■ अनिरुद्ध दुबे
छत्तीसगढ़ में इन दिनों सर्वत्र ईडी के छापे की चर्चा है। भाजपा एवं कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। जुबानी जंग में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह आमने-सामने हो गए हैं। ट्विटर वार जमकर चल रहा है। हमारे नेताओं में भविष्य में झांक लेने की गज़ब की क्षमता है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था- “आईटी के बाद अब ईडी आएगा।” आया। जिस रोज सुबह छत्तीसगढ़ में ईडी का ताबड़तोड़ छापा पड़ा, उसी दिन दोपहर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा था कि “कोयले में प्रति टन पीछे 25 रुपये की अवैध वसूली हो रही है।” ईडी की तरफ से जो प्रेस नोट जारी हुआ उसमें डॉ. रमन वाली बात ही सामने आई। मुख्यमंत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री दोनों ही इस समय किसी भविष्यवक्ता की मानिंद नज़र आ रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के चेयरमैन सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि “ईडी के बयान को देखो तो यही लगता है इसकी पटकथा डॉ. रमन सिंह ने लिखी है। जो बात डॉ. रमन सिंह ने कही उसे ही ईडी ने दोहराया।“ बहरहाल छापे की इस कार्रवाई से कुछ बड़े अफ़सरों के चेहरे पर दहशत के भाव स्पष्ट नज़र आ रहे हैं।
हाउसिंग बोर्ड बिछाएगा
मकानों का जाल
पिछले दो साल जिस तरह कोरोना का असर रहा, हाउसिंग बोर्ड (छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल) का काम ठंडा पड़ा हुआ था। जैसा कि अब सब कुछ नॉर्मल हो चुका है हाउसिंग बोर्ड ने एक बार फिर हिम्मत बटोरनी शुरु की है। संकेत यही मिल रहे हैं कि हाउसिंग बोर्ड नई आवासीय योजनाएं सबसे पहले राजधानी रायपुर में लाएगा। हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष एवं विधायक कुलदीप जुनेजा ने इस दिशा में पहल शुरु कर दी है। जुनेजा के निर्देश पर हाउसिंग बोर्ड के अफ़सरों ने रायपुर के चारों तरफ सीमावर्ती इलाकों में जमीनें देख ली हैं। बोर्ड के अफ़सरों व्दारा चिन्हित जमीनों के बारे में रायपुर कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भूरे को अवगत कराया गया है। कलेक्टर ने राजस्व अधिकारियों को निर्देशित कर दिया है कि जहां किसी तरह की तकनीकी बाधा न हो वहां की जमीनें तत्काल हाउसिंग बोर्ड को सौंपने की प्रक्रिया शुरु कर दी जाए। हाउसिंग बोर्ड अध्यक्ष जुनेजा रायपुर के बाद अन्य जिलों के लिए भी आवासीय योजनाओं का प्लान तैयार करने अफ़सरों से कह चुके हैं।
राज्योत्सव 3 या 5 दिन?
