■ अनिरुद्ध दुबे
“नशा पिला के गिराना
तो सब को आता है
मज़ा तो जब है कि
गिरतों को थाम ले साक़ी”
छत्तीसगढ़ विधानसभा में जब कभी चर्चा में शराब का विषय आता है तो माननीय विधायकों में हास परिहास का नशा छा जाता है। इन दिनों चल रहे मानसून सत्र में भाजपा विधायक नारायण चंदेल ने शराब से जुड़े मुद्दे को उठाया। चंदेल का आरोप था कि मेरे क्षेत्र में निर्धारित दाम से ज़्यादा में शराब बेचे जाने की शिकायतें मिल रही हैं। नकली शराब अलग बेची जा रही है। पानी मिलाकर शराब बेचने की भी ख़बर है। चंदेल ने कहा कि होली के समय पीने वालों का एक प्रतिनिधि मंडल शिकायत लेकर मेरे पास आया था। उनका कहना था कि ऐसी शराब बिक रही है कि पिकअप नहीं ले रहा है। जनता कांग्रेस के विधायक धर्मजीत सिंह, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत से ही पूछ बैठे कि अध्यक्ष जी आपको कॉकटेल का अनुभव है क्या? डॉ. महंत ने कहा- “नहीं।“ धर्मजीत सिंह ने कहा कि मुझे कॉकटेल का अनुभव है। संसदीय कार्य मंत्री रविन्द्र चौबे से रहा नहीं गया और वे पूछ बैठे कि प्रश्नकाल के पहले ही प्रश्न में आप लोग शराब में क्यों इतने मस्त हो गए हैं? भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि उतारा सुबह ही लेते हैं। धर्मजीत सिंह ने कहा कि पीने के बाद जब कोई अंग्रेज़ी झाड़ने लगे तो समझ लो कि वो असली शराब है।
डाला की कलाकारी
लगता है इन दिनों पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा विधायक अजय चंद्राकर को ग्लैमर की रंग रंगीली दुनिया से जुड़े शब्द काफ़ी लुभा रहे हैं। इन दिनों उनके श्रीमुख से लगातार कुछ न कुछ अलग हटकर सुनने मिल रहा है। कुछ समय पहले उन्होंने आबकारी मंत्री कवासी लखमा को आइटम गर्ल कह दिया था। जवाब में लखमा ने भी चंद्राकर को ख़ूब भला-बुरा कहा। अब बात करें विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन की। हुआ यूं कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के अनुपूरक बजट पर चर्चा के दौरान विपक्ष की तरफ़ से प्रथम वक्ता के रूप में अजय चंद्राकर बोलने के लिए खड़े थे। अपने भाषण के बीच में उन्होंने एक ज़गह पर कहा कि “जैसे क्रिकेट मैच में चौका-छक्का लगने पर चीयर लीडर डांस करती हैं वही हाल इस समय सरकार के कुछ मंत्रियों का है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कोई बड़ी घोषणा करते हैं तो सरकार के वो दो-तीन मंत्री नाचने लगते हैं।“ चंद्राकर न सिर्फ़ यह लाइन बोले अपितु चीयर लीडर की तरह हाथ हिलाते हुए कमर भी मटका गए। चंद्राकर के इस अंदाज़ को देखते हुए सत्ता पक्ष एवं विपक्ष दोनों तरफ़ के विधायकों के बीच हॅंसी का फौव्वारा फूट पड़ा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी जगह पर खड़े होकर न सिर्फ़ तालियां बजाए बल्कि “वन्स मोर वन्स मोर” भी बोले। यह बात कम लोग जानते हैं कि अजय चंद्राकर में कलाकारी के गुण कोई आज के नहीं बरसों पहले के हैं। जब वे एकदम युवावस्था में थे तो अपने क्षेत्र में नाटक के शिविर करवाए थे। अजय चंद्राकर को क़रीब से जानने वाले बताते हैं ‘डाला’ एक दो नाटकों में अभिनय भी कर चुके हैं। जिस जगह चंद्राकर पले बढ़े हैं वहां उन्हें ‘डाला’ कहकर ही पूकारा जाता है।
