कारवां (9 मार्च 2025) ● बजट भाषण तो यादगार पर सत्ता पक्ष पर अपने ही लोग भारी… ● कौड़ियों के मोल ज़मीन देने पर त्वरित प्रतिक्रिया… ● ‘इन्वेस्ट शो’ बिन दुल्हा बारात… ● ऐसी छूट हाउसिंग बोर्ड को ही मुबारक़…

■ अनिरुद्ध दुबे

छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र का आधा समय गुज़र चुका। कुछ ऐसे क्षण आए तथा हो सकता है आगे कुछ और आएं जिन्हें लेकर यह बजट सत्र लंबे समय तक याद रखा जाए! वित्त मंत्री ओ.पी.चौधरी ने इस बार हाथ से लिखा हुआ बजट पेश किया। 100 पेज का बजट भाषण। यानी एक छोटी-मोटी किताब। ऐसा करने काफ़ी धैर्य की ज़रूरत होती है। ख़ासकर ऐसे व्यक्ति के लिए जिनके पास वित्त, वाणिज्यिक कर, आवास एवं पर्यावरण, योजना आर्थिक व सांख्यिकी जैसे विभाग हों। ऐसे विभाग जो मानसिक तौर पर उलझाए रखने वाले विभाग हैं। ऐसे विभागों वाले मंत्री ने अपने हाथों से पूरा बजट भाषण लिखा। बजट पेश होने के तूरंत बाद विधानसभा के कांफ्रेंस हॉल में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय एवं ओ.पी चौधरी मीडिया से रूबरू हुए। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि शायद इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ होगा कि कोई मंत्री अपना बजट भाषण अपने हाथ से लिखकर लाए हों। बहरहाल बजट तो शांतिपूर्ण माहौल में पेश हो गया, लेकिन बाकी दिनों में विधानसभा में विपक्ष से ज़्यादा सत्ता पक्ष के विधायकों की लगातार गूंज सुनाई देती रही है। वरिष्ठ विधायक अजय चंद्राकर दो बार स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल तथा उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा को एक बार सदन में अपने बेहद कठिन सवालों से घेर चुके हैं। सवाल करने और ज़वाब देने वाले दोनों के ही चेहरों पर भारी तनाव झलकता दिखा था। वहीं एक और वरिष्ठ भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक ने राजधानी रायपुर के अमलीडीह इलाके की 56 करोड़ की ज़मीन को 9 करोड़ में रामा बिल्डकॉन को दे दिए जाने का आरोप लगाते हुए अपने सवालों से राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा को जमकर लपेटा। वहीं रईसों व्दारा एपीएल राशन कार्ड को बीपीएल राशन कार्ड में बदला लेने तथा सर्प दंश से मौत के नाम पर भ्रष्टाचार करते हुए बिलासपुर क्षेत्र में धन उगाही करने को लेकर युवा भाजपा विधायक सुशांत शुक्ला सदन में जमकर बरसे। विधानसभा की कार्यवाही पर सतत् नज़र रखने वालों का मानना है कि विपक्ष से ज़्यादा तीखे तेवर तो सत्ता पक्ष के विधायकों के देखने मिल रहे हैं।

कौड़ियों के मोल ज़मीन

देने पर त्वरित प्रतिक्रिया

वरिष्ठ भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक ने राजधानी रायपुर के अमलीडीह इलाके की करोड़ों की शासकीय ज़मीन को कौड़ियों के मोल रामा बिल्डकॉन को दे दिए जाने वाला मामला विधानसभा में जो उठाया उस पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व रायपुर महापौर प्रमोद दुबे की त्वरित प्रतिक्रिया सोशल मीडिया में सामने आई। दुबे की प्रतिक्रिया बिना किसी काट-छांट के यहां प्रस्तुत है- “धन्य हैं छत्तीसगढ़ के अधिकारी। विधानसभा में मंत्री के ज़वाब सुनकर अंदाज़ा लगा सकते हैं कि कितना हल्का ज़वाब देते हैं। अमलीडीह की ज़मीन को शासन ने किसी को आबंटित नहीं किया, अभी शासन के पास है मंत्री जी कह दिए। आबंटन न किये होते तो रामा बिल्डकॉन के नाम को निरस्त क्यों करते? दूसरी विडंबना यह कि कलेक्टर गाईड लाइन अमलीडीह की ज़मीनों को लेकर निर्धारित है तो किस अधिकारी ने 56 करोड़ की जमीन का मूल्यांकन 9 करोड़ कर डिमांड निकाला। 47 करोड़ कम करने की हिमाक़त करने वाले अधिकारी पर कार्यवाही नहीं किया जाना समझ से परे है। साफ़ ज़ाहिर है कि अधिकारी को भी पैसा मिला होगा और संबंधित विभाग के मंत्री को भी। धरमलाल कौशिक जी को बधाई। चाहें तो 12 नेताओं सहित 9 अधिकारियों के स्वर्ण भूमि में स्थित बड़े बंगलों के जाकर दर्शन कर लें।“

