■ अनिरुद्ध दुबे
नगर निगम की सामान्य सभा में इस बार निगम नेता प्रतिपक्ष श्रीमती मीनल चौबे के तेवर काफ़ी आक्रामक थे। उन्होंने सदन में आरोपों की झ़ड़ी नहीं लगाई, बल्कि बाढ़ ला दी। उन्हें देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो ‘प्रगट और अदृश्य’ दोनों ही शक्तियों का समर्थन हो। प्रश्नकाल में उन्होंने राजधानी रायपुर के पॉश एरिया शताब्दी नगर में बने एक तथाकथित सामुदायिक भवन के मुद्दे पर जमकर फायर किया। श्रीमती चौबे ने कांग्रेस सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री रहे शिव कुमार डहरिया की पत्नी श्रीमती शकुंतला डहरिया का नाम उछाला। झांसी की रानी की तरह तेवर अपनाईं श्रीमती मीनल चौबे का कहना था कि “अटल आवास के नाम पर जो भूमि थी, वहां पर पानी की तरह पैसा बहाकर सामुदायिक भवन का झूठा आवरण गढ़ते हुए एक आलीशान इमारत खड़ी कर दी गई और उस पर श्रीमती डहरिया की संस्था ‘राजश्री सद्भावना समिति’ ने कब्जा कर लिया। सामुदायिक भवन जैसा नाम तो मानो मज़ाक बनकर रह गया था, इसलिए कि यह भवन आम जनता के कभी काम नहीं आया।“ श्रीमती मीनल चौबे ने सवाल उठाया कि “इस सामुदायिक भवन में मॉड्यूलर किचन, डाइनिंग टेबल, 75 इंची टीवी लगाने समेत अन्य साज सज्जा में 1 करोड़ रुपये से ऊपर नगर निगम व स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने मिलकर कैसे खर्च कर दिए?” आकर्षक चित्रकारी वाले इस भवन की बाउंड्रीबाल इस तरह ऊंची बनवा दी गई कि लोगों को यह पता न लगने पाए कि निर्माण सरकारी ज़मीन पर हुआ है। जब इतने बड़े स्तर का निर्माण कार्य होना होता है तो उसके लिए विषय को नगर निगम की सामान्य सभा से पारित कराने की व्यवस्था है, लेकिन मेयर इन कौंसिल की बैठक में ही इसे हरी झंडी दिखाकर तथाकथित ज़िम्मेदार लोगों ने अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। सामान्य सभा में यह मामला आते ही प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया ने स्थल पर जाकर सीधे रिपोर्टिंग करते हुए निगम की ज़मीन पर बने उस आलीशान भवन की सारी परतें उधेड़कर रख दी। एक बेहतरीन ग़ज़ल की लाइन है “बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी…!“ अवैध कब्ज़े वाला यह मामला उप मुख्यमंत्री अरुण साव जिनके पास नगरीय प्रशासन विभाग है, तक पहुंच चुका है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष एवं विधायक तथा कभी जगदलपुर नगर निगम के महापौर रहे किरण देव ने गुस्सा जताते हुए कहा कि “कमज़ोर वर्ग के लोगों की ज़मीन हड़पना निंदनीय कृत्य है। इस मामले में बड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।“ यही नहीं मीडिया की टीम ने शताब्दी नगर में ही हुए एक अन्य कब्ज़े और उसके बाद नया रायपुर से लगे आरंग जाकर भी वहां लाखों की लागत से हुए एक निर्माण का खुलासा किया है, जिसे कि सोशल मीडिया में ख़ूब दौड़ाया जा रहा है।
सुपेबेड़ा और ‘मुन्ना
भाई एमबीबीएस’
विधानसभा का बजट सत्र समापन की ओर है। शुक्रवार को विधानसभा में बिन्द्रानवागढ़ के कांग्रेस विधायक जनक ध्रुव ने उदाहरण तो एक फ़िल्म का दिया, लेकिन उसके पीछे काफ़ी गंभीर बात छिपी थी। जनक ध्रुव ने कहा कि “सुपेबेड़ा का सत्य किसी से छिपा नहीं है। यहां किडनी से संबंधित बीमारी से अब तक 135 लोगों की मौत हो चुकी है। जब यहां वीआईपी लोगों का दौरा हुआ था तो फ़िल्म ‘मुन्ना भाई एम.बी.बी.एस.’ की तर्ज पर दिखावे के लिए एक सरकारी भवन में अस्पताल खोल दिया गया था। यहां तो अब तक डॉक्टरों की पोस्टिंग ही नहीं हुई है, जो कि बेहद ज़रूरी है।“
