कारवां (8 जून 2025) ● फिर छिड़ी मंत्री मंडल विस्तार की चर्चा… ● ये कैसा ऑफर, लड़कियों को दो पेग मुफ्त… ● कबाड़ी की पार्टी पुलिस के नाम… ● महापौर जी कर्तव्य पथ पर डटे रहना… ● शादी के नाम पर धोखा…

■ अनिरुद्ध दुबे

पूर्व में चर्चा यही रही थी नगर निगम चुनाव के बाद तथा विधानसभा के 2025 के बजट सत्र शुरु होने से पहले विष्णु देव साय मंत्री मंडल का विस्तार हो जाएगा। 15 फरवरी को निगम चुनाव का नतीजा आया था एवं फरवरी के आख़री में बजट सत्र शुरु हो गया था, लेकिन मंत्री मंडल का विस्तार नहीं हो पाया। फिर चर्चा यह होते रही कि बजट सत्र के समाप्त होते ही मंत्री मंडल का विस्तार एवं निगम-मंडलों में नियुक्तियां ये दो बड़े काम होंगे। निगम-मंडलों में नियुक्तियों का दौर तो शुरु हो गया लेकिन मंत्री मंडल का विस्तार अब तक रुका हुआ है। इस तरह मंत्री मंडल के विस्तार के संभावना वाले दो मौसम ठंड एवं ग्रीष्म आकर जा चुके। अब मानसून सत्र की बारी है। वैसे तो मंत्री मंडल के विस्तार का कोई निश्चित मौसम होता नहीं, लेकिन हमने लिखने की सुविधा के हिसाब से मान लिया। विधानसभा के मानसून सत्र की बात है तो जुलाई के दूसरे या तीसरे हफ्ते में इसका होना संभावित है। एक बार फिर अटकलों का दौर चल पड़ा है कि मानसून सत्र से पहले मंत्री मंडल का विस्तार हो जाएगा। मंत्री पद की दौड़ में वही पुराने अमर अग्रवाल, राजेश मूणत, पुरंदर मिश्रा एवं गजेन्द्र यादव के नामों की चर्चा है। फिर इस समय बस्तर संभाग से एक ही मंत्री केदार कश्यप हैं। एक संभावना ये भी बनी हुई है कि बस्तर से एक और चेहरे को मंत्री मंडल में शामिल किया जा सकता है। एक-दो को मंत्री पद से हटाकर उनकी जगह किसी दूसरे को लाने की अटकलों का दौर अलग जारी है। डॉ. रमन सिंह के 3 बार के शासनकाल में लगातार 3 बार बृजमोहन अग्रवाल एवं राजेश मूणत मंत्री रहे थे। 2023 का चुनावी रिज़ल्ट आने के बाद बृजमोहन मंत्री तो बने थे, लेकिन उनके सांसद बनने के बाद मंत्री पद जो खाली हुआ उसकी भरपाई नहीं हुई है। रायपुर के किसी एक को मंत्री बनाकर भरपाई करने की बातें हो रही हैं। सूत्र बता रहे हैं कि हाल ही में मंत्री मंडल विस्तार को लेकर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की एक बार फिर दिल्ली बात हुई है। हो सकता है मंत्री मंडल विस्तार में अब दिल्ली दूर न हो।

