मिसाल न्यूज़
रायपुर। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता केदारनाथ गुप्ता ने कहा है कि राजनांदगाँव के कांग्रेस कार्यकर्ता सम्मेलन के मंच पर कांग्रेस के दिग्गज कार्यकर्ता और जिला पंचायत सदस्य सुरेंद्र वैष्णव (दाऊ) ने जो कुछ भी कहा उसके बाद से पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल बुरी तरह हिल गए हैं। उस घटनाक्रम के बाद से राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी बदले जाने की मांग उठने लगी है। अब सबको यह पता चल गया है कि बघेल सिर्फ अपने लिए राजनीति करते हैं, छत्तीसगढ़ महतारी और कांग्रेस पार्टी के लिए नहीं।
एकात्म परिसर में आज मीडिया से बातचीत के दौरान केदार गुप्ता ने कहा कि दरअसल भूपेश बघेल देख रहे हैं कि राजनांदगांव लोकसभा सीट पर उनकी हार सुनिश्चित है, इसलिए अपनी हार के बहाने अभी से तलाशने में लग गए हैं। देश के संविधान और नियमों में त्रुटियाँ बता रहे हैं। जब ईवीएम से 2018 में छत्तीसगढ़ में उनकी सरकार बनी तब ईवीएम ठीक थी और अब ईवीएम उन्हें खराब नजर आने लगी है। हिमाचल प्रदेश में यही ईवीएम उन्हें अच्छा लगी, राजस्थान में जब पिछली बार कांग्रेस की सरकार बनी थी, तब ईवीएम उनके लिए अच्छी थी। कर्नाटक में सरकार बनी तब ईवीएम सही थी। 2004 से लेकर 2014 तक केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार बनी तब ईवीएम अच्छी थी। गुप्ता ने कहा कि बघेल ‘स्व’ के भाव से अपने कार्यकर्ताओं से कह रहे हैं कि 380 लोग राजनांदगाँव में चुनाव में खड़े हों तो बैलैट पेपर से चुनाव होगा। बघेल को लगता है कि वह अभी भी सत्ता में हैं और छड़ी उनके हाथों में है वह जैसा चाहें वैसे काम चला लेंगे लेकिन वह भूल रहे हैं कि लोकतंत्र में छड़ी जनता के हाथों में होती है। एक हाथ से तो जनता कांग्रेस को सत्ता से हटा चुकी है और अब कांग्रेस दूसरी हार के लिए तैयार हो जाए।
गुप्ता ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस जब 2018 में सत्ता में आई, तबसे अगर किसी कांग्रेस नेता का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में रहा है तो वह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हैं, जो ‘स्व’ अर्थात ‘मैं’ और ‘मेरा’ के भाव से पीड़ित हैं, जबकि राजनीतिक क्षेत्र में सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय का सिद्धांत लागू होता है। जब वे सत्ता में रहे तो छत्तीसगढ़ महतारी की धन संपदा को लूट होती रही। अधिकारियों को दबाव में लाकर अपराध को फलने-फूलने दिया। चाहे वह महादेव सट्टा एप हो, कोल स्कैम हो, शराब घोटाला हो। अनेक नेता और अनेक अधिकारी आज जेल में हैं और कुछ बेल पर है। जब वह सत्ता में थे तब कांग्रेस पार्टी का इतना नुकसान किया कि उनके ‘मैं’ और ‘मेरा’ के भाव ने कांग्रेस की सत्ता छीन ली। आज विपक्ष में है तो भी वही भाव अभी भी जिंदा रखे हुए हैं। जब यहां पर लोकसभा चुनाव की चर्चा चल रही थी तब बघेल ने कहा कि मैं चुनाव नहीं लडूंगा, बाकी लोग लड़ेंगे। उन्हें यह स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था कि छत्तीसगढ़ की जनता उनके ‘मैं’ और ‘मेरा’ के भाव को समझ चुकी है। जब कांग्रेस पार्टी ने जबर्दस्ती की तो उन्हें मालूम था कि रायपुर से तो बुरी तरह हारेंगे, दुर्ग की तरफ उनकी आँखें गई तो वहाँ पर हमारे मजबूत प्रत्याशी को उन्होंने देखा। फिर पार्टी ने जबर्दस्ती की तब राजनांदगांव भाग खड़े हुए और अब वहां उनको अपनी हार स्पष्ट दिखाई दे रही है।