कारवां (24 अगस्त 2025) ● मंत्री मंडल के विस्तार में भी उन्हीं की चली… ● साय की न पसंदगी और न ही नापसंदगी… ● रायपुर के दिग्गजों के रहते में बाजी मार ले गए खुशवंत… ● वीडियो की बात तो दूर फ़िल्म में भी नज़र आएंगे… ● मंत्री मंडल विस्तार, कांग्रेसियों का चुटीला अंदाज़… ● निगम-मंडल और दिवाली का तोहफ़ा… ● बृजमोहन व मूणत में ऐसी समानता… ● टिकट कटी तो क्या, दूसरा रास्ता तो खुला…

■ अनिरुद्ध दुबे

हाल ही में विष्णुदेव साय मंत्री मंडल का जो विस्तार हुआ है उसका उदाहरण बरसों तक दिया जाता रहेगा। माना यही जाता रहा है कि पूर्व में 5 ऐसे अवसर आकर गए जब विस्तार होते-होते रह गया था। गजेन्द्र यादव का नाम तो पहले से चला आ रहा था लेकिन पूर्व में यादव के नाम के साथ संभावित मंत्रियों के नाम में अमर अग्रवाल, अजय चंद्राकर, राजेश मूणत, धरमलाल कौशिक, पुरंदर मिश्रा, सुनील सोनी, लता उसेंडी, भावना बोहरा का ज़िक्र जब तब होते रहा था, लेकिन इस बार जब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष किरण देव के प्रदेश कार्यकारिणी विस्तार करने के साथ मंत्री पद के लिए जिस तरह दो चौंकाने वाले गुरु खुशवंत साहेब एवं राजेश अग्रवाल के नाम सामने आए मंत्री की दौड़ में रहे अन्य लोगों के बीच खलबली मच गई। खुलकर तो किसी ने कुछ नहीं बोला लेकिन रायपुर से लेकर दिल्ली तक कितनी ही बार मोबाइल की घंटियां घनघनाती रहीं। गोपनीय अंदाज़ में रायपुर से लेकर दिल्ली तक मिलने मिलाने का दौर चला। जिन लोगों ने प्रदेश भाजपा की नई कार्यकारिणी के गठन में अहम् भूमिका निभाई, मंत्री मंडल के विस्तार में भी उन्हीं की चली।

साय की न पसंदगी

और न ही नापसंदगी!

छत्तीसगढ़ राज्य रजत जयंती वर्ष मना रहा है। विष्णु देव साय इस राज्य के चौथे मंत्री हैं। इस नई सरकार में जैसा कि मंत्री मंडल का यह पहला विस्तार हुआ, स्वाभाविक है बहुतों के मन में यह जिज्ञासा है कि पूर्व में जो मुख्यमंत्री रहे, विष्णु देव साय उनसे कितने अलग हैं। भाजपा में पूरी उम्र गुज़ार चुके कुछ लोगों के बीच इसका ज़वाब तलाशने की कोशिश की गई तो उनका यही कहना रहा कि विष्णु जी औरों से काफ़ी अलग हैं। वो ऐसे कि अजीत जोगी से लेकर डॉ. रमन सिंह व भूपेश बघेल ने जब पहली बार अपने मंत्री मंडल का गठन किया था और उसके बाद जब कभी विस्तार भी किया, उन सबका पसंदगी-नापसंदगी में बड़ा रोल रहा था। जहां तक साय जी की बात है तो दिसंबर में उनके मंत्री मंडल का गठन हुआ तब और उसके बाद विस्तार हुआ अब, दोनों समय में उनकी पसंदगी या नापसंदगी जैसी कोई बात नहीं रही।

