मिसाल न्यूज़
रायपुर। छत्तीसगढ़ शासन के जनसंपर्क विभाग की सहायक संचालक डॉ दानेश्वरी अवधेश ने सोमवार को राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज ऑडिटोरियम में कुलाधिपति और राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके के हाथों पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। दानेश्वरी अवधेश इस समय दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा जनसंपर्क कार्यालय में पदस्थ हैं।
चर्चा के दौरान दानेश्वरी ने बताया कि मॉस कम्युनिकेशन सब्जेक्ट में पीएचडी की उपाधि आसान नहीं थी। बेहद कठिन परिश्रम और जटिल शोध कार्य के बाद यह उपाधि प्राप्त हुई है। पीएचडी को लेकर अपना अनुभव साझा करते हुए दानेश्वरी ने बताया कि बीते सालों से पीएचडी के नियमों में बदलाव के बाद इसके प्रति लोगों में आकर्षण बढ़ा है। उच्च शिक्षा में सर्वोच्च डिग्री में से एक माने जाने वाली पीएचडी करियर ग्रोथ में सहायक साबित हो रही है। उन्होंने बताया कि उनके विषय “रायपुर नगरीय क्षेत्र की महिलाओं में टीवी धारावाहिकों की अभिरुचि का अध्ययन” को पूरा करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं था। डॉ नरेंद्र त्रिपाठी के निर्देशन और डॉ शाहिद अली के सह-निर्देशन तथा अपनी सकारात्मक सोच के साथ मैं आगे बढ़ते गई और शोध कार्य पूर्ण होता गया।
हार्टअटैक के बाद लगा
कि सब कुछ खत्म हो गया
पीएचडी करने के दौरान इसी साल 3 जनवरी 2022 को डॉ दानेश्वरी को हार्ट फेलियर की शिकायत हुई। आनन-फानन में सरकारी हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। लंबे संघर्ष के बाद वो संभलीं और फिर से अपने शोध कार्य में जुट गईं। कमजोरी के बाद भी उन्होंने समय रहते अपने शोध कार्य को पूर्ण कर सोमवार को एक गरिमामय कार्यक्रम में राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके के हाथों उपाधि प्राप्त की।
दंतेवाड़ा में रहकर
शोध लेखन करते रहीं
बस्तर के सुदूर अंचल दंतेवाड़ा जनसंपर्क कार्यालय में कार्यरत रहने के दौरान अपने कर्तव्यों का बखूबी निर्वहन करते हुए डॉ दानेश्वरी ने अपना शोध लेखन कार्य पूर्ण किया। करीब 300 पन्नों की थिसिस को खाली समय, छुट्टियों के दिन और रात-रात भर जागकर पूरा किया। उन्हें बेहतर शोध लेखन के कारण ही चित्रकूट विश्विद्यालय से आए परीक्षक ने शोध कार्य की खुले मंच से जकमर तारीफ करते हुए इनके शोध कार्य को समाज के लिए महत्वपूर्ण दस्तावेज करार देते हुए इस पर किताब लिखने का आग्रह भी किया।
उच्च शिक्षा के प्रति जागरूक करना है लक्ष्य
डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद अपने लक्ष्यों पर चर्चा करते हुए डॉ दानेश्वरी ने कहा कि शिक्षा के प्रति लोग जागरूक तो हैं मगर उच्च शिक्षा को लेकर अब भी सुदूर अंचलों में जागरूकता की कुछ कमी देखने को मितची है। इन क्षेत्रों में लोगों को उच्च शिक्षा के प्रति जागरूक करना, उच्च शिक्षा हासिल कर रहे बच्चों की मदद करना उन्हें उनके लक्ष्यों तक पहुंचाने में मदद करना मेरी प्रमुखता में शामिल है।