ये कैसा ऑफर…

लड़कियों को

दो पेग मुफ्त

रायपुर शहर नशाखोरी के नाम पर पहले से बदनाम रहा है। रायपुर के किसी भी इलाके में नज़र दौड़ा लें, वॉकिंग डिस्टेंस में मेडिकल स्टोर मिले या न मिले शराब दुकान ज़रूर मिल जाएगी। यह अलग बात है कि सुरा पान करने वाले अंगूर की इस बेटी की वक़ालत करते हुए यह कहने से बाज नहीं आते कि “शराब भी तो दवा का काम करती है।“ तो मुद्दा यह कि नशे के मामले में रायपुर कितने ऊपर तक पहुंच चुका है। रायपुर के कुछ नाइट क्लब हफ़्ते में एक बार लेडिज़ नाइट जैसा आकर्षक प्लॉन ला दे रहे हैं। यदि तय शाम या रात में कोई युवती ऑफर देने वाले क्लब में पहुंचती है तो उसे दो पेग फ्री मिलेगा। ध्यान रहे, यह ऑफर केवल गर्ल्स के लिए है, ब्वायस के लिए नहीं। बिजनेस की भी यह कैसी ज़ोरदार स्ट्रेटजी है! तथाकथित आधुनिकता के रंग में रंगी कितनी ही लड़कियां रायपुर की सड़कों पर रात का सफ़र खुद तो तय  करती नहीं। लड़के भी साथ हो लेते हैं। ऑफर वाले क्लबों में लड़की को फ्री शराब मिल भी गई तो लड़के तो खरीद कर ही पियेंगे। शराब के ऑफर देने वाले क्लबों में रात में जमकर डीजे की धुन पर नाच चलता है। जहां उत्तेजना पैदा करने वाला संगीत मौजूद हो तो वहां फिर कहां एक-दो पेग से काम चलता है। पेग पर पेग ढकेलना का क्रम चलता है। वाह री बिजनेस स्ट्रेटज़ी! मीडिया के लोगों ने जब इसकी पड़ताल की तो मालूम हुआ ये काम एयरपोर्ट रोड की तरफ वाले वीआईपी रोड तथा विधानसभा रोड में ख़ूब हो रहा है। यहां के कुछ क्लबों में नीली न्यून रोशनी के बीच थिरकते हुए रातों को रंगीन करने वालों में रायपुर ही नहीं भिलाई तरफ के लड़के-लड़कियां भी शामिल होते हैं। याद करिये कोरोना लॉक डाउन के समय में वीआईपी रोड स्थित क्वीन्स क्लब वाली घटना को, जिसमें गोली चली थी। उस घटना में रायपुर व भिलाई दोनों तरफ के लड़के-लड़कियां शामिल थे। वाकई आधुनिकता की तथाकथित अंधी दौड़ में शामिल रायपुर शहर का मिजाज़ कितना बदल गया है। रही बात शासन व पुलिस प्रशासन की भूमिका की तो उस पर पहले ही इतनी चर्चा हो चुकी है कि कुछ नहीं कहना ही बेहतर है। रायपुर के रायपुरा सुनसान इलाके में रात में लड़के-लड़कियों के बीच भारी फाइटिंग वाला वीडियो हाल ही में जो वायरल हुआ, वह भी कई सवाल खड़े करता है।

कबाड़ी की पार्टी

पुलिस के नाम

बिलासपुर शहर में इन दिनों उस पार्टी की भारी चर्चा है जो एक कबाड़ी ने नये थानेदार के स्वागत एवं पुराने थानेदार की बिदाई मे दी थी। बताते हैं सिरगिट्टी क्षेत्र में कबाड़ का धंधा करने वाले शख़्स का पुलिस से याराना कोई आज का नहीं बल्कि बरसों पुराना है। बिलकुल ‘शोले’ फ़िल्म के उस सीन की तरह जिसमें गब्बर बसंती से कहता है “बहुत याराना लगता है।“ शहर से दूर एक धन्ना सेठ के ठिकाने पर पार्टी रखी गई थी। नाना प्रकार के व्यंजनों का स्टॉल तो लगा ही हुआ था, शराब भी ख़ूब छलकी। पार्टी का मज़ा लूट रहे कुछ पुलिस वालों को शराब ऐसी लगी की आपस में ही उलझ गए और एक दूसरे को आएं-बाएं-शाएं कहने लगे। हंगामे का शोर बाहर तक सुनाई दिया। हफ्ते भर पहले हुई उस पार्टी की चर्चा पुलिस महकमे और कॉफी हाउस के कोने में अब तक हो रही है।

