कारवां (13 जुलाई 2025) ● खड़गे की सभा और उन्हीं के राज्यसभा सदस्यगण नदारद… ● यहां पर भाजपा-कांग्रेस की सोच एक जैसी… ● मंत्री ने महापौरों व निगम कमिश्नरों से पूछा इंदौर जाकर क्या सीखे… ● मठ-मंदिरों से जुड़ी नई कहानियां… ● ‘जानकी वर्सेज स्टेट ऑफ केरल’ पर सेंसर का यू-टर्न… ● कोरबा में नशे की हालत में भिड़ गई लड़की…

■ अनिरुद्ध दुबे

राजधानी रायपुर में कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की जिस दिन सभा थी, सबेरे से ही काफ़ी बारिश हो रही थी। बारिश के कारण कांग्रेस के कई बड़े नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें खींच गई थीं। वहीं विरोधी पार्टी के लोगों ने तो गिरते पानी के बीच सोशल मीडिया पर लिखना शुरु भी कर दिया था- “धूल गई सभा।“ लेकिन जब सभा शुरु हुई तो देखने लायक नज़ारा था। काफ़ी बारिश के बीच भी सभा स्थल खचाखच था। यहां तक कि डोम के बाहर भी बड़ी संख्या में लोग खड़े थे। छत्तीसगढ़ के कोटे से इस समय कांग्रेस से 3 लोग के.टी.एस. तुलसी, राजीव शुक्ला एवं श्रीमती रंजीत रंजन राज्यसभा सदस्य हैं। अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की सभा में तीनों ही नदारद रहे, जिसकी कांग्रेस के ही भीतर दबी ज़ुबान में व्यापक चर्चा है। कॉफी हाउस के कोने में बैठे कुछ कांग्रेसी यह कहने से नहीं चूके कि राहुल जी या प्रियंका जी की सभा होती तो तीन में से दो तो दौड़े-दौड़े रायपुर आते, रही बात एक की- उनका चेहरा तो हमने भी आज तक नहीं देखा। यहां तक कि वो एक नेता अप्रैल 2020 में जब राज्यसभा का चुनाव जीते थे तो अपने निर्वाचित होने का प्रमाण पत्र तक लेने रायपुर नहीं आए थे। उनके निर्वाचित होने का प्रमाण पत्र तत्कालीन कांग्रेस सरकार के एक मंत्री ने विधानसभा में जाकर लिया था।

यहां पर भाजपा-कांग्रेस

की सोच एक जैसी…

राजनीति में ज्ञान की कुछ बातें ऐसी होती हैं जिन्हें भाजपा हो या कांग्रेस, दोनों ही पार्टियों के बड़े नेता अपने लोगों के बीच देते नज़र आते हैं। इसमें कुछ ग़लत भी नहीं। ऐसा ज्ञान या ऐसा सत्य सार्वभौमिक जो है। मैनपाट में भाजपा के प्रशिक्षण शिविर में पार्टी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बी.एल. संतोष ने सीधे व साफ़ शब्दों में कहा कि “सांसद-विधायक बनते ही नये दोस्त, नये रिश्तेदार पैदा हो जाते हैं। इनसे बचकर रहिएगा।“ वहीं 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में जब कांग्रेस की पूर्ण बहूमत के साथ सरकार बनी थी तब राजधानी रायपुर के राजीव भवन में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी अपने नेताओं व कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि “जब आप सत्ता में आते हैं तो कई नाते-रिश्तेदार पैदा हो जाते हैं। इनसे दूर ही रहिएगा।“

