ठेकेदारों की बैठक में फूटा गुस्सा… कहा- रिश्वत न दें तो अधिकारी अटका देते हैं फाइल, सरकार हो रही बदनाम

मिसाल न्यूज़

रायपुर। छत्तीसगढ़ कॉन्ट्रेक्टर एसोसिएशन की प्रदेश स्तरीय बैठक आज राजधानी रायपुर के एक होटल में हुई। बैठक में ठेकेदारों ने अधिकारियों पर मनमानी का आरोप लगाते हुए गहरा आक्रोश जताया। ठेकेदारों ने कहा कि यदि ठेकेदार रिश्वत न दें तो हमारी भुगतान फाइल अटकी रह जाती है। अधिकारी राज स्थापित हो चुका है। हमें ब्लैकमेल किया जाता है। अधिकारियों के रवैये के कारण सरकार बदनाम हो रही है।

बैठक में पहुंचे प्रदेश भर के ठेकेदारों ने कहा कि हमें महीनों से भुगतान नहीं किया जा रहा है। अधिकारियों द्वारा तरह-तरह से परेशान किया जाता है। कार्य हो जाने के बावजूद भुगतान के लिए महीनों तक घुमाया जाता है। रिश्वत लिए बिना अधिकारी बिल पास नहीं करते। स्वयं का पैसा लगाकर ठेकेदार इस उम्मीद से कार्य करते हैं कि कम से कम कार्य होने के बाद भुगतान हो जाएगा। लेकिन, अधिकारी अपनी मनमानी करते हैं। अधिकारी टेंडर में हेराफेरी भी करते हैं। अनेक अधिकारी तो खुलकर रिश्वत की मांग करते हैं।  हकीकत यह है कि आठ महीनों से भुगतान नहीं हुआ है। ठेकेदारों का कहना रहा कि ठेकेदार यदि एकजुट होकर अधिकारियों की मनमानी का विरोध करें तभी समस्या का समाधान हो सकता है। कुछ ठेकेदार अपना काम निकालने के लिए अधिकारियों की चाटुकारिता करते हैं। यह सब बंद हो। जगदलपुर, कांकेर, कवर्धा, बिलासपुर, धमतरी, दुर्ग सहित अनेक जिलों से आए ठेकेदारों का कहना था विकास की बातें केवल कागजों में होती है। ठेकेदार सही काम करना चाहते हैं, लेकिन अधिकारी करने ही नहीं देते। कुछ ठेकेदार अपने फायदे के लिए अधिकारियों की जी हुजूरी करते हैं, इससे अन्य ठेकेदार बदनाम होते हैं। ठेकेदारों का भुगतान नहीं होने के कारण विकास कार्य ठप्प हो रहा है। केवल बस्तर संभाग के ही ठेकेदारों का लगभग 800 करोड़ से ज्यादा का भुगतान बाकी है।

छत्तीसगढ़ कांट्रेक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष वीरेश शुक्ला ने बताया कि प्रदेश भर के ठेकेदार एकजुट हो चुके हैं। मुख्यमंत्री सहित अन्य अधिकारियों से मुलाकात करने का निर्णय लिया गया है। साथ ही लोक निर्माण मंत्री अरुण साव तथा पंचायत एवं ग्रामहीण विकास मंत्री विजय शर्मा से भी मुलाकात करअपनी समस्याओं को बताएंगे। अधिकारियों की मनमानी नहीं चलने देंगे। बैठक में लोक निर्माण विभाग, जल जीवन मिशन, जल संसाधन विभाग, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, मंडी बोर्ड सहित अनेक विभाग के ठेकेदार शामिल रहे।

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