संस्कृति का पहाड़ा बहुत पढ़ लिए, छत्तीसगढ़ी सिनेमा को अब उद्योग में बदलने की ज़रूरत- मोहित साहू

मिसाल न्यूज़

जाने-माने प्रोड्यूसर मोहित साहू छत्तीसगढ़ी फ़िल्म निर्माण के क्षेत्र में लंबा दांव खेले हुए हैं। उनके एन. माही फ़िल्म्स प्रोडक्शन तले बनीं ‘गुईयां- 2’ एवं ‘जानकी भाग- 1’ जहां ज़ल्द प्रदर्शित होने जा रही हैं, वहीं आधा दर्जन फ़िल्में निर्माणाधीन हैं। प्रतिभाशाली एक्टर हो या डायरेक्टर, संगीतकार हो या राइटर या फिर टेक्नीशियन, मोहित ने सब के लिए अपने दरवाज़े खोल रखे हैं। उनका अपना ओटीटी प्लेटफार्म है और मालती फाउंडेशन संस्था भी। मालती फाउंडेशन जनहित में काम कर रही है। मोहित ज़रूरतमंद कलाकारों एवं टेक्नीशियनों के लिए राजधानी रायपुर में हाउसिंग प्रोजेक्ट लाने की दिशा में भी विचार कर रहे हैं।

मोहित साहू की छत्तीसगढ़ी सिनेमा के इस दौर को लेकर क्या सोच है और उनकी भावी योजनाएं क्या हैं, इस पर ‘मिसाल न्यूज़’ ने उनसे हाल ही में बातचीत की। मोहित साहू कहते हैं- “छत्तीसगढ़ की कला एवं संस्कृति को बचाए रखने की ज़िम्मेदारी निश्चित रूप से हम सब की है, लेकिन कब तक संस्कृति का पहाड़ा पढ़ते रहेंगे। हमें छत्तीसगढ़ी सिनेमा को उद्योग में बदलना होगा। बोलचाल की भाषा में फ़िल्म के साथ ‘इंडस्ट्री’ शब्द बरसों से जुड़ता आया है। इसकी सार्थकता तभी है जब छत्तीसगढ़ी सिनेमा भी उद्योग के रूप में नज़र आए। मानता हूं कि कोई भी उद्योग या व्यापार जोखिम से भरा होता है। लेकिन जोखिम तो उठाना ही पड़ेगा। मैंने यह जोखिम उठाने की कोशिश की है। और लोग भी ऐसा कर रहे होंगे। यह भी माना कि कदम-कदम पर ठोकर है, लेकिन ठोकर तो खाना ही पड़ेगा। फिर चाहे इसके लिए रातों की नींद ही क्यों न हराम करना पड़े।”

‘गुईयां– 2’ रिलीज़ होने को है। क्या यह मान सकते हैं कि ‘गुईयां-1’ अमलेश नागेश के कारण चली थी, इस सवाल पर मोहित कहते हैं- “निश्चित रूप से अमलेश का अपना बड़ा प्रशंसक वर्ग है। लोग उन्हें देखने सिनेमा हॉल आते हैं, लेकिन ‘गुईयां-1’ का संगीत कमाल का था। लंबा समय हो गया फ़िल्म बनाते, लेकिन संगीत की क्या अहमियत होती है, इसे बेहतर तरीके से ‘गुईयां-1’ से समझ पाया। ‘गुईयां- 1’ के बाद से एन.माही की जितनी भी फ़िल्में बन रही हैं, उनके संगीत पर पूरा जोर लगाकर काम हो रहा है। अब कोई भी फ़िल्म शूट पर जाए उससे पहले गीतकार, गायक एवं संगीतकार तीनों के साथ ऑफिस में लंबी सिटिंग होती है। फ़िल्म संगीत पर इस समय बिना रुके काम कर रहे मोनिका-तोषांत, राजन कर एवं ओमी स्टाइलो से गानों की धुन पर लंबी बातचीत होती है।”

जब आप इतनी तैयारियों के साथ फ़िल्में बनाने लगे हैं तो ‘चंदा मामा’ के न चल पाने के पीछे क्या कारण रहा होगा, इस सवाल पर मोहित कहते हैं- “चंदा मामा सही समय पर रिलीज़ हुई होती तो इसकी गिनती बेहद सफल फ़िल्म में होती। मेरी गलती थी जो मैंने ग़लत समय में इस फ़िल्म को रिलीज़ किया। ‘चंदा मामा’ मेरे लिए सबक है कि भावनाओं में बहकर लिया गया फैसला ग़लत साबित होता है।”

‘चंदा मामा’ से आप ही नहीं, आपके हीरो भाई दिलेश साहू को भी काफ़ी उम्मीदें रही होंगी, आप अपने चहेते भाई का भविष्य कैसा देखते हैं, यह पूछने पर मोहित कहते हैं- “दिलेश आने वाले समय का स्टार होगा। ‘गुईयां- 2’ में तो उसका काम बोलेगा ही, ‘जानकी- 1’ से उसके करियर को और ऊंचाई मिलेगी। ‘जानकी- 1’ ऑल इंडिया रिलीज़ जो होने जा रही है। मानता हूं दिलेश ने शुरुआत में कुछ ऐसी फ़िल्में कर लीं जो उसे नहीं करना चाहिए था, लेकिन अब वह अपने रोल को लेकर काफ़ी सजग रहता है। काफ़ी सोच-विचार के बाद ही अब वह कोई फ़िल्म हाथ में लेता है।”

भावी योजनाएं क्या हैं, पूछने पर मोहित कहते हैं- “ओटीटी प्लेटफार्म को और ऊपर ले जाना है। ज़रूरतमंद कलाकारों की शिक्षा, स्वास्थ्य से लेकर शादी ब्याह कराने जैसी ज़िम्मेदारियों की तरफ मालती फाउंडेशन के कदम बढ़ चुके हैं। छत्तीसगढ़ी सिनेमा से जुड़े ज़रूरतमंद कलाकारों एवं टेक्नीशियनों के लिए राजधानी रायपुर में हाउसिंग प्रोजेक्ट लाने की दिशा में भी सोच-विचार चल रहा है।”

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