मंत्री ने महापौरों व निगम

कमिश्नरों से पूछा

इंदौर जाकर क्या सीखे…

इंदौर से अध्ययन कर लौट आए महापौरों एवं निगम कमिश्नरों से नये रायपुर में उप मुख्यमंत्री (नगरीय प्रशासन) अरुण साव रूबरू हुए। प्रदेश के इतिहास में शायद ऐसा पहली बार हुआ होगा कि अध्ययन दौरे से लौटकर आए महापौरों एवं आला अफ़सरों से किसी मंत्री ने जानने की कोशिश की कि भाई अध्ययन दौरे पर गए थे तो वहां से क्या सीखकर आए। रायपुर महापौर श्रीमती मीनल चौबे ने तो मंत्री जी के सामने विस्तार से अपने अनुभव रखे ही, बिलासपुर महापौर श्रीमती पूजा विधानी ने जो अपना अनुभव साझा किया वह गौर करने लायक है। श्रीमती विधानी ने कहा कि “इंदौर भ्रमण के दौरान पूरे शहर में उन्हें कहीं भी सड़क पर मवेशी या कुत्ता दिखाई नहीं दिया। सड़क किनारे बनी नालियों के ऊपर ठेले-खोमचे वाले भी नहीं दिखे। यह केवल निगम, जनप्रतिधि तथा जनता के बीच परस्पर समन्वय से ही संभव हो सकता है।“ मंत्री जी भी पते की बात बोले कि “किसी राज्य की छवि उसके शहरों से बनती है। यदि आपका शहर साफ स्वच्छ एवं सुविधापूर्ण होगा तो आपके प्रदेश की छवि भी सुधरेगी।“ यानी मंत्री जी ने अपनी पार्टी के सारे महापौरों को अहसास कराया कि यह सोचकर काम मत करें कि केवल अपना शहर चमकाना है, ऐसी दूरदर्शिता रखें कि प्रदेश की छवि को निखारना है।

इंदौर भ्रमण- 2

छत्तीसगढ़ के महापौरों व निगम कमिश्नरों के इंदौर अध्ययन दौरे के बाद उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने नया रायपुर में उनकी जो कार्यशाला लगाई उसमें कोरबा महापौर श्रीमती संजू देवी राजपूत ने भी दिलचस्प अनुभव शेयर किया। श्रीमती राजपूत ने कहा कि “इंदौर शहर में बैनर एवं होर्डिंग्स पर विशेष प्रावधान लागू किया गया है। बैनर तथा होर्डिंग्स लगाने वालों को चाहे वह राजनीतिक हों या गैर राजनीतिक, उन्हें 24 घंटे के भीतर स्वयं हटाना पड़ता है। इससे भी शहर को साफ-सुथरा रखने में मदद मिलती है।“

रायपुर नगर निगम में जब कांग्रेस की सत्ता थी तब तत्कालीन महापौर एजाज़ ढेबर अपने इंदौर भ्रमण के बाद मीडिया के सामने कहे थे कि “रायपुर की सड़कों पर बैनर व पोस्टर जो अटे पड़े रहते हैं वह कहीं न कहीं शहर की छवि को डेमेज करते हैं। दूसरों की क्या कहूं, मेरे ही बैनर पोस्टर जगह-जगह टंगे पड़े रहते हैं। कोशिश रहेगी कि आदत सुधरे।“

इंदौर भ्रमण- 3

रायपुर नगर निगम में कभी लंबी सेवाएं दे चुके एक युवा अफ़सर ने ‘कारवां’ कॉलम के इस लेखक से वाट्स अप पर अपने कुछ अनुभव शेयर करते हुए इंदौर शहर से जुड़ी भावनाओं को सामने रखा। उन्होंने लिखकर भेजा कि “इंदौर बनने के लिए केवल एक ही चीज चाहिए- दृढ़ संकल्प। 2 साल पहले मैं इंदौर गया था। ग़ज़ब शहर है। वहां के लोगों के हाव-भाव एवं व्यवहार को देखकर लगता है कि उन्हें अपनी स्वच्छता रैंकिंग पर गर्व है। इस दिशा में किए जाने वाले प्रयासों में प्रशासन के साथ सहयोग की भावना है।“

मठ-मंदिरों से जुड़ी

नई कहानियां…

छत्तीसगढ़ के हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है कि किसी भी मंदिर का पुजारी पूजा करने नियुक्त हुआ एक प्रबंधक है, किसी संपत्ति का स्वामी नहीं। यह फैसला धमतरी के विंध्यवासिनी बिलाई माता मंदिर के संबंध में सामने आया है। इधर, रायपुर के जैतूसाव मठ से जुड़ी कहानियों का एक के बाद एक सामने आने का सिलसिला जारी है। किसी ने यह मामला सामने लाया है कि सन् 2000 में धोखाधड़ी करते हुए मठ की 29 एकड़ ज़मीन एक कांग्रेस नेता को बेच दी गई थी। रायपुर संभागायुक्त महादेव कांवरे व्दारा बनाई गई चार सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच समिति ने इस मामले को भी जांच के दायरे में लिया है।