‘इन्वेस्ट शो’ बिन

दुल्हा बारात

विधानसभा के इस बजट सत्र में प्रश्नकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने अपने चिर-परिचित मखमली वार करने वाले पुराने अंदाज़ में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन की ओर मुख़ातिब होते हुए पूछा कि छत्तीसगढ़ में क्या ऐसी कोई परंपरा है कि बिना दुल्हे के बारात जाए। डॉ. महंत का यह सवाल छत्तीसगढ़ सरकार व्दारा दिल्ली एवं मुम्बई में आयोजित किए गए इन्वेस्ट सम्मेलन को लेकर था। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री देवांगन ने स्वीकार किया कि दिल्ली के आयोजन में 1 करोड़ 3 लाख 53 हजार 745 रुपये तथा मुम्बई के आयोजन में 1 करोड़ 61 लाख 27 हजार 531 रुपये कुल व्यय हुए। विधानसभा में डॉ. महंत की ओर से उठे इस सवाल के बाद एक नई बहस छिड़ गई कि इस तरह के इन्वेस्ट सम्मेलनों की उपयोगिता क्या! दिन रात राजनीतिक उधेड़बुन में लगे रहने वाले कुछ लोगों ने पुरानी यादों को खंगलाते हुए कहा कि “डॉ. रमन सिंह भी तो अपने दूसरे मुख्यमंत्रित्व काल में नया रायपुर में इन्वेस्टर मीट का आयोजन किए थे, जिसमें देश के कई बड़े उद्योगपतियों के आने के दावे किए गए थे। उस इन्वेस्टर मीट का छत्तीसगढ़ को कितना फायदा मिल पाया इसका ज़वाब आज तक ढूंढ़ा नहीं जा सका है।“

ऐसी छूट हाउसिंग

बोर्ड को ही मुबारक़

छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल (हाउसिंग बोर्ड) ने प्रदेश के कई स्थानों पर 20 से 30 प्रतिशत तक छूट पर मकान एवं दुकान बेचने का विज्ञापन निकाला। इस शर्त के साथ कि मकान एवं दुकान वर्तमान में जिस हालत में हैं वैसा ही उनका विक्रय किया जाएगा। 20 से 30 प्रतिशत तक की छूट मकानों एवं दुकानों में, यह सुनना भला किस ज़रूरतमंद को अच्छा नहीं लगेगा। राजधानी रायपुर के खोजबीन करते रहने वाले कुछ लोग शहर के उन स्थानों पर पहुंच गए जहां के मकानों और दुकानों का विज्ञापन निकला हुआ था। वहां जाने पर पाया कि  कोई कंशट्रक्शन दस साल पुराना है, तो कोई पंद्रह से बीस साल पुराना। मकानों के प्लास्टर उखड़ चुके हैं और दरवाज़ों-खिड़कियों का बुरा हाल है। इन मकानों पर कैमरा फ़ोकस करते हुए किसी हॉरर फ़िल्म की शूटिंग की जा सकती है। दुकानों की बात करें तो कहीं का शटर बुरी तरह जंग खा चुका है तो कहीं का चोर ले उड़े हैं। तथाकथित दुकानों के सामने की सीढ़ियां तक अपनी जगह से उखड़ी हुई हैं मानो कोई ‘बाहुबली’ फ़िल्म के हीरो जैसे किसी करैक्टर ने ज़मीन से सीढ़ी को उखाड़कर शक्ति प्रदर्शन कर दिया हो। इन मकानों एवं दुकानों को देखकर ये भी फिलिंग (काल्पनिक) आ सकती है कि कभी यहां पर भूकंप आया रहा होगा, जो ऐसी तबाही मचा गया। मकान-दुकान पर ऐसी छूट हाउसिंग बोर्ड को ही मुबारक़।

रायपुर जिला पंचायत सीईओ

से निगम कमिश्नर बनने

का लगातार संयोग

रायपुर जिला पंचायत का मानो रायपुर नगर निगम से गहरा रिश्ता हो गया है। रायपुर जिला पंचायत का जो सीईओ रहता है, बाद में वही रायपुर नगर निगम कमिश्नर हो जाता है। नये नगर निगम कमिश्नर विश्वदीप पहले जिला पंचायत में सीईओ थे। इनसे पहले के निगम कमिश्नर अबिनाश मिश्रा, उनके भी पहले के निगम कमिश्नर मयंक चतुर्वेदी भी जिला पंचायत में सीईओ थे। विश्वदीप की तरह ये दोनों भी पंचायत से सीधे निगम आए थे। रायपुर कलेक्टर गौरव सिंह की बात कर लें, ये भी पहले रायपुर जिला पंचायत में सीईओ ही थे। किसी समय में गौरव सिंह का पंचायत से सीधे निगम कमिश्नर बनकर आने का भी चला था लेकिन उन्हें कलेक्टर बनने का गौरव प्राप्त हुआ।

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