मिसाल न्यूज़
एक और युवा छत्तीसगढ़ी सिनेमा में हीरो के रूप में पारी शुरु करने जा रहा है। नाम- पुमंग राज। पुमंग की छत्तीसगढ़ी फ़िल्म ‘बेटा’ 22 नवंबर को छत्तीसगढ़ की सिंगल स्क्रीन एवं मल्टीप्लेक्स में प्रदर्शित होने जा रही है। पुमंग के अपोज़िट नज़र आएंगी ‘गुंईया’ फ़ेम हेमा शुक्ला। पुमंग कहते हैं- “बेटा में आपको कई ठेठ छत्तीसगढ़ी संवाद सुनने को मिलेंगे जो दिल को छू जाएंगे। ‘बेटा’ में छत्तीसगढ़ की माटी की महक है।”

पुमंग राज, सुनने वालों के लिए यह एकदम नया नाम है। मानो काफ़ी मेहनत कर डिक्शनरी से खोजकर निकाला गया हो। पुमंग राज इस नाम को खोजने का श्रेय अपने पिता चंद्रशेखर चकोर एवं माता को देते हैं। चकोर खुद छत्तीसगढ़ी फ़िल्मों के प्रोड्यूसर, डायरेक्टर एवं एक्टर हैं। ‘बेटा’ में भी चकोर पुमंग राज के पिता की ही भूमिका में दिखेंगे। फ़िल्मों में आने की इच्छा कैसे जगी, इस सवाल पर पुमंग कहते हैं- “पापा व्दारा निर्देशित एवं अभिनित फ़िल्म ‘चक्कर गुरुजी के’ में मैं चाइल्ड आर्टिस्ट की भूमिका में नज़र आया था। पापा लंबे समय से छत्तीसगढ़ी सिनेमा से जुड़े रहे हैं, अतः घर में फ़ुरसत के क्षणों में उनसे फ़िल्मों को लेकर चर्चा होती रहती थी। छत्तीसगढ़ी लोक कला, खेलकूद एवं सिनेमा के प्रति पापा का जो त्याग और समर्पण देखा, लगा कि मुझे भी सिनेमा की तरफ बढ़ना चाहिए। वैसे आपको बता दूं सीए की तैयारी कर रहा हूं। सीए की कोचिंग भी ज्वाइन की हुई है। सीए बनने के साथ फ़िल्म करते रहने का सपना है।“
घर में जब पूरी तरह लोक कला एवं सिनेमा का माहौल है तो सीए का लक्ष्य कैसे तय हुआ, इस सवाल पर पुमंग राज कहते हैं- “बड़े पापा के बेटे श्री भोजराज वर्मा सीए हैं। उन्हीं से प्रेरित होकर सीए की तरफ बढ़ा। बचपन से ही मेरा फ़ोकस पढ़ाई की तरफ रहा। किसी भी क्लास में फर्स्ट डिवीज़न से नीचे नहीं आया। किसी समय में क्रिकेट भी बहुत खेला, जैसे-जैसे आगे क्लास जाते गया खेलकूद कम होते चला गया।“
चंद्रशेखर चकोर को ‘बेटा’ के लिए और भी हीरो मिल सकते थे, तूम्हें क्यों चूना, यह प्रश्न करने पर पुमंग कहते हैं- “पापा ने जो कहानी लिखी उसमें उन्हें एक ऐसे लड़के की ज़रूरत थी जो जवानी में कदम रख रहा हो। ‘बेटा’ की जब स्क्रिप्ट तैयार हुई मेरी उम्र 17 साल थी। पापा को लगा कि जैसे लड़के की तलाश है वह तो घर में ही है। एक दिन उन्होंने मुझसे कहा कि ‘बेटा’ के लिए खुद को तैयार करना शुरु कर दो।“
शूट के समय जब पहली बार कैमरा ऑन हुआ कैसा महसूस हो रहा था, पूछने पर पुमंग कहते हैं- “बहुत नर्वस था। फिर भीतर से आवाज़ निकली, करो… जो भी होगा देखा जाएगा। ज़्यादा सोच विचार करना ठीक नहीं। फिर पूरे शूट के दौरान अपने रोल को काफ़ी इंज्वाय किया।“

