‘माटी पुत्र’ में हीरो का मामा बना, किरदार नेक इंसान का- क्रांति दीक्षित

मिसाल न्यूज़

12 जनवरी को पूरे दमखम के साथ रिलीज होने जा रही छत्तीसगढ़ी फ़िल्म ‘माटी पुत्र’ में क्रांति दीक्षित हीरो शिवा साहू के मामा की भूमिका में नज़र आएंगे। क्रांति कहते हैं- “ज़्यादातर फ़िल्मों में मैं बुरे इंसान के रोल में दिखता रहा हूं। ‘माटी पुत्र’ में क्रांति नेक इंसान नज़र आएगा।“

‘मिसाल न्यूज़’ से बातचीत के दौरान क्रांति दीक्षित ने कहा कि “माटी पुत्र के हीरो शिवा साहू एवं डायरेक्टर संतोष देशमुख दोनों ही लोक कला मंच से जुड़े हुए हैं। दोनों ने अपने अनुभवों के खजाने को इस फिल्म में उतार दिया है। फिर शिवा एवं संतोष दोनों की यह डेब्यू फिल्म है। इसलिए इस प्रोजेक्ट को लेकर दोनों भारी उत्साहित हैं। ‘माटी पुत्र’ की पृष्ठभूमि पूरी तरह छत्तीसगढ़ पर केन्द्रित है। हमारे यहां मामा-भांचा की परंपरा है। भांचा को राम की तरह माना जाता है। मामा और भांचे के बीच का गहरा रिश्ता ‘माटी पुत्र’ में देखने को मिलेगा। मामा मैं बना हूं और भांचा हीरो शिवा साहू। (हंसते हुए) शिवा के हीरोइन से ज़्यादा सीन तो मेरे साथ हैं। ‘माटी पुत्र’ में आप जवानी से लेकर बूढ़ापे तक के रोल में क्रांति दीक्षित को पाएंगे। यूं कहूं जमाने बाद आप किसी फिल्म में मुझे पॉजिटिव रोल करते देखेंगे। ज़्यादातर फ़िल्मों में मैं विलेन ही बनते रहा हूं। काफ़ी समय बाद छत्तीसगढ़ से जुड़े ज्वलंत मुद्दों के लेकर ऐसी फ़िल्म बनी है। इसकी कहानी अकाल से शुरु होती है। कहानी में उस समय नया मोड़ आता है जब जमीन को लेकर किसान छला जाता है। छत्तीसगढ़ी सिनेमा में अब तक ज़्यादा जोर प्रेम कहानियों पर दिया जाता रहा था। ‘माटी पुत्र’ में प्रेम कहानी तो है पर कुछ ऐसे मुद्दों को पुरजोर ढंग से उठाया गया है, जिनका संबंध गांवों से है। ‘माटी पुत्र’ के गाने पारंपरिक हैं, जो कि दिल को छू जाने वाले हैं। पिछली कई छत्तीसगढ़ी फिल्मों में ऐसा भी देखने में आते रहा कि सब्जेक्ट तो काफी अच्छे ढंग से उठाया गया लेकिन टेक्नीकल पक्ष कमजोर रहा। ‘माटी पुत्र’ में सब्जेक्ट के साथ टेक्नीकल पक्ष भी तगड़ा है। फ़िल्म निर्माण करने वालों ने कहीं कोई समझौता नहीं किया। कमाल की सिनेमेटोग्राफी हुई है। पहली बार इस फ़िल्म में एकदम अलग हटकर एक्शन दृश्य देखने मिलेंगे। इसके पीछे साउथ से आई टीम का कमाल है। गानों के फ़िल्मांकन में भी कहीं कोई कमी नहीं की गई है। सारे गाने सिचुएशन के हिसाब से रखे गए हैं। जाने-माने फिल्म डायरेक्टर सतीश जैन जी को हमने इस फिल्म का कुछ हिस्सा दिखाया था। उन्होंने फिल्म की दिल खोलकर तारीफ करते हुए हम सब का उत्साह बढ़ाया।“

क्रांति आगे कहते हैं- “निसंदेह ‘माटी पुत्र’ काफी बड़े बजट की फिल्म है। छत्तीसगढ़ में बड़े बजट की हर अच्छी फ़िल्म के लिए ज़्यादा से ज़्यादा कस्बाई एवं ग्रामीण क्षेत्रों में सिंगल स्क्रीन का होना ज़रूरी है जो कि यहां नहीं है। लेकिन छत्तीसगढ़ी सिनेमा से जुड़े हम लोग न सिर्फ आशावादी हैं बल्कि करिश्माई भी हैं। कम सेंटर होने के बावजूद हमारे यहां की ‘ले सुरू होगे मया के कहानी’ एवं ‘गुईयां’ जैसी फ़िल्मों पर दर्शक भारी प्यार लूटाते हैं, और ये फिल्में अच्छा बिजनेस कर जाती हैं।“

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *