पंचायत अध्यक्ष के आगे जो चुनाव होने हैं उसमें हार नज़र आ रही है। इसीलिए कांग्रेस नेताओं को टारगेट में रखते हुए तरह-तरह के हथकंडे अपनाएं जा रहे हैं।“ रेकी के इस मुद्दे पर कांग्रेस विधायकों ने शुक्रवार को विधानसभा की दिन भर की कार्यवाही का बहिष्कार किया। किसी ने एक पुराने अध्ययनशील कांग्रेसी से पूछ दिया कि रेकी जैसे मुद्दे को लेकर विधानसभा के दिन भर की कार्यवाही का बहिष्कार कर देना क्या यह सही कदम रहा? उस पुराने कांग्रेसी ज़वाब था- “बिलकुल सही कदम था। हमारे नेता पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बंगले की जब जासूसी कराई जा रही थी तो उसके विरोध में कांग्रेस ने तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की सरकार से समर्थन वापस ले लिया था और वह सरकार गिर गई थी। जब हम केन्द्र की सरकार गिरा सकते हैं तो एक दिन के लिए सदन को तो हिला ही सकते हैं।“
जब संप्रभुता
सांप्रदायिकता हो गई
बिलासपुर की नव निर्वाचित महापौर पूजा विधानी ने पद की शपथ लेते समय ‘संप्रभुता’ की जगह गलती से ‘सांप्रदायिकता’ बोल दिया, जिसके बाद कलेक्टर को उन्हें दोबारा शपथ दिलानी पड़ी। इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल, प्रिंट एवं सोशल मीडिया में पिछले दो-तीन दिन यह ख़बर लगातार दौड़ती रही। किसी इंसान से गलतियां तो हो ही जाती हैं। इसी छत्तीसगढ़ में राजनीति के क्षेत्र में इस तरह के उदाहरण पहले भी देखने मिलते रहे थे। छत्तीसगढ़ राज्य बना तो ऊंची कद-काठी के एक नेता को मंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हो गया था। उसी दौर में एक एंग्लो इंडियन नेत्री थीं। ऊंचे कद वाले नेता उन एंग्लो इंडियन नेत्री का नाम ठीक से नही ले पाते थे। उन नेत्री का नाम कुछ और था वह नेता जी उनके नाम का उच्चारण ‘मैक्डावल’ या ‘मेक मेड’ कर दिया करते थे। कभी इसी छत्तीसगढ़ की संवैधानिक संस्था की कुर्सी पर एक सीनियर नेता को बैठने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। सदन में कभी ऐसा भी अवसर आता, जब कहना होता था ‘दिवंगतों’ के सम्मान में सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित। लेकिन नेता जी कह जाते ‘दिंगवतों’ के सम्मान में सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित।
जब पार्षद ही
ठेकेदार बन जाएं
राजधानी रायपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने वहां मौजूद नव निर्वाचित भाजपा पार्षदों को नसीहत देते हुए कहा कि “आप लोग पार्षद ही बने रहना, ठेकेदार मत बनना। मैंने अपना राजनीतिक करियर एक पार्षद के ही रूप में शुरु किया था। यदि पार्षद रहते हुए में ठेकेदार बन जाता तो आगे चलकर क्लास वन ठेकेदार तो बन जाता, लेकिन वह सम्मान नहीं मिलता जो आज मुझे मिला है।“ देखा जाए तो डॉक्टर साहब ने लाख टके की बात कही है। न सिर्फ़ डॉक्टर साहब बल्कि राजनीति में शिखर को छूने वाले रमेश बैस एवं सुनील सोनी जैसे नेताओं का भी सितारा पार्षद बनने के बाद ही चमकना शुरु हुआ था। रायपुर नगर निगम में ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे जो पार्षदी करते-करते ठेकेदार हो गए। इसी रायपुर नगर निगम में 1994 में निर्दलीय पार्षद चुनाव जीते एक नेता का जब पार्षद कार्यकाल पूरा हुआ तो निगम से ही जुड़े रहते हुए ठेकेदारी करते रहे। बाद में