मिसाल न्यूज़
अंजली सिंह चौहान छत्तीसगढ़ी सिनेमा की जानी-मानी करैक्टर आर्टिस्ट हैं। 13 मई को प्रदर्शित होने जा रही ‘चल हट कोनो देख लिही’ में अंजलि के किरदार की काफ़ी चर्चा है। ‘चल हट…’ का ट्रेलर देखने के बाद बहुत से सिनेमा प्रेमी तो अब उन्हें ‘मदर छत्तीसगढ़’ भी कहने लगे हैं। स्वयं अंजली कहती हैं कि “बरसों से जिस तरह के रोल करने का मेरा जो सपना था वह ‘चल हट…’ में जाकर पूरा हुआ है।“
‘चल हट कोनो देख लिही’ में आपका किस तरह का किरदार है? इस सवाल पर अंजली चौहान कहती हैं- एक दबंग महिला का। ऐसी महिला जो पुरुष प्रधान समाज को चुनौती देती है। जिस तरह के चुनौतीपूर्ण किरदार निभाने का मेरा जो ख़्वाब था वह अब जाकर पूरा हुआ है। ‘चल हट कोनो…’ के ट्रेलर में मेरे किरदार की कुछ झलकियां पेश हुई हैं, जिसे लोग काफ़ी पसंद कर रहे हैं।“
आपको ‘चल हट कोनो…’ मिली कैसे, इस सवाल पर कहती हैं- “यह एक नारी प्रधान फ़िल्म है। विद्रोही महिला के किरदार के लिए डायरेक्टर सतीश जैन जी को सीनियर एक्ट्रेस की तलाश थी। कुछ लोगों ने उनको मेरा नाम सूझाया। सतीश जी का फोन आया कि बेटा तेरे से मिलना था। मैं उनके पास गई। उन्होंने कहा कि तीन-चार करैक्टर मेरे दिमाग में हैं। डिसाइड होने के बाद ज़रूर ख़बर करूंगा। जब दोबारा मुलाक़ात हुई तो उन्होंने बताया कि साहसी महिला शारदा देवी का किरदार तुम्हें करना है। फ़िल्म जब शूट पर गई तब मुझे महसूस हुआ कि शारदा देवी का किरदार एक दृढ़ संकल्पित शक्तिशाली महिला का है। सतीश जी के साथ काम करने पर मैंने पाया कि वह अपनी फ़िल्म में किसी तरह का समझौता नहीं करते। वह कलाकारों का जो चयन करते हैं उस पर कोई उंगली नहीं उठा सकता। उन्होंने मेरे किरदार के बारे में समझाते हुए कहा था कि तूम जो रोल करने जा रही हो न वह बड़ी अजीब सी औरत है। खुद्दारी उसमें कूट-कूटकर भरी है। मेरा सिद्धांत रहा है कि पहले पैसा नहीं स्क्रीप्ट देखती हूं। सतीश जी ने जिस तरह मुझे रोल के बारे में समझाया, मानो क्षण भर में मैंने उसे आत्मसात कर लिया था।“
पिछले क़रीब 4 वर्षों से आप लगातार छत्तीसगढ़ी फ़िल्में कर रही हैं, क्या ऐसा नहीं लगता कि मुम्बई के बजाय छत्तीसगढ़ को स्थायी ठिकाना बना लेना चाहिए? अंजलि कहती हैं- बिलकुल, छत्तीसगढ़ में ही रहने का मन करता है, लेकिन मुम्बई के फ्लैट को पूरे समय छोड़ा नहीं जा सकता। यही कारण है कि आना जाना लगे रहता है। छत्तीसगढ़ में डौंडीलोहारा ब्लॉक में अरजपुरी गांव है। मैं वहीं की रहने वाली हूं। मेरा ज़्यादा समय वहां भी बीतता है।“ फ़िल्मों में आने से पहले आप लोक कला मंच से जुड़ी रही थीं, वहां की यादें भी तो आपको खींचती होंगी? अंजलि कहती हैं- बहुत मन करता है कि लोक कला मंच की ओर लौटें, जो कि अब मुश्किल है। प्रोग्राम की तैयारियों में हम लोग दिन-रात एक कर दिया करते थे। स्टेज पर नृत्य करना कितना अच्छा लगा करता था। मैं लोक रंग अर्जुन्दा से बरसों जुड़ी रही थी। कला की बहुत बारीक समझ रखने वाले दीपक चंद्राकर जी हमारे मार्गदर्शक थे।“
फिर सतीश जैन जी की तरफ लौटें, वे एक स्टार डायरेक्टर माने जाते हैं, ‘चल हट कोनो…’ की रिलीज़ से पहले उनको लेकर आपकी और अलग हटकर क्या प्रतिक्रिया होगी? अंजलि कहती हैं- “जिसमें सीखने की ललक हो उसके लिए सतीश जी के साथ एक फ़िल्म करना ही काफ़ी है। मैंने उन्हें बिना रुके घंटों काम करते देखा। फ़िल्म मेकिंग के अलावा अन्य छोटी-छोटी बातों पर भी उनका ध्यान रहता था कि यूनिट के सारे सदस्यों ने खाना खाया की नहीं। खाना लेट तो नहीं हो रहा। फ़िल्म के किसी सदस्य की थोड़ी सी भी तबियत बिगड़ जाए तो उसे लेकर वे चिंतित हो जाते थे। वो स्टार पैदा करने वाले डायरेक्टर हैं। कंपलीट डायरेक्टर। सबसे बड़ी बात अच्छे डायरेक्टर होने के साथ वे अच्छे बेटे, अच्छे पति और अच्छे पिता हैं।“
कुछ हीरो दिलेश साहू के बारे में भी बात हो जाए, जिसने ‘चल हट कोनो…’ में आपके बेटे का रोल किया है, अंजलि कहती हैं- “दिलेश बहुत अच्छा एक्शन स्टार है। उसने अपने रोल को लेकर शूट शुरु होने से पहले दो महीने तैयारी की थी। आने वाले समय में वह छत्तीसगढ़ी सिनेमा का बड़ा चेहरा होगा।“
आपकी आने वाली फ़िल्में, पूछने पर अंजलि बताती हैं- “सुंदरानी प्रोडक्शन की फ़िल्म में काम कर रही हूं जिसका नाम अभी नहीं रखा गया है। ‘मया-3’ शूट पर जाने वाली है। ‘सुन सुन मया के धुन’ पूरी हो चुकी है, जो कि जून या जुलाई में रिलीज़ होगी।“