■ अनिरुद्ध दुबे
पिछले सवा साल में विधानसभा, लोकसभा, नगरीय निकाय से लेकर पंचायतों तक के चुनाव हो चुके। मार्च में छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र भी निपट गया। यानी भाजपा की सरकार व उसके संगठन के पास सोचने व करने को पर्याप्त समय मिल गया है। इसके साथ ही सरकार में 2 नये मंत्री बनाए जाने तथा निगम-मंडलों में नियुक्ति को लेकर चर्चाओं का दौर एक फिर शुरु हो गया है। राजनीतक चिंतन में डूबे रहने वाले कुछ कर्मठ भाजपाई तो यही बता रहे हैं कि अप्रैल महीने में निगम-मंडलों की पहली लिस्ट जारी होने या फिर दो लोगों का मंत्री मंडल में लेने, इन दोनों में से एक काम हो जाना है। देखने वाली बात यह रहेगी कि पहले निगम-मंडलों में नियुक्तियों का दौर शुरु होगा या फिर दो नये मंत्रियों की ताज़पोशी।
नेताजी की लुटिया
डूबोने में लगा पीए
किसी भी मंत्री, सांसद या विधायक की छवि बनाने या बिगाड़ने में पीए का बहुत बड़ा हाथ रहता है। फिर एक चालू छाप कहावत यह भी है कि “इनके जैसे दोस्त रहें तो फिर दुश्मनों की क्या ज़रूरत।“ रायपुर के एक नेता जी पर ऐसी ही कुछ लाइन इन दिनों फिट बैठ रही है। नेता जी की तरफ से पूरी कोशिश यही हो रही है कि जनता के बीच उनकी अलग पहचान बने, लेकिन उनके पीए उस पर पानी फेर दे रहे हैं। नेता जी जब रायपुर में आम लोगों से मेल मुलाक़ात कर रहे हों और पीए के पास किसी का फोन जाए कि सर हैं क्या, तो कभी ज़वाब होता है कि शहर से बाहर निकले हुए हैं, तो कभी कहते हैं कि ठिकाने पर पहुंचे नहीं हैं। बीच में कुछ ऐसा ही वाक़या तब हुआ जब लोगों से घिरे रहने वाले किसी व्यक्ति ने पीए को फोन लगाया और पूछा कि नेता जी क्या अपने ठिकाने पर बैठे हैं तो उधर से ज़वाब मिला दुर्ग निकले हुए हैं, रात तक आएंगे। पूछने वाले को शंका हुई और उसने नेता जी के इर्द-गिर्द रहने वाले किसी व्यक्ति को फोन लगाया और लोकेशन मांगा। फोन पर ज़वाब मिला कि नेता जी ऑफिस में हैं और मैं उनके सामने ही हूं। वैसे इस तरह गुमराह करने वाले पीए की असलियत से बहुत से लोग वाकिफ़ हो चुके हैं।
सपनों के शहंशाह पर
मीनल का निशाना
अप्रैल का महीना ख़त्म होने के ठीक पहले रायपुर महापौर श्रीमती मीनल चौबे ने नगर निगम का अपना पहला बजट पेश किया। उनके बजट भाषण की बहुत सी लाइनों पर मेज धम-धम गूंजी। गूंजना ही था। इस बार के नगर निगम चुनाव में भाजपा को विस्फोटक बहुमत जो मिला है। 70 में से 60 भाजपा के पार्षद। महापौर जी का गीत और कविता से लगाव कोई आज का नहीं बल्कि पुराना है। उनका साहित्य प्रेम बजट भाषण में भी देखने को मिला। बजट भाषण के दौरान 12 जगह पर उनका काव्य प्रेम झलका। यानी 12 बार कहीं पर हिन्दी की शुद्ध कविता या कहीं उर्दू का शे’र पढ़ीं। महापौर ने दो मौकों पर ऐसा लाइनें पढ़ीं, जिनके गहरे अर्थ निकाले जा रहे हैं। बजट भाषण में एक जगह पर उन्होंने कहा-
“पिछला कार्यकाल
सपनों के नाम रहा
सपनों के दाम रहा
सपनों के घोड़ों पर
बैठे शहंशाह पर
किसी का लगाम न रहा”
इसके बाद एक और जगह पर महापौर ने ये लाइनें कहीं-
“वो झूठ बोल रहा था
बड़े सलीके से
मैं ऐतबार नहीं करती
तो और क्या करती”
महापौर ने बजट भाषण में शे’र कहते हुए किस पर निशाना सीधा है, सुनने वालों को यह समझते देर नहीं लगी।
भाभी की न्यूज़ लगा
देना फोटो के साथ
