● देव साहब और धर्मेन्द्र की ‘रिटर्न ऑफ ज्वेल थीफ’

■ अनिरुद्ध दुबे

सिनेमा प्रेमियों के दिलों पर बरसों से राज करते रहे मशहूर अभिनेता धर्मेन्द्र का 24 नवम्बर को निधन हो गया। धर्मेन्द्र ने जब फ़िल्मों में काम करने का सपना देखा था उस दौर में सिल्वर स्क्रीन पर दिलीप कुमार, राज कपूर एवं देवानंद की तिकड़ी छाई हुई थी। अधिकांश लोग इस बात से वाकिफ़ हैं कि धर्मेन्द्र को फ़िल्मों में आने की प्रेरणा भारतीय सिनेमा के इतिहास के पन्नों में दर्ज़ हो चुके अभिनेता दिलीप कुमार से मिली थी। धर्मेन्द्र, दिलीप साहब के पारिवारिक सदस्य थे। बहुतों को यह भी मालूम है कि राज कपूर के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘मेरा नाम जोकर’ में धर्मेन्द्र ने एक महत्वपूर्ण किरदार अदा किया था। लेकिन यह बात बहुत कम लोगों को मालूम है कि धर्मेन्द्र ने देव साहब के साथ भी एक फ़िल्म ‘रिटर्न ऑफ ज्वेल थीफ’ की थी। ‘रिटर्न ऑफ ज्वेल थीफ’ 18 अक्टूबर 1996 को रिलीज़ हुई थी। राजधानी रायपुर की राज टॉकीज़ में इसका प्रदर्शन हुआ था, जिस पर मेरे व्दारा लिखित संक्षिप्त फ़िल्म समीक्षा का प्रकाशन दैनिक देशबन्धु अख़बार में हुआ था। धर्मेन्द्र साहब को श्रद्धांजलि देते हुए वह समीक्षा बरसों बाद एक बार पुनः आपके सामने प्रस्तुत है-

‘ज्वेल थीफ भाग 2’… पुराने

कलाकार-पुरानी कहानी

27 साल पहले आई थी- ‘ज्वेल थीफ’। ‘रिटर्न ऑफ ज्वेल थीफ’ उसी का भाग-2 है। ‘ज्वेल थीफ’ जहां पर खत्म हुई थी ‘रिटर्न ऑफ ज्वेल थीफ’ वहां से शुरू होती है। इन 27 सालों में विनय कुमार (देवानंद) भारत में हीरों का सबसे बड़ा व्यापारी बन चुका है। वहीं लंबा समय जेल में गुजारने के बाद ज्वेल थीफ प्रिंस अर्जुन (अशोक कुमार) इस जोड़-तोड़ में लगे रहता है कि कैसे वह विनय कुमार को सबक सिखाए। ‘रिटर्न ऑफ ज्वेल थीफ’ की कहानी में ताज़गी नहीं है। लेकिन इसमें एक के बाद एक रहस्य की नई परतें खुलना और देवानंद, अशोक कुमार, धर्मेंद्र, प्रेम चोपड़ा एवं सदाशिव राव अमरापुरकर जैसे मंजे हुए कलाकारों का अभिनय दर्शकों को बांधे रखता है।

भारत के हीरों के सबसे बड़े व्यापारी विनय कुमार (देवानंद) का सपना है कि वह कोहिनूर हीरे को इंग्लैंड से भारत लाए। यह वही कोहिनूर है जिसे अंग्रेज भारत से ले गए थे। कोहिनूर को भारत लाना कोई हॅसी खेल नहीं। क्योंकि प्रिंस अर्जुन (अशोक कुमार) और जुकासी (सदाशिव राव अमरापुरकर) जैसे चोरों का हर वक़्त खतरा बना हुआ है। तब मुख्यमंत्री नीलकंठ (प्रेम चोपड़ा) कोहिनूर की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी पुलिस कमिश्नर सूर्यदेव सिंह (धर्मेंद्र) को सौंपते हैं। सूर्यदेव प्रिंस अर्जुन का बेटा है। विनय कुमार कोहिनूर को इंग्लैंड से भारत लाकर अपना सपना पूरा करता है। भारत आने के बाद कोहिनूर चोरी हो जाता है। इसके साथ ही खुलती हैं एक के बाद एक रहस्य की नई परतें।

देवानंद को फ़िल्मों में काम करते 50 साल से ज़्यादा हो गए लेकिन आज भी उनके चेहरे पर ताज़गी झलकती है। चेहरा और हाथ हिलाकर उनके डायलॉग बोलने का वही पुराना अंदाज़ क़यम है। अशोक कुमार और धर्मेंद्र ने अपना काम गंभीरता से किया है। जैकी श्राफ प्रभावित करते हैं। मधु और शिल्पा शिरोडकर की ड्यूटी इस फिल्म में नाचने गाने की रही है। निर्देशक अशोक त्यागी ने ‘रिटर्न ऑफ ज्वेल थीफ’ बनाने में अपनी तरफ से भरपूर मेहनत की है फिर भी यह फ़िल्म ‘ज्वेल थीफ’ के सामने 50 प्रतिशत भी नहीं ठहरती। कभी हीरे की कहानी पर ‘ज्वेल थीफ’, ‘विक्टोरिया नंबर 203, ‘एक से बढ़कर एक’, ‘जुगनू’ एवं ‘शालीमार’ जैसी फिल्में बनी थीं। वह दौर अभी थम गया है। फिर भी निर्माता टी.पी. अग्रवाल ने हीरे के विषय पर महंगे बजट की ‘रिटर्न ऑफ ज्वेल थीफ’ बनाई, जो कि जोखिम भरा काम है। टी.पी. अग्रवाल की तारीफ़ करनी चाहिए।

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