विधानसभा में कर्मचारी-शिक्षक आंदोलन की गूंज, नारेबाजी के कारण स्थगित करनी पड़ी सदन की कार्यवाही

मिसाल न्यूज़

रायपुर। प्रदेश के अधिकारियों-कर्मचारियों तथा सहायक शिक्षकों के आंदोलन का मामला आज विधानसभा में उठा। विपक्षी भाजपा विधायकों का आरोप था कि कांग्रेस ने अपने जन घोषणा पत्र  कर्मचारियों व शिक्षकों से बड़े-बड़े वादे किए थे। कांग्रेस की सरकार बनते ही इस वर्ग की उपेक्षा शुरु हो गई। विपक्ष ने इस पर स्थगन लाकर चर्चा कराने की मांग उठाई। सभापति व्दारा स्थगन को अग्राह्य कर दिए जाने पर विपक्ष नारेबाजी करने लगा। शोर शराबे के कारण सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।

शून्यकाल के दौरान सबसे पहले भाजपा सदस्य शिवरतन शर्मा ने कहा कि सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति को दूर करने के मामले में शासन एवं प्रशासन उदासीन है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ शिक्षक वेलफेयर एसोसियेशन व्दारा विधानसभा के घेराव की घोषणा की गई। कांग्रेस के जन घोषणा पत्र में वेतन विसंगतियों को दूर करने की बात कही गई थी जो कि पूरी नहीं हो पाई। वेतन विसंगति दूर करने के मुद्दे पर सरकार केवल समिति गठित करने का छलावा कर रही है। इसके अलावा प्रदेश के 4 लाख अधिकारी-कर्मचारी 25 से 29 जुलाई तक हड़ताल पर जा रहे हैं। उन्हें झूठी घोषणाओं के माध्यम से ठगा गया है। उनका डीए एवं गृह भाड़ा भत्ता नहीं बढ़ाया जा रहा है। इसी प्रकार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका, मितानिन, रसोइया, सफाई कर्मी, मनरेगा कर्मी, पंचायत सचिव, वन कर्मी, होम गार्ड, विद्युत कर्मी, स्वास्थ्य कर्मी एवं अंशकालीन कर्मियों में भी छलावे के कारण रोष है।

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि पूरे प्रदेश के 1 लाख 9 हजार सहायक शिक्षक सड़कों पर उतर आए हैं। एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें आंदोलनकारी शिक्षक रायपुर की तरफ आते दिख रहे हैं और पुलिस के साथ उनकी झूमाझटकी हो रही है। मुझे आशंका है कि शिक्षकों के साथ मारपीट भी की गई होगी। जब कांग्रेस की सरकार नहीं थी तो मुख्यमंत्री हर आंदोलनकारियों के तंबू जाते थे। सरकार बनी तो उन्हें भूल गए। 2021 में 18 दिन का जब आंदोलन हुआ था तो समाधान निकालने एक कमेटी बनाई गई थी। कहा गया था कि 90 दिनों में समाधान निकल आएगा। दस महीने हो चुके, कोई समाधान नहीं निकला। कमेटी का प्रतिवेदन तक नहीं आया। हाल ही में शिक्षा को लेकर रैकिंग जारी हुई है, जिसमें छत्तीसगढ़ बहुत पीछे तीसवें नंबर पर नज़र आ रहा है। जब शिक्षक ही हड़ताल पर रहेंगे तो शिक्षा का आलम क्या होगा। स्कूली बच्चे दारू पी रहे हैं। ऐसी गंभीर समस्याओं का निराकरण कौन करेगा।

भाजपा सदस्य बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि इस सरकार के कार्यकाल के पौने चार साल जो निकले उसमें से तीन साल तो हड़ताल ही होती रही। एक लाख कर्मचारी हड़ताल पर जाने की तैयारी करें यह छोटी-मोटी बात नहीं है। कर्मचारी शासन एवं प्रशासन के हाथ पैर होते हैं। उनसे चर्चा कर समाधान निकाला जाए। भाजपा सदस्य अजय चंद्राकर ने कहा कि 71 कर्मचारी संगठन दो गंभीर मुद्दों पर असहमत हैं। सरकार के अड़ियल रवैये के कारण ये सड़क की लड़ाई लड़ने जा रहे हैं। जनता कांग्रेस विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा कि बीच में अग्निवीर योजना का विरोध करने वाले दिख रहे थे, यहां तो उससे भी खराब स्थिति दिख रही है। मांगों पर विचार करने के लिए समिति का गठन करना यानी कर्मचारियों को टरकाना है। भाजपा सदस्य नारायण चंदेल ने कहा कि लगातार हड़ताल से सरकार का कामकाज प्रभावित होता है। कर्मचारियों व शिक्षकों के इस मुद्दे पर भाजपा विधायकगण पुन्नूलाल मोहले, डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी, सौरभ सिंह, रजनीश कुमार सिंह एवं रंजना डीपेन्द्र साहू ने भी अपनी बात रखी और स्थगन प्रस्ताव को ग्राह्य कर उस पर चर्चा कराने की मांग की।

सभापति सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि स्थगन प्रस्ताव को अग्राह्य करता हूं। इसे सदन में प्रस्तुत करने की अनुमति नहीं देता। अग्राह्य होने पर विपक्षी भाजपा विधायकगण विरोध जताते हुए नारेबाजी करने लगे। भारी शोर शराबा होते देख सभापति को सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।

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