■ अनिरुद्ध दुबे
पूर्व कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सांसद राहुल गांधी बेहद व्यस्तता के बावजूद आज छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर पहुंचे। एक तो लोकसभा का बजट सत्र चल रहा है, दूसरा पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव अलग हैं। ऐसे समय में भी वे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लगातार अनुरोध पर एक ही स्थान साइंस कॉलेज के ग्राउंड पर आयोजित चार कार्यक्रमों में शिरकत करने पहुंचे। राहुल गांधी ने ‘राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना’ एवं ‘राजीव गांधी मितान योजना’ का शुभारंभ तथा ‘नवा रायपुर सेवाग्राम’ व ‘छत्तीसगढ़ अमर जवान ज्योति’ का शिलान्यास किया। शुभारंभ व शिलान्यास की औपचारिकता के बाद राहुल गांधी ने धुंआधार भाषण देते हुए सीधे-सीधे संघ एवं भाजपा पर निशाना साधा।
गांधी सेवाग्राम आश्रम जहां नया रायपुर में बनेगा वहीं अमर जवान ज्योति की स्थापना नया रायपुर के ही क़रीब माना में की जाएगी। ‘राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना’- यह नाम काफी लंबा हो जाता है। हर किसी के लिए इस योजना का पूरा नाम याद रख पाना कठिन है। इसका कोई संक्षिप्त नाम क्यों नहीं सोचा गया समझ से परे है! भूपेश बघेल सरकार के रणनीतिकार चुन-चुनकर जवाबी मुद्दे ला रहे हैं। अयोध्या के राम जन्म भूमि मुद्दे पर संघ एवं भाजपा जहां लगातार काम कर रही है, उसके जवाब में भगवान राम के ननिहाल की दिशा में छत्तीसगढ़ सरकार आगे बढ़ी। शोधकर्ताओं का मानना है कि छत्तीसगढ़ का चंदखुरी स्थान माता कौशल्या का मायका है। इस तरह छत्तीसगढ़ सरकार ने चंदखुरी स्थित माता कौशल्या मंदिर की पूरी तस्वीर ही बदल दी। इस मंदिर क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया गया है। महात्मा गांधी को जो अंग्रेजी धुन पसंद थी उस पर केन्द्र सरकार ने तय कर दिया कि राष्ट्रीय पर्व पर अब वह नहीं बजेगी। राजधानी रायपुर मरीन ड्राइव (तेलीबांधा तालाब) में भूपेश सरकार ने वही धुन बजवाई। एक तरह से यह जवाब ही था। 1972 की जंग में जीत मिलने के बाद इंडिया गेट में अमर ज्योति जो प्रज्जवलित की गई थी उसे केन्द्र सरकार ने दूसरे स्थान पर शिफ्ट करने का निर्णय लिया, जिस पर अब तक पूरे देश में बहस चल रही है। इधर, छत्तीसगढ़ सरकार ने निर्णय लिया कि वह रायपुर में अमर जवान ज्योति प्रज्जवलित करेगी। उस स्थान पर छत्तीसगढ़ के अमर शहीदों से जुड़ी तस्वीरों को सहेजकर रखा जाएगा। पिछले कुछ वर्षों से गांधी व गोड़से पर लगातार चर्चा होती चली आ रही है। मशहूर लेखक असग़र वजाहत का एक नाटक काफी चर्चित हुआ था- ‘गोडसे @ गांधी. कॉम।’ इस नाटक में कल्पना की गई है गोडसे की गोली लगने के बाद गांधी शहीद नहीं होते… बच जाते हैं। फिर गांधी और गोडसे का विचारोत्तेजक संवाद होता है। ऐसा ही विचारोत्तेजक संवाद तब हुआ था जब 2018 में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद महात्मा गांधी पर केन्द्रित विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र हुआ था। उस विशेष सत्र में सत्ता पक्ष ने महात्मा गांधी के महान कार्यों का उल्लेख करते हुए गोडसे का बार-बार नाम लेकर खूब उंगलियां उठाई थीं। जिस पर विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने सदन में कहा था कि “सरकार में बैठे लोग रह रहकर गोडसे का नाम ले रहे हैं। यदि इस नाम से इतना ही लगाव है तो गोडसे पर भी विधानसभा का विशेष सत्र क्यों नहीं बुला लेते? सारी बातें खुलकर हो जाएंगी।” बहरहाल छत्तीसगढ़ सरकार ने फिर से गांधी को बड़ी शिद्दत से याद किया है। वर्धा स्थित गांधी सेवाग्राम की तरह नया रायपुर में भी गांधी सेवाग्राम आश्रम बनाने का संकल्प लिया गया है। कुल मिलाकर मजबूती से जवाब देने की कोशिश है कि उत्तरप्रदेश में अयोध्या है तो छत्तीसगढ़ में भी चंदखुरी है। आप अमर ज्योति की जगह बदलेंगे तो हम नई ज्यति जलाएंगे। आप गोडसे को लगातार चर्चा में बनाए रखेंगे तो हम गांधीवाद का एक बड़ा केन्द्र स्थापित करेंगे। रही बात ‘राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना’ की तो छत्तीसगढ़ कृषि बहुल प्रदेश है। 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का पूरा फ़ोकस किसानों पर था और अब भी है। देखा जाए तो छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की तरफ से हर दांव काफी सोच समझकर चला जा रहा है। छत्तीसगढ़ में लगातार 15 वर्षों तक सत्ता में रही भाजपा आज जब विपक्ष में है कांग्रेस के हर बड़े दांव पर उसे अगली चाल कौन सी चलना है को लेकर निश्चित रूप से काफी दिमागी कसरत करनी पड़ रही होगी। भाजपा जो कभी मजबूत संगठन एवं जमीनी स्तर पर लड़ाई के लिए अपनी अलग पहचान रखती रही थी, उसे इस समय छत्तीसगढ़ में अपनी वर्तमान स्थिति को लेकर काफी चिंतन मनन करने की ज़रूरत है।