स्लीपर’ चप्पल
स्टैंडर्ड का कौन
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संचार विभाग के चेयरमेन सुशील शुक्ला हर साल सावन के महीने में भक्ति भाव में डूबे नज़र आते हैं। इससे पहले छत्तीसगढ़ में जब कांग्रेस की सरकार थी शुक्ला के नाम के आगे प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रवक्ता लिखाता था। तब शुक्ला के ज़्यादातर बयान या तो तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के खिलाफ़ होते थे या तत्कालीन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक के खिलाफ़। कांग्रेस की सरकार आई तो दुग्ध संघ अध्यक्ष के लिए भाई सुशील शुक्ला का नाम चला था। लेकिन देने वाले के मन की थाह को आज तक कौन पढ़ पाया है! यहां तक कि उनके बंगले में लगातार ड्यूटी बजाते रहने वाला भी नहीं। जैसे आर.पी.सिंह को ब्रेवरेज़ कॉर्पोरेशन नहीं मिला, उसी तरह शुक्ला दुग्ध संघ अध्यक्ष पद से दूर रहे। शैलेश नितिन त्रिवेदी की जगह पर संचार विभाग का चेयरमेन बनना ज़रूर शुक्ला की बड़ी उपलब्धि रही। पहले वे डॉ. रमन सिंह पर निशाना साधते थे आजकल मोदी से नीचे बात नहीं करते। यानी उनका अधिकतर बयान प्रधानमंत्री के खिलाफ़ होता है। हाल ही में शुक्ला ने फेसबुक पर काफ़ी गंभीर बात लिख दी कि “कुछ लोग ‘स्लीपर’ चप्पल जैसे होते हैं, साथ देते हैं, पर पीछे से ‘कीचड़’ उछालते रहते हैं।“ कांग्रेस में बरसों से खोदा खादी के काम करते आ रहे कुछ लोग यह जानने की कोशिश में लगे हुए हैं भाई सुशील ने ‘स्लीपर’ चप्पल के समकक्ष किसको ले जाकर रखा है।
‘गिरगिट’ पर भारी
समय का रंग
रामेश्वर वैष्णव छत्तीसगढ़ अंचल के जाने-माने कवि, गीतकार एवं व्यंग्यकार हैं। छत्तीसगढ़ी भाषा में इनकी ज़बरदस्त कमांड है। कुछ छत्तीसगढ़ी फ़िल्मों के गाने भी लिख चुके हैं। हाल ही में व्यंग्यकार वैष्णव जी के साथ कुछ ऐसी ट्रेजडी हुई की उस पर एक अच्छा खासा व्यंग्य लिखा जा सकता है। दूसरों का मज़ा लेने वाले वैष्णव जी का वक़्त ने मज़ा ले लिया। हुआ यूं कि वैष्णव जी का हाल ही में व्यंग्य संकलन ‘गिरगिट के रिश्तेदार’ छपकर आया है। 11 जुलाई को विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत के निवास में उन्हीं के हाथों इसका विमोचन होना था। 11 के हिसाब से निमंत्रण कार्ड छपा। फिर ऐसा कुछ हुआ कि विमोचन की तारीख दो दिन पहले यानी 9 जुलाई निर्धारित हो गई। इस तरह 9 जुलाई का कार्ड छपवाना पड़ा। 8 जुलाई को जापान के पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या हो गई। उनके निधन पर राष्ट्रीय शोक के कारण विमोचन पुनः स्थगित हो गया। इस तरह गिरगिट पर आधारित इस कृति के विमोचन के बार-बार टलने पर वैष्णव जी को खुद को रोक नहीं पाए। अपनी आपबीती को लेकर उन्होंने फेसबुक पर व्यंग्यात्मक पोस्ट ठोक दी। वैष्णव जी ने लिखा कि “मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि मैंने इतनी महान कृति का सृजन कर डाला जिसके विमोचन को रोकने के लिए कहीं पूर्व प्रधानमंत्री पर गोली चल गई, कहीं भूकम्प आ गया, कहीं बादल फट गया तो कहीं बाढ़ आ गई और वो भी तीन तीन बार। मैं अपनी सृजनात्मक क्षमता से स्वयं आतंकित हो गया हूं। भविष्य में कोशिश करूंगा कि ऐसी खतरनाक कृति न रचने पाऊं।“