चिकित्सा के क्षेत्र में
कमीशन का खेल
लोकतंत्र के मंदिर विधानसभा में कभी-कभी काफ़ी अंदर की बातें सामने आ जाती हैं। विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान भाटापारा के कांग्रेस विधायक इंद्र साव ने कहा कि “भाटापारा में आलम यह है कि यहां के सरकारी अस्पताल में पदस्थ कुछ डॉक्टर अपना निजी अस्पताल चला रहे हैं। ज़रूरत नहीं भी हो तो मरीज़ों को रायपुर या बिलासपुर के अस्पतालों में रिफर कर देते हैं। कमीशन का बड़ा खेल चल रहा है।“
पुरंदर की बातों ने लाई
कांग्रेसी पार्षदों के
चेहरे पर मुस्कान
बुधवार को हुई रायपुर नगर निगम की सामान्य सभा में रायपुर उत्तर के भाजपा विधायक पुरंदर मिश्रा पहली बार उपस्थिति दिए। उल्लेखनीय है कि विधानसभा का इन दिनों बजट सत्र चल रहा है। विधानसभा से समय निकालकर मिश्रा निगम की सामान्य सभा में शामिल होने पहुंचे थे। सभापति प्रमोद दुबे ने मिश्रा से अनुरोध किया कि पार्षदों के बीच आप अपना संबोधन दें। पुरंदर मिश्रा ने यह कहते हुए अपनी बात की शुरुआत की कि “आप लोगों ने डायरेक्ट-इन डायरेक्ट जिस तरीके से मुझे विधायक बनाया, इसके लिए आभार।“ जब उन्होंने यह कहा, कुछ कांग्रेस पार्षद एक-दूसरे को देखकर मुस्करा दिए। वह मुस्कान रहस्यमयी थी। अपने संबोधन में मिश्रा ने कहा कि “मैं तो बसना से टिकट चाह रहा था। मेरी कर्म भूमि रायपुर के अलावा बसना रही है। भगवान जगन्नाथ बोले मैं रायपुर में विराजमान हूं और तू बसना जाने की बात कर रहा है।“ मिश्रा ने यह भी कहा कि “मैं मांगने में एक्सपर्ट हूं। फिर चाहे सीएम से ही क्यों न मांगना पड़े।“
दीप्ति भाभी राजनीति
पर भी कुछ टिप्स दें
रायपुर नगर निगम के पूर्व महापौर एवं वर्तमान सभापति प्रमोद दुबे की धर्म पत्नी श्रीमती दीप्ति दुबे का नया स्वरूप सामने आया है, सायकोलॉजिस्ट काउंसलर के रूप में। श्रीमती दुबे सोशल मीडिया पर जनहित में सलाह देती नज़र आ रही हैं। अब तक वे सोशल मीडिया में तीन बड़ी सलाह दे चुकी हैं। पहली बोर्ड परीक्षा में शामिल हो रहे छात्रों के लिए, दूसरी डाउट होने पर खराब हो रही रिलेशनशिप तथा तीसरी शक पर। श्रीमती दुबे सहज और सरल हैं। उन्हें बड़े सम्मान के साथ देखा जाता है। प्रमोद दुबे के शुभचिंतकों का मानना है कि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए भाभी जी की ओर से कुछ टिप्स राजनीति पर भी सामने आना चाहिए। इसका फ़ायदा प्रमोद जी के साथ उनके ईष्ट मित्रों को मिल सकेगा।
सुर्खियों में रहा रायपुर
प्रेस क्लब का चुनाव
पिछले दिनों रायपुर प्रेस क्लब का चुनाव भारी सुर्खियों में रहा। वैसे तो प्रेस क्लब के निर्वाचित पदाधिकारियों का चुनाव एक साल के लिए होता है, लेकिन परिस्थितियां ऐसी बनी रहीं कि पिछले अध्यक्ष साढ़े पांच साल तक पद पर टिके रहे। चुनाव कराने पत्रकार प्रफुल्ल ठाकुर एवं उनके कुछ साथियों को न जाने कितनी ही बार कोर्ट कचहरी की दौड़ लगानी पड़ी। प्रशासन की निगरानी में इस बार का चुनाव हुआ। संघर्षशील प्रफुल्ल ठाकुर अध्यक्ष पद के लिए चुनावी मैदान में उतरे और भारी मतों से विजयी हुए। कभी रायपुर प्रेस क्लब की अलग ही गरिमा हुआ करती थी, जो कि पिछले कुछ सालों में तार-तार हो गई थी। उस गरिमा को वापस लौटाने प्रेस क्लब अध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर, महासचिव