यादगार रहा ‘गुनरस पिया संगीत समारोह–2024’… वरिष्ठ गुरु माणिक खानखोजे का सम्मान…

मिसाल न्यूज़

संगीताचार्य पण्डित गुणवंत माधवलाल व्यास की जयंती पर ‘गुनरस पिया संगीत समारोह –2024’ का आयोजन वृन्दावन सभागृह रायपुर में किया गया। शास्त्रीय संगीत के प्रति विगत 12 वर्षों से लगातार कार्य कर रही ‘गुनरस पिया फाऊंडेशन’ ने इस वर्ष का संगीत गुरु सम्मान (गुनरस पिया संगीत सम्मान) वरिष्ठ संगीत गुरु श्रीमती माणिक खानखोजे को प्रदान किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुशांत तिवारी थे एवं अध्यक्षता श्रीमती अजंता चौधरी ने की। विशेष अतिथि महेन्द्र तिवारी थे।

अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का शुभारंभ किया गया। गुरुजी द्वारा रचित एवं स्वरबद्ध सरस्वती स्तवन – ज्ञान दे विज्ञान दे हे हंस वाहिनी सरस्वती व दीपक व्यास द्वारा स्वरबद्ध गुरुवंदना – वाग्देवी के वरद पुत्र, की प्रस्तुति समवेत स्वर में कावेरी व्यास,श्रद्धा बेदरकर, रचना चांडक, समीक्षा गोल्हानी, धनश्री पेंडसे, वैशाली जोशी, मिलिंद शेष, डॉ प्रदीप तिवारी, गिरीश चिंचोलकर, निखिल मोकादम ने प्रस्तुत की। तबले पर सुशील गोल्हानी एवं हारमोनियम पर दीपक व्यास ने संगत दी। गुनरस पिया जी द्वारा रचित बंदिशों को आमंत्रित कलाकारों में सर्वप्रथम नागपुर में आए दो बाल कलाकारों मास्टर ईशान बेलगे ने राग–बिहाग, ताल त्रिताल में–जय शारदे सरस्वती माता, राग –केदार की एकताल में निबद्ध बंदिश–काहे करत मोसे रार, के बाद तीन ताल का एक तराना प्रस्तुत किया। कु. कात्यायनी दीवान ने राग–वृंदावनी सारंग, तीन ताल पर आधरित बंदिश –जमुना मैं कैसे जाऊं की सुंदर प्रस्तुति से श्रोताओं का मन मोह लिया। बच्चों की गुरु एवं गुनरस पिया जी की सुयोग्य शिष्या श्रीमती नीरजा वाघ ने राग –बागेश्री की झपताल में रचित बंदिश –मुरली धुन की सुंदर प्रस्तुति दी। आकाशवाणी के ए ग्रेड कलाकार हिंडोल पेंडसे ने –राग मधुकौंस में गुनरस पिया जी की बंदिश –लागी प्रीत तुम सो मोरी, ताल –एकताल पर प्रस्तुत की।  इसके बाद हिंदी नाट्य गीत की प्रस्तुति दी। हिंडोल जी के गायन में राग का सुंदर और गामक की तान से तैयार गायकी पर खूब तालियां पड़ीं।
आयोजन का मुख्य आकर्षण लुप्तप्राय वाद्य यंत्र “दिलरुबा” था। आकाशवाणी के नियमित गायक, दिलरुबा वादक युवा पीढ़ी के कलाकार ऋषिकेश करमरकर ने अपने दिलरुबा वादन की शुरुआत –राग यमन मसिदखानी गत ताल तीन ताल में की। इसके बाद द्रुत रचना और झाला प्रस्तुत किया।
ऋषिकेश जी दिलरुबा जैसे तंतु वाद्य को गायकी अंग से बजाते हैं।सभी आमंत्रित कलाकारों के साथ प्रदेश के प्रसिद्ध गुरु एवं तालमणि सम्मान से अलंकृत अशोक कुर्म ने खूब सधी हुई संगत दी। कार्यक्रम का संचालन डॉ जया सिंग, शुभ्रा ठाकुर, कु कावेरी व्यास एवं कु श्रद्धा बेदरकर ने किया। आभार प्रदर्शन दीपक व्यास ने किया।

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