मिसाल न्यूज़
रायपुर। बस्तर की लंबे समय से अटकी पड़ी बोधघाट परियोजना को लेकर विधानसभा में आज विपक्ष ने सरकार को घेरा। पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने सवाल उठाया कि जो कंपनी ब्लेक लिस्टेड है उसे बिना टेंडर 41 करोड़ का बोधघाट परियोजना के मास्टर प्लान का काम कैसे दे दिया गया?
प्रश्नकाल में बृजमोहन अग्रवाल का सवाल था कि क्या बोधघाट परियोजना का काम शुरु होने वाला है? यदि हां तो कब से? बोधघाट परियोजना का सर्वेक्षण कार्य किस एजेन्सी को दिया गया है? यदि दिया गया है तो क्या वह एजेन्सी किसी राज्य में ब्लेक लिस्टेड है? परियोजना पर कितना व्यय किया जा चुका है? जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे की तरफ से जवाब आया कि वर्तमान में बोधघाट बहुउद्देशीय वृहद परियोजना का सर्वेक्षण एवं अनुसंधान कार्य प्रगति पर है। निर्माण कार्य कब प्रारंभ होगा बता सकना संभव नहीं है। बोधघाट परियोजना के सर्वेक्षण एवं अनुसंधान तथा भारत सरकार की वैधानिक अनुमतियां प्राप्त करने का कार्य वाप्कोस लिमिटेड गुरुग्राम को दिया गया है। उक्त एजेन्सी के किसी अन्य राज्य में ब्लेक लिस्टेड होने की जानकारी शासन को नहीं है। बोधघाट परियोजना के सर्वेक्षण पर बारह करोड़ 50 लाख 87 हजार रुपये व्यय किया जा चुका है। सर्वेक्षण एवं अनुसंधान कार्य की पूर्णता की तारीख 8 फरवरी 2022 थी। वर्तमान में सर्वेक्षण का कार्य प्रगति पर है और आंशिक पूर्ण हो चुका है। एजेन्सी व्दारा सर्वेक्षण कार्य पूर्ण करने हेतु 31 अगस्त 2023 तक अतिरिक्त समयावृद्धि चाही गई है।
बृजमोहन अग्रवाल ने पूछा कि क्या इसी विधानससभा में मुख्यमंत्री एवं आपने इस प्रोजेक्ट को शुरु कर देंगे की घोषणा नहीं की थी? रविन्द्र चौबे ने कहा कि अभी सरकार महानदी बेसिन पर काम कर रही है। आपकी सरकार के समय में जो ट्रिब्यूनल डिस्पूट हुआ उसके कारण बहुत से काम नहीं कर पाए। बोधघाट परियोजना के डीपीआर बनाने की बात हुई थी। डॉ. रमन सिंह ने तो कहा था कि ये सरकार डीपीआर भी नहीं बना पाएगी। तब मुख्यमंत्री ने कहा था कि डीपीआर भी बनाएंगे और कार्य प्रारंभ भी करेंगे। जिस कंपनी को हमने डीपीआर बनाने का कांट्रेक्ट दिया है उसने इस काम के लिए समय बढ़ाने की मांग की है। बृजमोहन अग्रवाल ने पूछा कि क्या इस परियोजना के लिए पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त हो चुकी? क्या इस कंपनी को पूर्व में भी कोई काम दिया गया था? रविन्द्र चौबे ने कहा कि पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है और उस कंपनी को तांदूला जल सर्वेक्षण का काम दिया गया था। इसी कंपनी को सिंचाई योजना के मास्टर प्लान बनाने का काम दिया गया है। बहुत जगह इस कंपनी के काम की प्रशंसा हो चुकी है। बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि बिना टेंडर बुलाए इस कंपनी को 41 करोड़ का काम दे दिया गया, जबकि मास्टर प्लान आज तक पूरा नहीं हुआ है। मध्यप्रदेश में अमृत जल योजना के काम में गड़बड़ी पाए जाने पर यह कंपनी ब्लेक लिस्टेड की जा चुकी है। इस संबंध में एकाउंटेंट जर्नल का पत्र मेरे पास है। बोधघाट परियोजना का सर्वे 1980 में हुआ था। बिना वजह इस कंपनी को 12-13 करोड़ का भुगतान कर दिया गया। यह कोई केन्द्र सरकार की कंपनी नहीं है। केवल केन्द्र सरकार के पास रजिस्टर्ड कंपनी है। मेरे पास इसकी पूरी रिपोर्ट है। रविन्द्र चौबे ने कहा कि जिस पत्र की आप बात कर रहे हैं ऑडिट में ऐसे पत्र जारी होते रहते हैं। वह पत्र हमारे पास भी है। इस कंपनी को मिनी नवरतन कंपनी में गिना जाता है। इसके ब्लेक लिस्टेड होने की जानकारी हमारे पास नहीं है। बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि इसी सदन में खड़े होकर कहा गया था कि यह काम पूर्ण कराएंगे। 12 महीने में सर्वे रिपोर्ट तक सामने नहीं आ सकी है। बोधघाट परियोजना के नाम पर इस क्षेत्र के आसपास रहने वाले आदिवासियों के साथ मजाक हो रहा है।