वैभव शिव पांडे, उपाध्यक्ष संदीप शुक्ला, कोषाध्यक्ष रमन हलवाई एवं संयुक्त सचिव व्दय तृप्ति सोनी व अरविंद सोनवानी की तरफ से पहल शुरु हो गई है। इसी कड़ी में प्रथम चरण में प्रेस क्लब में एक गरिमामय आयोजन कर पत्रकारिता जगत में बड़े ही सम्मान के साथ याद किए जाने वाले पत्रकार स्व. मधुकर खेर का स्मरण किया गया। इस बार के प्रेस क्लब चुनाव को लेकर बड़े नेताओं से लेकर आला अफ़सरों तक के मन में गहरी जिज्ञासा थी। चुनाव परिणाम आते ही मुख्यमंत्री विष्णु देव साय तक सूचना पहुंची कि रायपुर प्रेस क्लब में नई टीम आ चुकी है। एक विवाह समारोह में पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आसपास मौजूद नेताओं व पत्रकारों से पूछा कि प्रेस क्लब चुनाव का नतीजा क्या रहा? परिणाम सामने आने के बाद बहुत से अफ़सर अपने क़रीबी लोगों से प्रेस क्लब से जुड़े पुराने खट्टे-मीठे अनुभव शेयर करते दिखे। न सिर्फ़ रायपुर बल्कि कांकेर एवं अन्य जिलों की पत्रकार बिरादरी यह कहती नज़र आ रही है कि जो कुछ भी हुआ अच्छा हुआ।
हिड़मा के गांव
में सुरक्षा कैंप
सूरक्षा बलों ने बस्तर में नक्सलियों के खूंख़ार लीडर हिड़मा के गांव पूवर्ती में सूरक्षा कैंप खोल दिया है। नक्सलियों की मिलिट्री बटालियन के उच्च पद पर ज़्यादातर दक्षिणभाषी राज्य के लीडर पहुंचते रहे थे। माना यही जाता है कि उच्च पोस्ट पर बस्तर से पहुंचने वाला हिड़मा इकलौता नक्सली लीडर है। सुकमा के एसपी किरण चौहान ने हिड़मा की मां से मुलाक़ात की। पूवर्ती में स्वास्थ्य शिविर भी लगाया गया, जहां हिड़मा की मां के साथ अन्य ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। वहां तिरंगा झंडा भी फहराया गया। बताया यही जा रहा है कि आज़ादी के बाद यह पहला अवसर है जब पूवर्ती में झंडा लहराया। कितने ही लोग पूवर्ती को नक्सलियों की अघोषित राजधानी कहते रहे थे। पूवर्ती में नक्सलियों का एक वॉर रूम भी था, जिसे अब सूरक्षा बलों ने अपना वॉर रूम बना लिया है। 2019 के लोकसभा चुनाव के समय में तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह रायपुर आए थे तो मीडिया की तरफ से हुए सवाल का ज़वाब देते हुए उन्होंने कहा था कि “केन्द्र में भाजपा की सरकार बनी तो छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद पूरी तरह ख़त्म हो जाएगा।“ वो 5 साल गुज़र गए। फिर 2023 का विधानसभा चुनाव आया। इस बार के विधानसभा चुनाव के प्रचार के समय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि “डबल इंजन वाली सरकार बनाइये। नक्सलावाद से मुक्ति दिलाएंगे।“ छत्तीसगढ़ सरकार के गृह मंत्री विजय शर्मा कह चुके हैं कि “नक्सली नेता मोबाइल के माध्यम से यदि बातचीत करना चाहते हैं तो इसके लिए तैयार हैं।“ शर्मां का यह वक्तव्य सामने आने के बाद नक्सली प्रवक्ता विकल्प का भी एक पत्र जारी हुआ। फिर विधानसभा में विजय शर्मा यह भी कह चुके हैं कि “बस्तर में अब लाल सलाम नहीं जय श्रीराम का नारा गूंजेगा।“ बस्तर में दर्जनों इलाके ऐसे हैं जो पहुंच विहीन हैं। 3 महीनों में 13 दुर्गम इलाकों में कैंप खोले जा चुके हैं। कुछ कैंप तो ऐसे हैं जहां सूरक्षा बलों का हैलीकॉप्टर से ही पहुंच पाना संभव है। बस्तर में एक पीढ़ी पूरी ऐसी है जो नक्सलवाद को देखते हुए बड़ी हुई है। 1990-91 में नक्सलवाद बस्तर में पूरी तरह पैर पसार चुका था। फिलहाल सरकार ने नक्सलवाद का समाधान निकालने तेजी से कदम बढ़ा दिए हैं।