राज्योत्सव की तैयारियां शुरु हो चुकी हैं। अभी तक तो चर्चा यही है कि 3 दिनों का राज्योत्सव होगा, लेकिन कुछ लोगों की राय इससे अलग हटकर है। इनका मानना है कि राज्योत्सव 3 की जगह 5 दिनों का होगा। कारण, इस सरकार का यह आखरी राज्योत्सव होगा, जिसे वह अपने ढंग से मना पाएगी। अगले साल जब राज्योत्सव की घड़ी सामने होगी चुनावी आचार संहिता लग चुकी होगी। यही कारण है कि सरकार इस बार के राज्योत्सव में तामझाम कर लोगों का मन जीतने में कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहेगी।
संलग्नता व ड्रेस कोड
मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने मंत्रालय में कड़ाईपूर्वक निर्देशित किया है कि किसी भी विभाग व्दारा अपने अधिनस्थ कार्यालयों के अधिकारियों व कर्मचारियों को अपने स्तर पर मंत्रालय में संलग्न या पदस्थ करने के आदेश जारी नहीं किए जाएंगे। बीच में कुछ ऐसा हुआ कि बिना सामान्य प्रशासन विभाग की सहमति के दर्जनों अफसर- कर्मचारी इधर उधर संलग्न हो गए। यह बात पिछले दिनों जब मुख्य सचिव के संज्ञान में आई तो उन्होंने जमकर नाराज़गी जताई। दूसरी बात यह कि मंत्रालय समेत अन्य सरकारी दफ्तरों में बहुत से प्यून निर्धारित ड्रेस पहनकर नहीं आ रहे हैं। ये सीधे-सीधे सरकारी ड्रेस कोड की अवहेलना है। इस पर सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से कड़ा आदेश निकाला गया है। आदेश में कहा गया है कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को न सिर्फ ड्रेस दी जाती है बल्कि सिलाई व धुलाई भत्ता भी दिया जाता है। इसके बाद भी वे यूनिफार्म पहनकर नहीं आ रहे हैं। यदि भविष्य में वे ड्रेस कोड नियमों का पालन नहीं करते हैं तो कड़ी कार्यवाही का सामना करने के लिए तैयार रहें।
आर.डी.ए. के पदाधिकारी
भी देखना चाहते हैं इंदौर
कुछ ही महीनों पहले रायपुर नगर निगम के पार्षदगण इंदौर अध्ययन दौरे पर गए थे। ऐसे में रायपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) के कुछ पदाधिकारीगण भला क्यों पीछे रहते। हाल ही में हुई आरडीए संचालक मंडल की बैठक में इन पदाधिकारियों ने फरमाइश रख दी कि वे इंदौर या किसी अन्य स्थान के अध्ययन दौरे पर जाना चाहते हैं, ताकि वहां कोई अच्छी बात नज़र आए तो उसे रायपुर में लागू किया जा सके। इंदौर से महापौर एवं पार्षदगण जो भी समझ या सीखकर आए उसे लौटकर यहां धरातल पर कितना उतार पाए यह तो नहीं मालूम लेकिन आरडीए के पदाधिकारीगण ज़रूर अध्ययन दौरे के क्या फायदे हैं यह जानने अनुभवी अफसरों से ज्ञान ले रहे हैं।
फ़िल्म फेस्टिवल में
औकात का पाठ
पढ़ा गए चेतन भगत
पंडित दीनदयाल ऑटोरियम में हाल ही में हुए दो दिवसीय रायपुर आर्ट, लिट्रेचर एंड फ़िल्म फेस्टिवल से राजधानी का माहौल मानो दो-तीन दिन के लिए फ़िल्ममय हो गया। प्रख्यात लेखक चेतन भगत एवं मशहूर फ़िल्म डायरेक्टर अनुराग बसु फेस्टिवल के आकर्षण का केन्द्र थे। चेतन भगत फेस्टिवल के ख़ास सत्र में स्कूल-कॉलेज़ के स्टूडेंट को औकात का पाठ पढ़ाकर गए। उनका कहना था- “जीवन में जो नहीं मिला उसके लिए मां-बाप को कोसना छोड़ खुद कुछ कर गुजरने की औकात पैदा करें। मोबाइल में समय बिताकर खुद को गर्त में न ले जाएं।“ आयोजन में हिन्दी के साथ छत्तीसगढ़ी सिनेमा पर भी बात हुई। इसमें कोई दो मत नहीं कि छत्तीसगढ़ी सिनेमा अपनी अलग पहचान बना चुका है, लेकिन अक्टूबर महीना बीतने को है। 2022 में जनवरी से अब तक की स्थिति में एक भी छत्तीसगढ़ी मूवी सफलता का स्वाद नहीं चख पाई। जबकि इस साल अब तक जाने-माने फ़िल्म डायरेक्टर सतीश जैन की ‘चल हट कोनो देख लिही’ और उत्तम तिवारी की दो फ़िल्में ‘लव लेटर’ तथा ‘मिस्टर मजनू’ आ चुकी हैं। पूर्व में बड़ी सफलता हासिल कर चुके इन दोनों डायरेक्टरों की फ़िल्मों का बॉक्स ऑफिस पर नहीं टिक पाना अपने पीछे कई सवाल खड़े कर गया है।