रायपुर के दिग्गजों के

रहते में बाजी मार

ले गए खुशवंत…

आरंग क्षेत्र के युवा विधायक गुरु खुशवंत साहेब ने मंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त कर लिया। उन्हें कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा, रोजगार तथा अनुसूचित जाति कल्याण जैसा महत्वपूर्ण विभाग मिला है। खुशवंत साहेब का आरंग क्षेत्र रायपुर जिले में आता है। रायपुर जिले में 7 विधानसभा सीटें हैं, रायपुर के भीतर की चार सीटें, उसके अलावा अभनपुर, आरंग व धरसींवा। वरिष्ठता क्रम पर नज़र डालने की कोशिश करेंगे तो पाएंगे कि रायपुर के चारों विधायक राजेश मूणत, सुनील सोनी, पुरंदर मिश्रा एवं मोतीलाल साहू बरसों से राजनीति में हैं, जबकि आरंग, अभनपुर एवं धरसींवा के विधायकों का राजनीति में पदार्पण रायपुर के चारों विधायकों के काफ़ी बाद हुआ है। उस पर भी राजेश मूणत पूर्व में 3 बार जब भाजपा सरकार रही थी, तीनों बार मंत्री रहे थे। सुनील सोनी के पास भी महापौर एवं सांसद रहने का बड़ा अनुभव रहा है। वहीं मंत्री पद के लिए पुरंदर मिश्रा के नाम की सिफारिश ओड़िशा के दो बहुत ही बड़े लोगों की तरफ से हुई थी, इस सब के बाद भी बाजी मार ले गए खुशवंत साहेब। एक बार फिर साबित हो गया कि राजनीति व सिनेमा दो ऐसे क्षेत्र हैं जहां योग्यता के साथ भाग्य भी बेहद ज़रूरी है।

वीडियो की बात तो दूर

फ़िल्म में भी नज़र आएंगे

मंत्री बनने के बाद गुरु खुशवंत साहेब का एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें वह कहते नज़र आ रहे हैं- “पॉवर कुर्सी में नहीं, बैठने वाले में होना चाहिए।” डायलॉग ख़त्म होते ही खुशवंत साहेब ‘पुष्पा’ फ़िल्म के हीरो अल्लू अर्जुन के अंदाज़ में चेहरे पर से उंगली घूमाते नज़र आते हैं। कांग्रेस ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट में इस वीडियो को शेयर करते हुए व्यंग्यात्मक अंदाज़ में लिखा है कि “भाजपा के नये मंत्री की तरफ से पुराने मंत्रियों को प्यार भरा संदेश।” खुशवंत साहेब ने कहा है कि यह वीडियो 5 साल पुराना है। ख़ैर यह तो बनाया हुआ वीडियो है। खुशवंत साहेब तो हक़ीकत में बड़े पर्दे वाली फ़िल्म में अभिनय करते नज़र आएंगे। इस फ़िल्म में पूर्व कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे अमरजीत भगत व डॉ. शिव कुमार डहरिया भी नज़र आएंगे। यह फ़िल्म सिंगल स्क्रीन व मल्टीप्लेक्स सब में लगेगी। बस सितंबर महीने का इंतज़ार कीजिए…

मंत्री मंडल विस्तार

कांग्रेसियों का

चुटीला अंदाज़

विष्णु देव साय मंत्री मंडल के विस्तार के बाद कांग्रेस के कुछ जाने-पहचाने चेहरों की तरफ से सोशल मीडिया में कुछ मज़ेदार प्रतिक्रियाएं सामने आईं, जो बिना किसी काट-छांट के हमारे विव्दान पाठकों के लिए यहां प्रस्तुत हैं-

0 धर्मजीत सिंह, पुरंदर मिश्रा व मोतीलाल साहू कह रहे हैं, हम भी तो कांग्रेसी थे…

0 कांग्रेस मुक्त भारत का नारा लगाने वाले अब कांग्रेसयुक्त भाजपा बना रहे हैं…

0 कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए नेता ही अगर सबसे योग्य हैं तो असली पार्टी कौन हुई…

0 छत्तीसगढ़ राज्य के इतिहास में पहली बार रायपुर से कोई मंत्री नहीं, न केन्द्र में और न ही राज्य में…

0 कांग्रेस से जाकर भाजपा के दिग्गज नेताओं को पटखनी दी, मतलब कांग्रेसियों में दम है…

