रायपुर। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की मनोविज्ञान अध्ययनशाला की ओर से विश्वविद्यालय के समस्त विद्यार्थियों के लिए काउंसलिंग क्लीनिक का संचालन किया जा रहा है। नई शिक्षा नीति के तहत ही इस सेंट्रलाइज्ड काउंसलिंग क्लीनिक का गठन एवं संचालन मनोविज्ञान विभाग की ओर से किया जा रहा है। इस क्लीनिक की ओर से हाल ही में विश्वविद्यालय के सभी 28 अध्ययनशाला के समस्त विद्यार्थियों के लिए मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। विभागाध्यक्ष, प्रो. प्रभावती शुक्ला ने बताया कि विश्वविद्यलाय के समस्त विभागों के लिए जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन 1 मार्च से लेकर 16 मार्च तक किया गया। विभागाध्यक्ष के कुशल मार्गदर्शन एवं डॉ. रोली तिवारी के संचालन में व्याख्यान सत्रों के आयोजन किए गए । इन व्याख्यानों के आयोजन के पीछे का उद्देश्य विश्वविद्यालय के छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य की महती भूमिका के प्रति संवेदनशील बनाना था। उन्होंने बताया कि इन व्याख्यानों के दौरान ही विद्यार्थियों की ओवर थिंकिंग, लो सेल्फ कॉन्फिडेंस, दूसरों से तुलना के कारण हीन भावना का उत्पन्न होना, सुबह नींद न खुलना, समय प्रबंधन जैसे कई प्रश्नों के उत्तर ऑन द स्पॉट दिए गए। प्रो. शुक्ला ने बताया कि विभाग की ओर से इन व्याख्यानों को सहायक प्राध्यापक डॉ. रोली तिवारी, ममता साहू (शोधार्थी), टिकेश्वर साहू, डॉ. जीता बेहरा, मुरलीधर यादव तथा अनुष्का गुप्ता (छात्र, एम. ए. अंतिम, क्लिनिकल साइकोलॉजी) द्वारा दिया गया। डॉ. रोली और उनकी टीम ने बताया कि इन व्याख्यान सत्रों के बीच में ही कई विधार्थी स्वयं को नियंत्रित नहीं कर पाते थे और रोने लगते थे। इसके बाद उनकी इन समस्याओं के लिए तुरंत कुछ मनोवैज्ञानिक टेक्नीक्स का उपयोग कर उन्हें शांत किया जाता था। जो विद्यार्थी समूह में अपने भाव साझा नहीं करना चाहते थे या किसी कारणवश नहीं कर पा रहे थे। उन्होंने इस टीम के एम. ए. के वॉलिंटियर समूह को अपने नाम और कॉन्टैक्ट नंबर काउंसलिंग के लिए नोट करवाए थे। इसके बाद क्लीनिक में बुलाकर उनकी काउंसलिंग की जा रही है। इस प्रकार के आयोजन के आधार पर भविष्य में इन विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परीक्षण भी किए जाने की योजना है जिनके आधार पर छत्तीसगढ़ राज्य के सबसे पुराने विश्वविद्यालय में अध्यनरत विद्यार्थियों का मानसिक स्वास्थ्य कैसा है तथा उसमें किस प्रकार के सुधार की आवश्यकता है जैसे विषयों पर शोध भी किया जाना सम्मिलित है। इस आधार पर एक स्वस्थ समाज की नींव स्थापित होने में महत्वपूर्ण योगदान दिया जा सकता है।