‘जानकी वर्सेज स्टेट ऑफ

केरल’ पर सेंसर का यू-टर्न

कोच्चि शहर से ख़बर आई है कि फ़िल्म ‘जानकी वर्सेज स्टेट ऑफ केरल’ को लेकर हाल ही में सेंसर बोर्ड और फ़िल्म निर्माताओं के बीच विवाद ने जोर पकड़ लिया। पहले जहां बोर्ड ने फ़िल्म में 96 कट लगाने की सिफारिश की थी, वहीं अब अपनी पुराने फैसले से पलटते हुए फ़िल्म को महज़ दो मामूली बदलावों के साथ पास करने की संभावना बनती दिख रही है। सबसे बड़ा विवाद तो फ़िल्म का नाम ‘जानकी’ रखने को लेकर था। सेंसर बोर्ड ने बिना कोई मज़बूत तर्क सामने रखे इस  पर आपत्ति जताई थी। सेंसर बोर्ड वाले इतना ही कह पा रहे थे कि जानकी नाम देवी सीता के नाम से जुड़ा हुआ है। इस मुद्दे को लेकर ‘जानकी वर्सेज स्टेट ऑफ केरल’ के प्रोड्यूसर केरल हाई कोर्ट पहुंच गये। केरल हाईकोर्ट की सुनवाई के दौरान मौजूद रहे वकील ने स्पष्ट किया कि सेंसर बोर्ड व्दारा अब फ़िल्म को सिर्फ दो बदलावों के साथ पास किया जाएगा। पहला बदलाव ये कि फ़िल्म के टाइटल को थोड़ा संशोधित किया जाएगा। अब फ़िल्म का नाम या तो ‘जानकी वी वर्सेज स्टेट ऑफ केरल’ या ‘वी जानकी वर्सेज स्टेट ऑफ केरल’ होगा। दूसरा बदलाव कोर्ट रूम में चल रहे क्रॉस-एग्जामिनेशन सीन से संबंधित है, जिसमें नायिका का नाम म्यूट करने की सलाह दी गई है। इस पर कोर्ट ने प्रोड्यूसर से ज़वाब मांगा है और आगे की सुनवाई निर्धारित की गई है।

केरल से काफ़ी कुछ मिलता-जुलता मामला छत्तीसगढ़ में भी घटित हुआ है। छत्तीसगढ़ी फ़िल्म निर्माता मोहित साहू ने हिन्दी व छत्तीसगढ़ी समेत 7 भाषाओं में ‘जानकी-1’ का निर्माण किया है। मोहित साहू ने ‘जानकी’ के हिन्दी वर्सन के प्रदर्शन की तारीख़ 13 जून तय भी कर दी थी। ‘जानकी’ नाम से ही फ़िल्म का ट्रेलर पास कर देने वाले सेंसर बोर्ड ने प्रदर्शन की तारीख़ से ठीक पहले पूरी फ़िल्म को सर्टिफिकेट देने से इंकार कर दिया। यह कहते हुए कि ‘जानकी’ नाम बदला जाए। सारी तैयारियों के बाद भी 13 जून को छत्तीसगढ़ में बनी ‘जानकी’ का प्रदर्शन नहीं हो पाया।

कोरबा में नशे की हालत

में भिड़ गई लड़की…

लड़कियों व्दारा पीकर उत्पात मचाने की ख़बरें पहले रायपुर, बिलासपुर एवं भिलाई जैसे शहरों से सामने आती रही थीं, अब कोरबा भी इसमें शुमार हो गया है। हाल ही में कोरबा के ट्रांसपोर्ट नगर में पाम मॉल के सामने स्थित एक बार से पीकर निकले 2 समूह के बीच जमकर गाली गलौच एवं मारपीट हुई। गाली गलौच व मारपीट करने वालों में एक लड़की भी थी, जो नशे की हालत में थी।

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