● रैबिज को लेकर विधानसभा में बवाल
मिसाल न्यूज़
रायपुर। रैबिज का इंजेक्शन इस एक शब्द पर विधानसभा में आज काफी बवाल मचा। रैबिज को लेकर भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री एवं संसदीय कार्य मंत्री पर निशाना साधा। साथ ही विधानसभा परिसर में मीडिया से बातचीत के दौरान बृजमोहन अग्रवाल ने यह सवाल भी उठाया कि विधानसभा अध्यक्ष कल प्रश्नकाल के बाद से सदन के भीतर क्यों नहीं आ रहे हैं? क्या यह सही है कि उन्हें कड़े शब्दों में कुछ कहा गया? क्या यह भी सही है कि अध्यक्ष ने कहा कि मेरे से इस्तीफा ले लीजिए?
शून्यकाल में भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि किसी मंत्री की सदन में मौजूदगी के बाद भी उनकी जगह कोई दूसरा मंत्री क्या उत्तर दे सकता है? यहां दो-तीन मंत्री लगातार बीच- बीच में डिस्टर्ब करते हैं। इस पर कोई व्यवस्था आनी चाहिए। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि कल हमने जो स्थगन दिया उसे शून्यकाल में पढ़ा नहीं गया। उसकी ग्राह्यता-अग्राह्यता पर कोई निर्णय नहीं हुआ। अभी हम बोलने खड़े होंगे तो ये एक बार फिर नहीं बोलने देंगे। भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि यहां एक मंत्री ऐसे भी हैं जो अपने विभाग से जुड़े प्रश्नों का जवाब नहीं देते। अन्य मंत्री के विभागों पर जब हम सवाल करते हैं तो वही एक मंत्री हुल्लड़ करते हैं। भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि प्रश्नकाल में हम भले ही व्यवस्था का प्रश्न न उठा सकें शून्यकाल में तो उठा ही सकते हैं। जब एक मंत्री किसी कारणवश सदन में अनुपस्थित रहे तो उनके विभाग से संबंधित सवालों का जवाब क्या दूसरा मंत्री दे सकता है? किसी मंत्री के सदन में उपस्थित रहने के बाद भी उनके विभागों से जुड़े प्रश्नों का जवाब कोई दूसरा मंत्री दे यह पार्लियामेंट के सिस्टम को ध्वस्त करना है।
नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा की एक गरिमा है। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल एवं प्रेमप्रकाश पांडे जैसे विधानसभा अध्यक्ष यहां रहे। नियोजित तरीके से यहां की गरिमा को ठेस पहुंचाई जा रही है। प्रश्नकाल में यहां के वरिष्ठ मंत्रियों ने सदन को बाधित करने का जो प्रयास किया वह दुर्भाग्यपूर्ण है। बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि हम व्यवस्था चाहते हैं। इसके बाद ही शून्यकाल, स्थगन एवं राज्यपाल के अभिभाषण पर बोलेंगे। नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया ने कहा कि मध्यप्रदेश की विधानसभा में आप ही की पार्टी के लोग क्या करते रहे थे, दिल्ली में क्या करते रहे थे। भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यहां खुद संसदीय कार्यमंत्री अपने लोगों को बीच-बीच में बोलने के लिए इशारा करते हैं। बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि विधानसभा उपाध्यक्ष के निर्देश के बाद भी एक मंत्री यहां अनर्गल बात कर रहे हैं। यदि अनर्गल बात ही होती रहे तो इस सदन का क्या औचित्य? जरूरी है सदन की कार्यवाही आगे बढ़ने से पहले व्यवस्था आ जाए।
चूंकि शून्यकाल में बोलने के लिए विधानसभा उपाध्यक्ष व्दारा बीच-बीच में बसपा विधायक केशव चंद्रा का नाम पुकारा जा रहा था और उन्हें बोलने का मौका नहीं मिल पा रहा था इसलिए ऐसा भी समय आया जब वे उत्तेजित हो गए। केशव चंद्रा ने कहा कि क्या पूरे छत्तीसगढ़ की जिम्मेदारी यहां चार लोगों ने ही उठा रखी है? इन लोगों के लगातार बोलते रहने कारण ही आज प्रश्नकाल में केवल चार प्रश्नों पर ही चर्चा हो पाई। विधानसभा उपाध्यक्ष संत राम नेताम ने आसंदी से कहा कि कहा कि हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी बनती है। सदन कैसे चलेगा यह पहले से तय है।
बृजोमहन अग्रवाल ने कहा कि कल सदन में मुख्यमंत्री बोले कि कुछ विधायकों को रैबिज का इंजेक्शन लगवाया जाए। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि बुलवा लिए हैं। वहीं संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि ये कुछ विधायक जानवरों जैसी आवाज निकाल रहे हैं। कांग्रेस विधायक देवेन्द्र यादव ने पलटकर कहा कि जब आप लोगों की तरफ से नपुंसक शब्द का इस्तेमाल होता है उस पर क्यों कुछ नहीं कहा जाता? स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने कहा कि मेरी बातों से किसी की भावनाएं आहत हुई हों तो खेद व्यक्त करता हूं। बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि कल सदन में जो भी असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल किया गया उसे सदन की कार्यवाही से विलोपित किया जाना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अनुपूरक बजट के भाषण के दौरान जो असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया उसे विलोपित किया जाना चाहिए। यही सब चलता रहा तो आने वाली पीढ़ी के बीच क्या संदेश जाएगा। कांग्रेस विधायक वृहस्पत सिंह नो आक्रामक अंदाज में कहा कि इस विधानसभा में 90 विधायक हैं। क्या केवल चार लोगों ने ही बोलने का ठेका ले रखा है? आसंदी पर विधानसभा उपाध्यक्ष के रूप में जो एक आदिवासी बैठा है, लगता है कुछ लोगों को बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
संसदीय कार्य मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि हम प्रतिपक्ष का हृद्य से सम्मान करते हैं। हम भी 15 साल विपक्ष में रहे हैं। सदन व्यवस्थित चले इसमें सत्ता पक्ष एवं प्रतिपक्ष दोनों की जिम्मेदारी बनती है। क्या शब्दों की मर्यादा केवल हमारे लिए होनी चाहिए। अभी केशव चंद्रा एवं वृहस्पत सिंह की पीड़ा झलकी। क्या यह हम सब की पीड़ा नहीं है? जो लोग हमको सलाह दे रहे हैं उन्हें भी संयम का पालन करना होगा। कई बार बात की शुरुआत में आरोप-प्रत्यारोप शुरु हो जाता है। स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव की बातों को लेकर सवाल उठाया गया तो यहां पर उन्होंने खेद भी व्यक्त किया।
विधानसभा परिसर में मीडिया से बातचीत के दौरान बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि सवाल यह है विधानसभा अध्यक्ष कल प्रश्नकाल के बाद से सदन के भीतर क्यों नहीं आ रहे हैं? क्या यह सही है कि उन्हें कड़े शब्दों में कुछ कहा गया? क्या यह भी सही है कि विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि मेरे से इस्तीफा ले लीजिए?