■ अनिरुद्ध दुबे
नये रायपुर में लंबे समय से किसानों का आंदोलन चल रहा है। ये किसान कभी उन गांवों के निवासी हुआ करते थे जो कि नया रायपुर का हिस्सा हुआ करता था। नया रायपुर बसाने जिन किसानों की ज़मीनें ली गईं उसके एवज में उन्हें यथोचित मुआवजा दिया गया। आंदोलनकारी किसानों का कहना है कि कुछ ऐसी चीजें हैं जो पूरा होने से छूटी रह गई हैं। उन्हीं चंद मांगों को लेकर आंदोलनकारी किसान नया रायपुर में डटे हुए हैं। किसानों के प्रतिनिधि मंडल से बातचीत के लिए वन, आवास एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अक़बर के बंगले में मिटिंग रखी गई थी। मिटिंग में नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया एवं अभनपुर के विधायक धनेन्द्र साहू समेत नया रायपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारीगण मौजूद थे। चूंकि नया रायपुर का कुछ हिस्सा शिव डहरिया के आरंग तथा कुछ हिस्सा धनेन्द्र साहू के अभनपुर विधानसभा क्षेत्र में आता है अतः दोनों विधायकों का मिटिंग में रहना लाज़मी ही था। मंत्री शिव डहरिया को इन दिनों न सिर्फ किसान आंदोलन बल्कि आरंग विधानसभा क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग जैसे मुद्दे से भी दो-चार होना पड़ रहा है। वहीं धनेन्द्र साहू के विधानसभा क्षेत्र में नया रायपुर का जो पार्ट आता है वहां से भी विभिन्न मसलों को लेकर आवाज़ें उठती ही रही हैं। धनेन्द्र साहू ने कभी नये रायपुर के अपने मतदाताओं की चिंता करते हुए विधानसभा में आक्रामक अंदाज़ में अपनी बात कहते नज़र आए थे। उन्होंने कहा था कि “नया रायपुर के खंडवा गांव के तालाब का पानी वहीं के लोगों को नसीब नहीं हो रहा है। वहां का पानी जंगल सफारी में पहुंचाया जा रहा है।“ बहरहाल डहरिया व साहू दोनों जान रहे हैं किसानों का यह आंदोलन आने वाले विधानसभा चुनाव के समय में उनके लिए बड़ी चुनौती बन सकता है। स्वाभाविक है कि दोनों ज़ल्द निराकरण चाह रहे हैं। गौर करने लायक बात यह कि आंदोलनकारी किसानों के नेता चर्चा के लिए मोहम्मद अक़बर के बंगले पहुंचे ही नहीं। उनका कहना था कि “बैठक की पहले से कोई सूचना नहीं दी गई थी। यदि कोई तत्काल में चर्चा के लिए बुलाए तो ऐसा हो पाना संभव नहीं है।“
बर्दाश्त के बाहर हुक्का बार
छत्तीसगढ़ सरकार व्दारा लाए गए हुक्का बार विरोधी विधेयक पर राज्यपाल अनुसुईया उइके ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। मंजूरी के लिए यह विधेयक अब राष्ट्रपति के पास जाएगा। हुक्का बार चलाने पर 3 साल की सजा एवं 50 हजार का अर्थ दंड जैसा प्रावधान रखा गया है। दरअसल छत्तीसगढ़ में हुक्का बार चलाने के लिए लाइसेंस जैसी कोई व्यवस्था कभी रही ही नहीं थी। राजधानी रायपुर के अलावा भिलाई एवं बिलासपुर में अवैध रूप से बेधड़क हुक्का बार चलते रहे थे। रायपुर के पब एवं कुछ रेस्टॉरेंट में हुक्का आम हो चला था। रायपुर के शंकर नगर मार्ग जहां मंत्रियों, विधायकों व आईएएस के बंगले हैं वहां आसपास के कुछ कैफे की छतों पर लोग हुक्का पीते साफ दिखाई दे जाते थे। यह रिसर्च का विषय हो सकता है कि पूरे छत्तीसगढ़ में रायपुर शहर में ही क्यों नशे का ग्राफ सबसे ज़्यादा ऊपर है। हुक्का विधेयक पर राज्यपाल के हस्ताक्षर हो जाने के बाद बिलासपुर विधायक शैलेष पांडेय अपनी पीठ थपथापाते नज़र आ रहे हैं। यह कहते हुए कि “हुक्का बार के ख़िलाफ सबसे पहले विधानसभा में मैंने ही आवाज़ उठाई थी।“
रायपुर स्मार्ट सिटी- किस पर कसी जा रही नकेल?
