‘जानकी’ की पूकार… अन्याय के खिलाफ़ लड़ जाएं- अनिकृति चौहान

मिसाल न्यूज़

प्रोड्यूसर मोहित साहू की फ़िल्म ‘जानकी- 1’ जो 13 जून को पूरे भारतवर्ष में रिलीज़ होने जा रही है में टाइटल करैक्टर अनिकृति चौहान ने निभाया है। अनिकृति कहती हैं “जानकी-1 में मैसेज है नारी खुद को अबला-लाचार न समझें। यह अन्याय के खिलाफ़ उठ खड़े होने का समय है।“

‘मिसाल न्यूज़’ से ख़ास बातचीत के दौरान अनिकृति चौहान  बेबाक तरीके से कहती हैं- “सारे काम एक तरफ, ‘जानकी’ का किरदार एक तरफ। 75 दिनों के शूट पर मैंने ‘जानकी’ के किरदार को ख़ूब जिया। यह नारी के अधिकार की कहानी है। लोग कहते हैं यह बदलाव का दौर है। मेरा मानना है अभी भी इस देश में 70 प्रतिशत महिलाएं अपने अधिकारों से वंचित होंगी। आज भी न जाने कितनी नारियां अन्याय झेल रही हैं। ‘जानकी’ में मैसेज है, यह अन्याय के खिलाफ़ उठ खड़े होने का समय है। ‘जानकी’ रियल स्टोरी पर बेस्ड है। ‘जानकी’ मोहित भैया के दिमाग की उपज है। फ़िल्म का कॉसेप्ट है मां, बेटी और बहू हर रूप में है जानकी। इस फ़िल्म में सबसे बड़ा मैसेज है अपने अधिकारों के लिए खुद लड़ना पड़ता है। नारी खुद को बेसहारा महसूस न करे। हर औरत के भीतर है जानकी।“

‘जानकी- 1’ में अनिकृति चौहान व दिलेश साहू

बचपन से अब तक का सफ़र कैसा रहा होगा, पूछने पर अनिकृति कहती हैं- “अभिनय यात्रा 7-8 साल की उम्र में ही शुरु हो गई थी। कभी फुरसत के क्षण में फ़िल्म ‘आए हम बाराती से’ गिनती करनी शुरु की तो पाया अब तक 30 फ़िल्में कर चुकी हूं। 31 वें नंबर पर ‘जानकी’ है, जो पेन इंडिया रिलीज़ होने जा रही है। राजधानी रायपुर के ह्दय स्थल जयस्तंभ चौक से पैदल की कुछ दूरी पर मेरा बचपन बीता। घर से ही लगकर गोल बाज़ार था, जहां हिन्दी व छत्तीसगढ़ी दोनों भाषाएं बोलने वालों की भीड़ दिन भर रहा करती। इस माहौल के आसपास बने रहने के कारण छत्तीसगढ़ी भाषा में मेरी कमांड होती चली गई। किसी समय में मेरे चाचा आनंद एवं लक्ष्मण चौहान अलबम किंग के नाम से मशहूर थे। दोनों चाचा ने बचपन में अनिकृति को बाल कलाकार के रूप में अलबम का हिस्सा बनाया था। इस तरह अभिनय एवं नृत्य के संस्कार तो मेरे भीतर बचपन से ही पड़ गए थे। 2015 की दिवाली में रिलीज़ हुई ‘आए हम बाराती’ से बाल कलाकार अनिकृति नायिका के रूप में तब्दील हो चुकी थी। यह 2025 है और नायिका के रूप में अनिकृति का दस वर्षों का ख़ूबसरत फ़िल्मी सफ़र जारी है।“ कुछ लाइनें ऐसी हैं- जिन पर अनिकृति खुलकर नहीं बोलतीं। केवल इशारे ही इशारे में कहती हैं। अनिकृति बताती हैं- “फ़िल्मों में आने के बाद कुछ समय ऐसा भी गुज़रा जो बेहद संघर्षपूर्ण रहा। इस संघर्ष को मैंने व मेरी मां ने झेला। हो सकता है इसी संघर्ष से मुझे ‘जानकी’ बनने की ताकत मिली हो।“

बात ख़त्म करने से पहले बड़े ही सम्मान के साथ मोहित साहू के बारे में वह कहती हैं- “भैया को दंडवत प्रणाम, जो मेरी अभिनय यात्रा को पूरे भारतवर्ष में पहुंचाने जा रहे हैं। ‘जानकी’ छत्तीसगढ़ की पहली पेन इंडिया फ़िल्म जो कहला रही है।“

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