मिसाल न्यूज़
रायपुर। विधानसभा में आज कांग्रेस विधायक उमेश पटेल व्दारा यह सवाल खड़ा करने पर कि क्या जेरापाली गांव की जमीनें जिंदल इंडस्ट्री के नाम पर ट्रांसफर कर दी गई हैं, सदन का माहौल गरमा गया। इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी सवाल खड़े करते हुए मामले की सदन की कमेटी से जांच कराने की मांग की। राजस्व मंत्री की ओर से ऐसी कोई जांच की घोषणा नहीं होने पर कांग्रेस विधायकगण विरोध जताते हुए सदन से वाक आउट कर गए।
प्रश्नकाल में कांग्रेस विधायक उमेश पटेल का सवाल था कि रायगढ़ जिले की केलो परियोजना कार्य में भू-अर्जन के कितने मामले किस कारण से लंबित हैं? केलो परियोजना कार्य में भू-अर्जन के कारण कितना विलंब हुआ है? क्या केलो परियोजना से उद्योगों को पानी मिल रहा है? यदि हाँ, तो किसानों को कब तक पानी मिल जायेगा? परियोजना को पूर्ण करने हेतु राजस्व मामले का निराकरण कब तक पूर्ण करके परियोजना का लाभ किसानों को दिया जायेगा?
राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा की ओर से जवाब आया कि केलो परियोजना अनुविभाग रायगढ़ अंतर्गत भू-अर्जन को लेकर सर्वेक्षण हुआ। संभाग रायगढ़ में 09 प्रकरण एवं केलो परियोजना निर्माण संभाग खरसिया में 13 प्रकरण तथा अनुविभाग घरघोड़ा में 01 प्रकरण ग्राम उज्जवलपुर के डूबान प्रभावित रकबा 22.675 हेक्टेयर का उच्च न्यायालय बिलासपुर के निर्णय के परिप्रेक्ष्य में नये सिरे से अवार्ड पारित किया जाना है। इस प्रकार कुल 23 प्रकरण लंबित हैं। केलो परियोजना कार्य में भू-अर्जन प्रकरण समय-सीमा में निराकृत हो रहे हैं। केलो परियोजना से घरघोड़ा अनुविभाग अंतर्गत मेसर्स अंजनी स्टील प्राइवेट लिमिटेड उज्जवलपुर को औद्योगिक प्रयोजन हेतु पानी दिया जा रहा है। केलो परियोजना क्षेत्र में प्रभावित किसानों को वर्ष 2013-14 से ट्रायल रन के तौर पर खरीफ सिंचाई हेतु पानी दिया जा रहा है। परियोजना को पूर्ण करने हेतु लंबित राजस्व मामले का निराकरण समय-सीमा में किया जा रहा है। परियोजना का लाभ किसानों को वर्ष जून 2026 तक दिया जावेगा।
उमेश पटेल ने पूछा- केलो परियोजना का कई टूकड़ों में टेंडर हुआ होगा। कितने टेंडर मान्य हुए, कितने निरस्त हुए? वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा- पिछले 5 वर्षों में जब आपकी सरकार थी इस परियोजना के लिए एक रुपये भी नहीं दिया गया। हमारे वित्त मंत्री ने इसके लिए 291 करोड़ का प्रावधान रखा है। उमेश पटेल ने कहा- जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई। क्या इसे पीछे कारण केन्द्रांश की राशि नहीं मिलना भी था। टंकराम वर्मा ने कहा- 2008 का प्रोजेक्ट है। 22 हजार हेक्टेयर में सिंचाई होना है। कुछ उद्योगों को भी पानी देना है। 22 प्रकरण लंबित हैं। भू अर्जन का काम राजस्व विभाग का है, इसके आगे का काम जल संसाधन विभाग का है। उमेश पटेल ने पूछा- केलो परियोजना की जमीन क्या किसी इंडस्ट्री को ट्रांसफर करने की शिकायत सामने आई है? मंत्री वर्मा का जवाब नहीं में आया। उमेश पटेल ने कहा- 22 खसरों का जेरापाली गांव है। वहां जिंदल इंडस्ट्री के नाम जमीन ट्रांसफर कर दी गई। अगस्त 2024 में हमने इसकी शिकायत की थी। टंकराम वर्मा ने कहा- जलाशय की जमीन ट्रांसफर हुई होगी तो निश्चित रूप से कार्यवाही करूंगा।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा- ये सीधे-सीधे लैंड यूज चेंज का मामला है। क्या अपकी अध्यक्षता वाली कमेटी से इसकी जांच कराएंगे। टंकराम वर्मा ने कहा- विभागीय जांच करा लेंगे। भूपेश बघेल ने कहा- इस पवित्र सदन की विधायकों की कमेटी से जांच करा लें। जमीन की अफरातफरी का बड़ा मामला है। आपके विभाग का कोई अधिकारी कैसे इसकी जांच कर सकता है। आपकी नाक के नीचे यह सब हुआ है। सदन की कमेटी से जांच कराएं। इस तरह के मामलों में लैंड यूज चेंज मंत्री मंडल की उप समिति के निर्णय से होता है। मैं भी राजस्व मंत्री रहा हूं, इसलिए बारीकियों को जानता हूं। इसलिए सदन की कमेटी से इसकी जांच करा लें। टंकराम वर्मा ने कहा- यह सब मेरे संज्ञान में नहीं आया है। मंत्री का यह जवाब सामने आने पर भूपेश बघेल ‘सदन की कमेटी से जांच कराओ’ का नारा लगाने लगे। दूसरे विपक्षी विधायकों ने भी शोर मचाना शुरु कर दिया। मंत्री के जवाब पर असंतोष जताते हुए सारे विपक्षी विधायक सदन से वाक आउट कर गए।