■ अनिरुद्ध दुबे
इन दिनों देश के सिंगल स्क्रीन एवं मल्टीप्लेक्स में तहलका मचा रही साउथ की फ़िल्म ‘पुष्पा’ के एक सीन की काफ़ी चर्चा है। ‘पुष्पा’ में दिखाया गया है कि लाल चंदन लकड़ियों की तस्करी के लिए कैसे ट्रक का पूरा हुलिया बदल दिया जाता है। देखने में वह दूध का टैंकर नज़र आता है। दूध की टंकी के निचले हिस्से में लाल चंदन की लकड़ियां दिमाग़ लगाकर कुछ इस तरह रखी जाती हैं कि चेक पोस्ट पर बैठे अफ़सर पकड़ नहीं पाते हैं। यह तो हुई फ़िल्म की बात। हकीक़त में गांजे के तस्कर कुछ इसी तरह दिमाग़ लगाकर कबाड़ के नीचे गांजा रखकर ले जा रहे थे। पिछले दिनों कोमाखान पुलिस व्दारा टेमरी चेक पोस्ट पर कबाड़ से भरे ट्रक को रोककर तलाशी ली गई तो कबाड़ के नीचे 7 क्विंटल गांजा मिला। जप्त गांजे की कीमत लगभग 1 करोड़ 40 लाख बताई जा रही है। दो लोग ओड़िशा से गांजा लेकर महासमुन्द के रास्ते होते हुए हरियाणा जा रहे थे। छत्तीसगढ़ के रास्ते गांजे की तस्करी कोई नई बात नहीं। यह तो बरसों से होते आ रहा है। नब्बे के दशक में रायपुर रेल्वे पुलिस वाल्टेयर ट्रेन से गांजा लेकर आने वाले कितने ही लोगों को पकड़ती रही थी। पहले की तुलना में अब ट्रेन से गांजा लाना ले जाना उतना आसान नहीं रहा। तस्कर सड़क मार्ग से ही इस गैर कानूनी काम को अंजाम देने में लगे रहते हैं।
‘नेकी’ फिर आग के हवाले
राजधानी रायपुर में जीई रोड पर अनुपम गॉर्डन के बाजू बनी ‘नेकी की दीवार’ को किसी ने आग लगाकर भस्म कर दिया। ‘नेकी की दीवार’ को जलाकर ख़त्म कर देने की यह दूसरी घटना है। पिछले साल शहीद भगत सिंह चौक से लगकर स्थित गांधी उद्यान पर बनी ‘नेकी की दीवार’ को भी किसी ने आग के हवाले कर दिया था। बताते हैं अनुपम गॉर्डन के पास की ‘नेकी की दीवार’ को बनाने में क़रीब 37 लाख लगे थे। ‘नेकी की दीवार’ बनाने के पीछे उद्देश्य यह रहा है कि ऐसे ठीक-ठाक कपड़े जो किसी के लिए अनुपयोगी हों वह उन्हें नेकी दीवार पर लाकर रख दे। दीन-हीन, जिन्हें जैसी ज़रूरत होती वह उन कपड़ों को उठाकर ले जाया करते थे। हल्ला तो यह है कि अनुपम गॉर्डन के पास वाली ‘नेकी की दीवार’ साजिश के तहत जलाई गई है। रायपुर नगर निगम के भाजपा पार्षद दल ने महापौर एजाज़ ढेबर से मुलाकात कर ऐसी ही कुछ आशंका जताई है। आग लगाने की इस घटना को लेकर नगर निगम ने एफआईआर भी दर्ज कराई है। अभी तक की स्थिति में नेकी को जलाकर राख में बदल देने वाले लोगों का पता नहीं लग पाया है। स्वार्थ इतना हावी हो चुका है कि विघ्न संतोषी तत्व नेकी का अस्तित्व ही मिटाए दे रहे हैं।
ऐसी भी नेकी
अक्सर सुनने मिलता है मानव सेवा से बढ़कर कुछ नहीं। छत्तीसगढ़ में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो न सिर्फ मानव अपितु पशु पक्षियों की सेवा कर आदर्श प्रस्तुत कर रहे हैं। यदि कोई संस्था सड़क पर चलने फिरने में असमर्थ या घायल पड़ी गाय की सुध ले तो यह कोई कम महान कार्य नहीं। रायपुर में एक संस्था ऐसा नेक काम कर रही है। वहीं अंबिकापुर एक वृद्धा ने सड़क पर घायल पड़े जानवरों के लिए एम्बुलेंस चलवाकर बड़ी मिसाल पेश की है। अंबिकापुर की 90 वर्षीय श्रीमती शांति देवी अग्रवाल ने अपने शहर की सामाजिक संस्था गोसेवा मंडल को एक एम्बुलेंस दान में दी है। खास बात यह कि यह एम्बुलेंस सड़क पर पड़े घायल बेजुबान जानवरों को अस्पताल पहुंचाने का काम करेगी। शांति देवी के पुत्र अजय अग्रवाल काफ़ी पहले से समाज सेवा से जुड़े रहे हैं। 2021 में जब कोरोना का भारी कहर था उन्होंने जगह-जगह मास्क बांटने का काम किया था। दूसरी तरफ राजधानी रायपुर की पहल सेवा समिति ने एक ऐसी बड़ी पहल की है जिसकी सर्वत्र प्रशंसा हो रही है। समिति के संस्थापक रितेश अग्रवाल एवं उनके साथीगण सड़क पर घायल या चल फिर सकने में असमर्थ गायों अपने गोठान में लाकर रखते हैं। यह पुण्य काम ये लोग 2016 से करते आ रहे हैं। पहल सेवा समिति से जुड़े लोग शुरु से ही अनावश्यक प्रचार प्रसार से दूर रहते आए हैं। इनका एक ही मिशन है असहाय गायों की सेवा। इस समय समिति के गोठान में 800 से ज्यादा गाय हैं। इनमें कई गाय ऐसी हैं जिन्होंने ठीक होने के बाद बछड़े जन्मे हैं। इससे गोठान में न सिर्फ काफी दूध हो रहा है अपितु खूब घी और दही भी तैयार हो रहा है। गाय के गोबर से यहां दिये और मुर्तियां अलग बन रही हैं।