(यहां बता दें कि मंत्री बने गुरु खुशवंत साहेब एवं राजेश अग्रवाल पूर्व में कांग्रेस में थे)

निगम-मंडल और

दिवाली का तोहफ़ा

प्रदेश भाजपा की कार्यकारिणी में फेरबदल हो गया। बहु प्रतिक्षित मंत्री मंडल का विस्तार भी हो गया। अब बच गई शेष निगम-मंडलों में नियुक्तियां। अंदर से ख़बर तो यही आ रही है कि बचे हुए अधिकांश निगम मंडलों में दीपावली से पहले नियुक्तियां हो जाएंगी। 20 अक्टूबर की दिवाली है। माना यही जा रहा है कि विष्णु देव साय सरकार बचे हुए निगम मंडल में नियुक्तियां सितंबर महीने में ही कर देने के मूड में है। सितंबर में अगर यह एक और बड़ा नेक काम हो गया तो कितने ही लोगों को दीपावली का तोहफ़ा त्यौहार से महीने भर पहले ही मिल जाएगा।

बृजमोहन व मूणत

में ऐसी समानता…

सांसद बृजमोहन अग्रवाल के बाद विधायक राजेश मूणत ने भी रायपुर नगर निगम के नेताओं व अधिकारियों की बैठक ली। सांसद होने के कारण बृजमोहन जी का दायरा बड़ा है, स्वाभाविक है कि निगम के सभी दस जोनों के अधिकारियों को उनकी बैठक में रहना पड़ा था। वहीं मूणत ने अपनी बैठक को रायपुर पश्चिम विधानसभा तक सीमित रखा। महापौर, सभापति, एमआईसी सदस्यों, निगम कमिश्नर एवं कुछ अन्य बड़े अफस़रों को छोड़ दें तो उन्होंने अपनी बैठक में पश्चिम विधानसभा में आने वाले वार्डों के जोन अध्यक्षों, जोन अफसरों व पार्षदों को अपनी बैठक में आमंत्रित किया था। दोनों बैठकों का सार क्या निकला यह तो निगम के बुद्धिमान नेतागण व दूरदर्शी अधिकारीगण ही बेहतर बता सकते हैं, लेकिन एक समानता थी। दोनों बैठकों का समय तीन से साढ़े तीन घंटे का रहा। कौन कहता है कि बृजमोहन व मूणत की स्टाइल बिलकुल मेल नहीं खाती। पिछली बार प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, एकात्म परिसर में किसी बैठक में अपनी बात रखते हुए मूणत ने दहाड़ते हुए कहा था कि “मैं और बृजमोहन जी अच्छों-अच्छों की…… ताकत रखते हैं।”

टिकट कटी तो क्या

दूसरा रास्ता तो खुला

भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी मिलने के बाद मानो राहुल टिकरिया की खुशी का ठिकाना नहीं है। ये वही राहुल टिकरिया हैं 2023 के विधानसभा चुनाव में जिनकी बेमेतरा सीट से टिकट पक्की मानी जा रही थी। आपको याद दिला दें बेलतरा, बेमेतरा और पंडरिया ये 3 ही ऐसी सीटें थीं जिनके भाजपा प्रत्याशियों का फ़ैसला एकदम आख़री में जाकर हुआ था। 3 आक्रामक युवा नेता टिकट की दौड़ में थे, बेलतरा से सुशांत शुक्ला, बेमेतरा से राहुल टिकरिया एवं पंडरिया से विशेषर पटेल। सुशांत तो टिकट पा गए और जीत भी गए समीकरण के तहत राहुल एवं विशेषर कट गए थे। वो कहते हैं न भाग्य प्रबल हो तो राजनीति में एक रास्ता बंद होता है तो दूसरा खुल जाता है। विशेषर व राहुल के साथ कुछ ऐसा ही हुआ। पिछले महीने तक रवि भगत जो प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रहे थे अपने ही लोगों पर निशाना साधने के कारण पद से हटा दिए गए और राहुल का रास्ता खुल गया। विशेषर पहले ही गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष बनाए जा चुके हैं।

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