राजधानी रायपुर के एक जाने-पहचाने नेता की धर्म पत्नी को पार्षद बनने का सौभाग्य प्राप्त हो गया है। नगर निगम की बजट की सामान्य सभा थी। सदन में अपनी जो भी बात रखना है, नेताजी की पत्नी उसकी तैयारी करके पहुंचीं थीं। सभापति सूर्यकांत राठौर ने जब बोलने का मौका दिया तो वे अपनी बात रखीं भी। सदन में मैडम की बात ख़त्म हुई ही थी कि नेता जी ने बिना देर किए कुछ मीडिया मित्रों को फोन कर पूछा, “तुम्हारी भाभी का परफारमेंस कैसा रहा।“ यही नहीं, शाम हुई तो बक़ायदा मीडिया मित्रों को फोन कर यह भी कहा “तूम्हारी भाभी का समाचार फोटो के साथ अच्छे से लगा देना।“
एक लोटा जल, सारी
समस्याओं का हल
“एक लोटा जल सारी समस्याओं का हल”- कांग्रेसियों व्दारा यह जुमला इन दिनों रह-रहकर दोहराया जा रहा है। भक्ति भाव के कारण नहीं, बल्कि महादेव एप के कारण। उल्लेखनीय है कि प्रवचनकर्ता पंडित प्रदीप मिश्रा अक़्सर अपने प्रवचन में कहा करते हैं- “एक लोटा जल, सारी समस्याओं का हल।“ कुछ दिनों पहले मीडिया में एक तस्वीर नज़र आई थी, जिसमें महादेव एप के सरगना सौरभ चंद्राकर एवं रवि उप्पल, पंडित प्रदीप मिश्रा के साथ खड़े दिख रहे हैं। हाल ही में महादेव एप को लेकर ही सीबीआई ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं विधायक देवेन्द्र यादव समेत 4 आईपीएस अफसरों के ठिकानों पर छापा मारा। छापे के बाद भूपेश बघेल ने मीडिया के सामने कहा कि “पंडित प्रदीप मिश्रा दुबई कथा करने गए थे, जहां सौरभ चंद्राकर व रवि उप्पल उनके जजमान थे। सीबीआई पंडित मिश्रा से पूछताछ क्यों नहीं करती, जबकि इन दिनों तो वे मुख्यमंत्री के ही क्षेत्र जशपुर तरफ कहीं पर प्रवचन दे रहे हैं।“
शुक्ल जी को
ज्ञानपीठ पुरस्कार
ख्याति प्राप्त कवि विनोद कुमार शुक्ल को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलने की घोषणा होने पर न सिर्फ़ छत्तीसगढ़ बल्कि देश की साहित्य बिरादरी में ख़ुशी की लहर है। हिन्दी साहित्य से गहरा संबंध रखने वाले लोगों की तरफ से सोशल मीडिया की तरफ से शुक्ल जी को बधाईयां देने का दौर जारी है। वैसे तो शुक्ल जी ने पूरा जीवन साहित्य साधना में लगाया लेकिन उनके नाम की चर्चा उस समय ज़्यादा होती नजर आई जब चुनौतीपूर्ण विषयों पर फ़िल्म बनाने के लिए मशहूर रहे मणि कौल ने शुक्ल जी के उपन्यास ‘नौकर की कमीज़’ पर फ़िल्म बनाई थी। उससे पहले मणि कौल ने गजानन माधव मुक्तिबोध की कृति ‘सतह से उठता आदमी’ पर भी फ़िल्म बनाई थी। मुक्तिबोध जी और शुक्ल जी दोनों ही छत्तीसगढ़ की ऐसी हस्तियां रहीं जिनका नाम विश्व में गूंजा है। शुक्ल जी की एक कथा ‘आदमी की औरत’ पर एक शार्ट मूवी भी बनी थी, जिसका कभी रायपुर फ़िल्म फेस्टिवल में संस्कृति विभाग के ऑडिटोरियम में प्रदर्शन हुआ था। वास्तविक अभिनय के लिए मशहूर फ़िल्म अभिनेता मानव कौल शुक्ल जी की कृतियों के दीवाने हैं। मुक्तिबोध जी एवं शुक्ल जी दोनों ने ही संस्कारों के लिए मशहूर रहे शहर राजनांदगांव में लंबा समय गुज़ारा था। यही नहीं राजनांदगांव में शुक्ल जी, मुक्तिबोध जी के बराबर संपर्क में भी रहे थे। यह बात कम लोग जानते हैं कि राजनांदगांव के क्रांतिकारी विधायक रहे पंडित किशोरीलाल शुक्ल विनोद कुमार शुक्ल के चाचा थे। बहुत ही नपे-तूले शब्दों में बात करने वाले शुक्ल जी ने लंबे समय तक इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में सेवाएं दी थी। धान का कटोरा कहलाने वाले छत्तीसगढ़ के नवोदित साहित्यकारों के लिए शुक्ल जी प्रेरणा स्त्रोत हैं।