महापौर जी कर्तव्य

पथ पर डटे रहना

राजधानी रायपुर का कपड़ा मार्केट रायपुर शहर ही नहीं पूरे छत्तीसगढ़ में फ़ेमस है। पूरे प्रदेश का सबसे बड़ा कपड़ा मार्केट जो है। इस कपड़ा मार्केट में कुछ दुकानदारों ने नियमों की अनदेखी करने में कोई कसर बाक़ी नहीं रखी। दुकानों का शटर जिधर खुला करता था वह तो था ही, पीछे की तरफ भी दीवाल तोड़कर एक और शटर इसलिए लगवा दिया कि  दुकान रोड फेस पर आ जाए। ऐसा कदम उठाकर दुकानदारों ने अपना भला तो कर लिया लेकिन वहां यातायात व्यवस्था ध्वस्त हुई। ऊपर से रोड की तरफ गंदगी अलग पसरती रही। पीछे दीवाल तोड़कर शटर तान देने वाले ऐसे दुकानदारों को रायपुर नगर निगम ने नोटिस जारी किया था। मोटी चमड़ी जो ठहरी, उस नोटिस परवाह नहीं की गई। अंततः नगर निगम ने कड़ा कदम उठाते हुए ऐसी 17 दुकानों को सील कर दिया। रायपुर तो ऐसा शहर है जहां लापरवाही से ऑटो चलाने वाला भी मंत्री, सांसद या विधायक से अपनी पहचान बताने से पीछे नहीं रहता। फिर वो तो ठहरे पंडरी के कपड़ा व्यापारी। दबी ज़ुबान से कुछ इस तरह की ख़बरें सामने आने लगीं कि सील हो चुकी दुकानों को खुलवाने सत्ता पक्ष एवं विपक्ष दोनों तरफ के कुछ लोग महापौर मीनल चौबे पर दबाव बना रहे हैं। दूसरी तरफ अपवाद स्वरुप सत्ता पक्ष एवं विपक्ष दोनों तरफ के कुछ ऐसे भी नेता हैं जिनका ज़मीर अभी मरा नहीं है। दोनों ही तरफ के ऐसे ज़िंदा दिल नेता लगातार सोशल मीडिया में लिखकर यह कहते हुए मनोबल बढ़ा रहे हैं कि “महापौर जी ज़रा भी रहम मत करना। आज दस-बीस पर करोगे, कल को पचास-सौ और के हौसले बुलंद हो जाएंगे। फिर तो यह आपके राजनीतिक करियर के निखरने का समय है। कुछ तथाकथित लोगों के दबाव में यदि आप अभी झुक गईं तो झुक जाने की यह कहानी अनवरत सुनाई जाती रहेगी। इसलिए दबाव बनाने वालों को छोड़िये, अपने इस कड़े निर्णय पर डटे रहिए।“

शादी के नाम

पर धोखा…

बिलासपुर में पिछले दिनों एक अजीब केस देखने में आया। पैसे की लालच में एक मैरिज ब्यूरो की संचालिका ने अपने पति को कुंवारा बताकर उसकी शादी एक धनाड्य युवती से करा दी। युवती को बाद में पता चला कि उसका तथाकथित जीवन साथी पहले से शादीशुदा है और एक बेटे का बाप भी है। शादी कराने वाली मैरिज ब्यूरो की संचालिका ही उसकी पत्नी है। पीड़ित युवती की शिकायत पर संचालिका व उसका पति गिरफ़्तार हो गए हैं। इससे मिलता-जुलता केस कुछ साल पहले रायपुर में हुआ था। रायपुर में यह न भूलाया जा सकने वाला काम सेना की नौकरी छोड़कर आए एक आदमी ने किया था। जबलपुर की एक उम्रदराज़ महिला ने अख़बार में एड दिया था कि उसे जीवन साथी की तलाश है। सेना छोड़कर आए उस उम्रदराज़ आदमी ने जबलपुर जाकर उम्रदराज़ महिला के सामने खुद को बैचलर रूप में प्रस्तुत किया। उसकी खुद की पत्नी उसकी भाभी बनकर उस महिला के सामने प्रस्तुत हुई। महिला को वह आदमी पसंद आ गया। शादी भी हो गई। शादी के कुछ महीने बाद लालच भरी इस कहानी का दुखद अंत हुआ। उस उम्रदराज़ आदमी ने एक समय में रायपुर शहर से एक अख़बार का प्रकाशन भी किया था, जो कि कुछ ही महीने निकल पाया।

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