अब तक रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के एमडी रायपुर नगर निगम कमिश्नर हुआ करते थे। छत्तीसगढ़ सरकार ने जिस तरह पहली बार एमडी के लिए अलग से आईएएस अफ़सर अभिजीत सिंह की नियुक्ति की है इस पहेली को नगर निगम के नेताओं व अफ़सरों के लिए बूझ पाना कठिन हो रहा है। माना यही जाता रहा है कि नया रायपुर के महानदी भवन में बैठने वाली दो हस्तियों के कानों तक ऐसी जानकारी पहुंचाई गई कि “स्मार्ट सिटी के नाम पर अपनी पसंद व अपने हितों से जुड़े काम कराए जा रहे हैं। किस जगह को स्मार्ट स्वरूप देना है इसका कोई मापदंड नहीं है। जहां मन करे काम कराते चले जा रहे हैं। यहां तक कि स्मार्ट सिटी का इस्तेमाल अपना राजनीतिक ग्राफ ऊपर ले जाने के लिए किया जा रहा है।“ दूसरी तरफ स्मार्ट सिटी में कामकाज का आखिर मापदंड क्या है, जानने के लिए कोई सूचना के अधिकार के तहत आवेदन लगाते रहा, तो कोई हाईकोर्ट तक पहुंच गया। एक याचिकाकर्ता की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने स्मार्ट सिटी की तरफ से खड़े हुए वकीलों से पूछा कि “क्यों न ऐसी व्यवस्था हो कि स्मार्ट सिटी अपने हर बड़े प्रोजेक्ट की स्वीकृति नगर निगम की मेयर इन कौंसिल एवं सामान्य सभा से ले?” मालूम हो कि स्मार्ट सिटी में निगम के ही अफ़सर एवं कर्मचारी काम कर रहे हैं। यही कारण है कि निगम कमिश्नर के ही एमडी रहने की परंपरा चली आ रही थी। बताते हैं कि एक मंत्री एवं नया रायपुर में बैठे एक अफ़सर को कुछ बातें खटकने लगी थीं। यही कारण है कि कुछ लोगों पर नकेल कसने नियुक्ति के नाम पर नया प्रयोग किया गया है।
ममता जी के सितारे बुलंद
राज्यपाल अनुसुईया उइके ने इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन हेतु प्रस्तुत विधेयक पर हस्ताक्षर किए हैं। अब विश्वविद्यालय के कुलपति की आयु सीमा 65 वर्ष के स्थान पर 70 वर्ष होगी। पिछले ही दिसंबर महीने में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती ममता (मोक्षदा) चंद्राकर ने अपने जीवन के 63 वर्ष पूरे कर 64 वें पड़ाव पर कदम रखा है। यानी विश्वविद्यालय में 65 वाली व्यवस्था रहती तो उनके पास सेवाएं देने 2 साल ही समय रहता। यदि कोई बड़ा उलटफेर नहीं हुआ तो अब वे 7 साल तक कुलपति पद पर बने रह सकती हैं। श्रीमती चंद्राकर एवं उनके पति प्रेम चंद्राकर हमेशा से भाग्यशाली माने जाते रहे हैं। श्रीमती चंद्राकर न सिर्फ जानी-मानी लोक गायिका रहीं अपितु आकाशवाणी रायपुर में लंबे समय तक पदस्थ रहते हुए वहां से असिस्टेंट डायरेक्टर (प्रोग्राम) पद से रिटायर हुईं। भाजपा के शासनकाल में उन्हें पद्मश्री मिली और अब कांग्रेस के शासनकाल में संगीत विश्विद्यालय के कुलपति जैसा सम्मान वाला स्थान मिला। प्रेम जी की पहचान छत्तीसगढ़ी फ़िल्मों के डायरेक्टर के रूप में रही है। वे लोक कला मंच ‘चिन्हारी’ के भी डायरेक्टर रहे हैं। माना यही जाता है कि कैसा भी दौर क्यों न रहा हो ममता जी व प्रेम जी के सितारे कभी कमज़ोर नहीं पड़े। न ही कभी उनका गणित कमजोर पड़ा।
छॉलीवुड कलाकारों के लिए मकान स्कीम
हाल ही में हुई हाउसिंग बोर्ड (छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल) के संचालक मंडल की बैठक में बोर्ड के सदस्य अजय साहू ने छत्तीसगढ़ी सिनेमा तथा लोक कला मंच से जुड़े कलाकारों के हित में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखा। यह कि बोर्ड कलाकारों को सस्ते दर पर मकान उपलब्ध कराए। साथ ही मकान की कीमत की अदायगी आसान किश्तों में हो। हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष कुलदीप जुनेजा ने स्वयं इस सूझाव का स्वागत किया। माना यही जा रहा है कि यह प्रोजेक्ट यदि मूर्त रूप लेता है तो इसकी बुनियाद नये रायपुर में रखी जाएगी। नया रायपुर के पीछे बहुत से कारण हैं। सबसे अहम् बात यह कि छत्तीसगढ़ सरकार फ़िल्म सिटी का निर्माण करना जो चाह रही है वह नया रायपुर में बनना प्रस्तावित है। संस्कृति विभाग का दफ़्तर जिससे कलाकारों का सीधा संबंध है उसे नये रायपुर में शिफ्ट करने की तैयारी चल रही है। पुरखौती मुक्तांगन जहां अधिकांश अलबम व फ़िल्मों के गीत या दृश्य शूट किए जाते रहे हैं वह नया रायपुर में ही है। डॉ. अजय सहाय के जोरा स्थित जिस स्टूडियो में छत्तीसगढ़ी फ़िल्मों या वेब सीरिज़ की शूटिंग होती है वह नया रायपुर से ही लगा हुआ है। एक्सप्रेस वे के निर्माण हो जाने के बाद रेल्वे स्टेशन से नये रायपुर की दूरी काफ़ी कम हो जाएगी। अच्छा है कि फ़िल्म या अलबम के लिए सुदूर क्षेत्रों से जो कलाकार रायपुर पहुंचते हैं उनके हितों को लेकर सरकार से जुड़े लोग बात तो कर रहे हैं।