मिसाल न्यूज़
छत्तीसगढ़ी फ़िल्मों के अभिनेता बॉबी खान क़रीब 8 साल बाद पूरी दमदारी के साथ रूपहले पर्दे पर वापसी करने जा रहे हैं। उनकी छत्तीसगढ़ी फ़िल्म ‘मोर मया ला राखे रहिबे’ का 12 अगस्त को छत्तीसगढ़ के सिनेमाघरों एवं मल्टीप्लेक्स में पूरे जोर-शोर के साथ प्रदर्शन होने जा रहा है। फ़िल्म के प्रचार में बॉबी पूरी ताकत झोके हुए हैं। राजधानी रायपुर के जिस किसी प्रमुख मार्ग से आप गुज़र जाएं ‘मोर मया ला राखे रहिबे’ का विशाल होर्डिंग्स आप को दिख जाएगा।
बॉबी से उनके अब तक के फ़िल्मी सफ़र के बारे में पूछे जाने पर वे बताते हैं- “1992-93 में मैंने हिन्दी में फ़िल्म ‘पाइज़न’ बनाई थी। वो लड़कपन के दिन थे। ‘पाइज़न’ को प्रोड्यूस करने के साथ उसमें लीड रोल किया था। इसके बाद बड़े सपने लिए मुम्बई चला गया। तब आज की तरह चैनलों की भरमार नहीं थी। दूरदर्शन का बोलबाला था। दूरदर्शन पर एक धारावाहिक प्रसारित होता था- ‘अलिफ़ लैला।‘ इसमें रायपुर के ही शाहनवाज़ प्रधान जी अहम् किरदार निभा रहे थे। वे मददगार साबित हुए। मुझे ‘अलिफ़ लैला’ के एक-दो एपिसोड में काम करने का मौका मिला। पहले भी कह चुका हूं कि तब न तो आज की तरह चैनलों की बाढ़ थी और न ही ओटीटी प्लेटफार्म था। उस समय का स्ट्रगल किसी भी कलाकार का भारी पसीने छूड़ा देता था। साल भर मुम्बई में रहा। फिर अंतर्रात्मा से यही आवाज़ आने लगी जो भी करना है अपने रायपुर शहर जाकर कर। तब रायपुर में अलबम का दौर शुरु हो चुका था। मैंने 25-30 छत्तीसगढ़ी अलबम किए। एक-दो ओड़िया भाषा के भी अलबम किए। मशहूर सिंगर जावेद अली के गीतों पर भी हमने ‘शाह-ए-ख़ूबां’ अलबम किया। इस अलबम के गीत इब्राहिम अश्क़ जी ने लिखे थे। इब्राहिम अश्क़ जी वो शख़्सियत हैं जो मशहूर निर्माता निर्देशक राकेश रोशन जी की फ़िल्मों के गीत लिखते रहे हैं। अलबम के बाद मैं छत्तीसगढ़ी सिनेमा की तरफ मुड़ा। बड़े बजट की छत्तीसगढ़ी फ़िल्म ‘सोन चिरैया’ बनाई जिसमें हीरो मैं खुद था। 2014 में यह फ़िल्म रिलीज़ हुई थी। फ़िर 2016-17 में हमने ‘मोर मया ला राखे रहिबे’ शूट किया। इसे 2018 या 2019 में रिलीज़ करने की प्लानिंग थी। हम पोस्ट प्रोडक्शन का काम अच्छे से अच्छा करना चाहते थे, जिसमें काफ़ी समय लग गया, फिर 2020 में कोरोना आ गया। कोरोना की दहशत कम होने के बाद हम सही समय का इंतज़ार कर रहे थे। अब लगा कि वो समय आ गया है और हमने प्रदर्शन का तारीख़ अनाउंस कर दी।“
‘मोर मया ला राखे रहिबे’ के विषय वस्तु पर थोड़ा प्रकाश डालें, यह कहने पर बॉबी ने कहा कि “मोर मया ला… से पहले मैं अपनी प्रोड्यूस की हुई उस हिन्दी फ़िल्म ‘हीमोलीन’ का ज़िक्र करना चाहूंगा जिसमें मेरे छोटे भाई डॉ. रियाज़ अनवर का लीड रोल है। इसी साल 27 मई को रिलीज़ हुई इस फ़िल्म को बुद्धिजीवी वर्ग की काफ़ी सराहना मिली। ‘हीमोलीन’ के प्रदर्शन की औपचारिकता पूरी हो जाने के बाद हम ‘मोर मया ला राखे रहिबे’ के प्रदर्शन की तैयारियों में जुट गए। यह गांव के एक सीधे-सादे लड़के की कहानी है। वह पढ़ा लिखा नहीं है। उसके मां बाप नहीं हैं। उसे काका ने पाल पोसकर बड़ा किया है। इस फ़िल्म के राइटर एवं डायरेक्टर राजेश नायक हैं। फ़िल्म को हमने छत्तीसगढ़ी एवं भोजपुरी साथ-साथ शूट किया है। दोनों में ही गाने कमाल के बन पड़े हैं और कोरियोग्राफी भी जबरदस्त हुई है। भोजपुरी में यह ‘पिरितिया काहे तू लगउलू’ नाम से प्रदर्शित होगी। भोजपुरी संस्करण को मिथिलेश अविनाश जी ने डायरेक्ट किया है। फ़िल्म में दो नायिकाएं तनुश्री एवं प्रतिभा पांडे हैं। भोजपुरी सिनेमा की तीन बड़ी हस्तियों आनंद मोहन, बिपिन सिंह एवं सीमा सिंह ने छत्तीसगढ़ी व भोजपुरी दोनों में काम किया है। अन्य प्रमुख कलाकार अनुराधा दुबे, रवि साहू, डॉ. रियाज़ अनवर, ललित उपाध्याय,राजेन्द्र कर्ण एवं शमशीर शिवानी हैं। गीत राजेश नायक ने लिखे हैं। धुन राजेश नायक एवं सलाम ईरानी ने बनाई है। गीतों के लिए आवाजें दी हैं- सुनील सोनी, अल्का चंद्राकर, शेख़ अमीन एवं शैल किरण ने। कोरियोग्राफी निशांत उपाध्याय, दिलीप बैस, चंदन दीप एवं नंदू तांडी ने की है। फ़िल्म का संपादन श्रीमन बारिक ने किया है। एक्शन बीरबल पाणीग्राही का है। प्रोडक्शन वर्क में सूरज साहू एवं रिंकू साहू ने अहम् भूमिका निभाई है। पोस्ट प्रोडक्शन में विशेष सहयोग सलीम खान का रहा है। “ बॉबी बताते हैं- “सितंबर-अक्टूबर में अपनी नई फ़िल्म शुरु करने जा रहा हूं। यह कोरोना त्रासदी पर होगी, जो कि छत्तीसगढ़ी, भोजपुरी व उड़िया भाषा में बनेगी। छत्तीसगढ़ी में फ़िल्म का नाम ‘बस कर पगली जान ले ले बे का’ है। हीरो का किरदार मैं ही निभाऊंगा। नायिका मिस ओडिशा शुभांगी जना होंगी।“