मिसाल न्यूज़
छत्तीसगढ़ी फ़िल्म ‘एम.ए. प्रीवियस’ में ओड़िशा की मशहूर एक्ट्रेस हिरनमयी दास हीरो राज वर्मा के अपोज़िट नज़र आई हैं। हिरनमयी ने इसमें कॉलेज़ प्रोफेसर का रोल किया है, जो ‘एम.ए. प्रीवियस’ की क्लास लेती हैं। प्रोफेसर के किरदार में राज वर्मा भी दिखे हैं। राज और हिरनमयी की लव स्टोरी एक अलग ही अंदाज़ में देखने मिलेगी।

‘मिसाल न्यूज़’ ने हिरनमयी के सामने कुछ सवाल रखे, जिनका ज़वाब कुछ यूं आया…
0 छत्तीसगढ़ी सिनेमा आपके लिए नया है। कैसा महसूस कर रही हैं…
00 ‘एम.ए. प्रीवियस’ मेरी दूसरी छत्तीसगढ़ी फ़िल्म है। पहली ‘तोर संग मया लागे’ है। छत्तीसगढ़ी फ़िल्म इंडस्ट्री में मुझे ख़ूब प्यार मिल रहा है, इसके लिए मैं फ़िल्म मेकर व दर्शक दोनों की शुक्रगुज़ार हूं। ‘एम.ए. प्रीवियस’, पूरी फ़िल्म को शूट होने में एक महीना भी नहीं लगा। शूट के दौरान जब भी थोड़ा बहुत फ़ुरसत का समय होता, दीपक साहू, अराधना साहू और मैं ख़ूब हॅसते और मस्त रहते। शूट के दौरान अराधना और मैं एक ही रूम में थे। फ़िल्म में वह मेरी छोटी बहन बनी है। हकीक़त में भी उसका मेरा रिश्ता बहन जैसा ही हो गया है।
0 ‘एम.ए. प्रीवियस’ के अपने किरदार के बारे में बताएं…
00 मैं और राज सर एक ही कॉलेज़ में प्रोफेसर रहते हैं। उस कॉलेज़ में राज सर के छोटे भाई दीपक साहू एवं मेरी छोटी बहन अराधना ‘एम.ए. प्रीवियस’ के स्टूडेंट रहते हैं। मेरी और राज सर की शादी तय हो जाती है। कहानी में ऐसा घूमाव है कि शादी वाली बात मुझे तो मालूम रहती है लेकिन राज सर को नहीं। मौका पाकर मैं उन्हें छेड़ती रहती हूं। दूसरी तरफ दीपक एवं अराधना एक दूसरे के क़रीब आ रहे होते हैं। दो हीरो एवं दो हीरोइन के बीच वाली यह प्रेम कहानी और फ़िल्मों से एकदम अलग हटकर है।
0 आपने जैसा कि कहा अलग हटकर, इसे थोड़ा और स्पष्ट करें…
00 दोनों हीरो का जन्म एक ही तारीख़ को होता है। बड़े भाई के जन्म के ठीक पांच साल बाद उसी तारीख़ को छोटे भाई का जन्म होता है। दोनों भाईयों को कोई भी साथ वाला ज़रूरी काम एक ही तारीख़ को करते हैं। दोनों में बस एक ही अंतर होता है। बड़े भाई का अरेंज मैरिज पर विश्वास है और छोटे का लव मैरिज पर। लेकिन जब शादी की बात आती है तो तय होता है दोनों एक ही डेट में शादी करेंगे।
0 राज वर्मा इस फ़िल्म में न सिर्फ़ हीरो बल्कि प्रोड्यूसर भी हैं, उनके साथ कैसा अनुभव रहा…
00 फ़िल्म मेकिंग कब शुरु होकर कब ख़त्म हो गई पता ही नहीं चला। सेट पर माहौल पूरी तरह पारिवारिक था। इसका क्रेडिट राज वर्मा जी को जाता है।
0 डायरेक्टर प्रणव झा के बारे में क्या राय व्यक्त करेंगी…
00 ओडिशा के कटक शहर में मेरी प्रणव झा जी से मुलाक़ात हुई थी। उन्होंने मुझे यह फ़िल्म ऑफर की। वैसे भी मैं ख़ुद को ओड़िया भाषा की फ़िल्म तक सीमित नहीं रखना चाहती, इसलिए ‘एम.ए. प्रीवियस’ का ऑफर सहर्ष स्वीकार किया। जैसा कि ओड़िशा से हूं, छत्तीसगढ़ी बोलने और समझने में मुझे लगातार मेहनत करनी होगी। जहां कहीं भी किसी छत्तीसगढ़ी शब्द को समझने में दिक्कत होती प्रणव सर मदद करते। प्रणव सर जब काफ़ी व्यस्त होते तो सेट पर मौजूद एडी एवं टेक्नीशियन से भी छत्तीसगढ़ी शब्दों के बारे में पूछती।
0 आगे और क्या करने का सोच रखा है…
00 ओड़िया और छत्तीसगढ़ी फ़िल्म तो करना ही है, आगे साउथ और बॉलीवुड की तरफ भी भाग्य आज़माना है।