वे फिर पार्षद चुनाव लड़े और जीते, लेकिन ठेकेदारी वाला उनका अंदाज़ नहीं गया। ताकत लगाकर किसी आयोग के अध्यक्ष बनने में भी वे क़ामयाब रहे, लेकिन विधायक की टिकट हासिल करने का उनका सपना अधूरा रह गया। उनकी वाणी में आज भी मिठास बरक़रार है, लेकिन जनता से जुड़े हुए वाज़िब कामों को आगे बढ़ाने की जब-जब बारी आती तो ईमानदारी और नियम कानून का पहाड़ा पढ़ने में वे पीछे नहीं रहते थे। ऐसी नस्ल के नेता रायपुर नगर निगम में कुछ और भी रहे थे, हो सकता है आगे भी देखने मिल जाएं।
गांधी प्रतिमा, राम
धुन और गंगा जल
रायपुर की नव निर्वाचित महापौर श्रीमती मीनल चौबे ने कह रखा है कि “महापौर की कुर्सी सम्हालने से पहले नगर निगम दफ़्तर में गंगा जल का छिड़काव करेंगी। पूर्व के कार्यकाल में रहे कुछ लोग ऐसा कृत्य करते रहे थे कि निगम मुख्यालय पाप की नगरी बनकर रह गया था। उनके पुराने पापों की छाया नगर निगम में बाकी नहीं रह जाए, इसके लिए निगम मुख्यालय को गंगा जल से पवित्र करना ज़रूरी है।“ नई महापौर के इस कथन ने कितने ही लोगों को सोचने पर मज़बूर कर दिया है। इसलिए कि पिछले ही कार्यकाल में निगम मुख्यालय के भूतल पर महात्मा गांधी की विशाल प्रतिमा स्थापित हुई थी। बापू का मूल संदेश यही रहा है कि “पाप से घृणा करो।“ यही नहीं पिछले कार्यकाल में यह भी व्यवस्था हुई थी कि सुबह 10 बजे नगर निगम में कामकाज शुरु होने के समय में “रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता राम…” गीत बजा करे, ताकि निगम से जुड़े जन प्रतिनिधि, अधिकारी व कर्मचारियों के मन, वचन व कर्म तीनों में शुद्धता रहे। हमेशा से प्रश्न यही खड़े रहा है कि रोज़ाना निगम दफ़्तर में कदम रखते ही बापू की प्रतिमा के दर्शन एवं कानों में राम धुन सुनाई पड़ते रहने के बाद भी क्या ज़िम्मेदार लोगों के आचरण में कोई सुधार आ पाया!
जब बियर वाली टी शर्ट
पर बवाल होते मचा था
माना जाता है कि शराब जितनी पुरानी होती है वह उतनी ही कीमती होती है और उसका असर भी ग़ज़ब का होता है। उसी तरह कुछ किस्से ऐसे होते हैं जो होते तो पुराने हैं, लेकिन कभी-कभार बातचीत में फिर उनका ज़िक्र हो जाए तो नये ही लगते हैं। कभी ऐसा ही एक ग़ज़ब वाकया हुआ था। नया रायपुर में स्थित एक यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट अपने शैक्षणिक परिसर में एक बड़ा कार्यक्रम करने वाले थे। इस काम के लिए उन्हें स्पॉन्सर की ज़रूरत थी। उत्साही स्टूडेंट बड़ी कंपनियों से संपर्क करते-करते शराब के एक जाने-माने ठेकेदार के पास पहुंच गए थे। शराब ठेकेदार भी ठहरे पक्के व्यापारी। उन्होंने छात्रों से कहा- “ठीक है, स्पॉन्सर देना मुझे मंजूर है, लेकिन फंक्शन वाले दिन तूम लोगों को मेरी बियर ब्रांड वाली टी शर्ट पहननी पड़ेगी।“ स्टूडेंट तो ठहरे स्टूडेंट, वो बेचारे कहां दूर की सोच पाते। वो तो इस बात से काफ़ी खुश थे कि फंक्शन के लिए बड़ी राशि मिलने जा रही है। अति उत्साही स्टूडेंट यूनिवर्सिटी लौटते ही सीधे एचओडी मैडम के पास पहुंचे और उछलते हुए ख़बर सुनाई कि मैडम काफ़ी बड़ी स्पॉन्सरशिप मिल गई। शर्त यह है कि हमें उनकी ब्रांड वाली टी शर्ट पहननी होगी, तो उसमें क्या है पहन लेंगे। यह सुनते ही एचओडी मैडम का पारा सातवें आसमान पर जा पहुंचा था। फिर उन्होंने अति उत्साही छात्रों की ऐसी परेड ली थी कि पूछो मत।