बिगाड़ना आसान है साहब लेकिन बनाना कठिन
राजधानी रायपुर के तेलीबांधा तालाब के सामने सड़क चौड़ीकरण करने एवं मरीन ड्राइव बनाने जैसे सपने को साकार करने प्राचीन मौली माता मंदिर को नगर निगम ने तोड़ गिरवाया था। यह मंदिर तेलीबांधा तालाब से लगकर स्थित था। यह कार्यवाही तत्कालीन नगर निगम कमिश्नर ओ.पी. चौधरी ने स्वयं खड़े होकर करवाई थी। मौली माता का यह मंदिर हजारों श्रद्धालुओं के आस्था का केन्द्र था। इसके कुछ ही सालों बाद चौधरी साहब जब रायपुर कलेक्टर बने तो एक और बड़ा काम कर गए। ऑक्सीजोन के नाम पर पंडरी रोड पर खालसा स्कूल के सामने शिक्षित बेरोजगारों के लिए बनी 70 गुमटीनुमा दुकानों को तोड़ गिरवाने का। हालांकि इन दुकानों को तोड़ गिरवाने की कार्यवाही नगर निगम ने की थी पर माना यही जाता है कि इस काम के लिए तत्कालीन नगर निगम कमिश्नर रजत बंसल पर चौधरी साहब का भारी दबाव था। मंदिर को टूटे क़रीब 10 साल और गुमटीनुमा दुकानों को टूटे 4 साल हो गए। नगर निगम अब मंदिर के पुनर्निर्माण एवं दुकानदारों के व्यवस्थापन की दिशा में आगे बढ़ चुका है। हाल ही में महापौर एजाज़ ढेबर ने तेलीबांधा तालाब के समीप ही मंदिर के पुनर्निर्माण की घोषणा की है। चौधरी साहब आज भाजपा में हैं। ऐसे भाजपा नेता जो रायपुर में जन्मे और यहीं पले बढ़े वह भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि मंदिर एवं ग़रीबों की दुकानों को तोड़ने की कार्यवाही नहीं होनी थी। ये दो उदाहरण समझने के लिए काफ़ी हैं कि जीवन में विध्वंस आसान है और सृजन कठिन।
आरडीए-स्मार्ट सिटी में बड़ा बदलाव
रायपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) के संचालक मंडल की बैठक में कमल विहार में 1120 नये फ्लैट्स बनाकर बेचने की घोषणा हुई। 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने और नये सिरे से आरडीए में अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष एवं चार संचालकों की नियुक्ति होने के बाद यह पहला मौका है जब कोई बड़ा प्रोजेक्ट आया है। इधर, यह बड़ा प्रोजेक्ट लॉच हुआ उधर आरडीए के सीईओ रितुराज रघुवंशी का तबादला हो गया। रघुवंशी नारायणपुर कलेक्टर बनकर गए हैं। सूत्र बताते हैं कि रघुवंशी की आरडीए में ज़्यादा दिलचस्पी नहीं थी। आरडीए ज्वाइनिंग के बाद ही उनका एक्सीडेंट हो गया था और वे महीने भर की छुट्टी पर थे। ठीक होने के बाद उन्होंने आरडीए आना शुरु ज़रूर किया लेकिन वहां उनकी नियमित उपस्थिति दिखाई नहीं देती थी। सूत्रों का यही कहना है कि तबादले के साथ ही उनकी मन की मुराद पूरी हो गई। जहां तक नये सीईओ अभिजीत सिंह की बात है तो 13 जनवरी की रात उन्हें आरडीए सीईओ के अलावा रायपुर स्मार्ट सिटी का एमडी भी बनाए जाने का आदेश निकला। 14 की शाम उन्होंने आरडीए जाकर चार्ज ले भी लिया। अच्छी बात यह है कि आईएएस अभिजीत सिंह पूर्व में भी कुछ महीने आरडीए सीईओ पद पर रह चुके हैं, अतः वहां की कार्यप्रणाली को उनके लिए ज़्यादा समझने जैसा कुछ नहीं है। अलबत्ता रायपुर स्मार्ट सिटी में ज़रूर उन्हें काफ़ी दिमाग खर्च करना पड़ सकता है। इससे पहले चार आईएएस रजत बंसल, शिव अनंत तायल, सौरभ कुमार एवं प्रभात मलिक रायपुर नगर निगम कमिश्नर के साथ रायपुर स्मार्ट सिटी एमडी का दायित्व संभालते रहे थे। बड़ा परिवर्तन यह हुआ है कि निगम कमिश्नर को स्मार्ट सिटी के भार से मुक्त कर दिया गया है।